Bharatiya Sanskriti, Kala evam Virasat, 2/e

Publisher:
Pearson Education
| Author:
देवदत्त पटनायक
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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देवदत्त पटनायक
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Hindi
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Paperback

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किसी समुदाय की मान्यताओं को संस्कृति कहते हैं और यह मान्यताएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक प्रसारित की जाती हैं। संस्कृति का अध्ययन करना लोगों के भोजन, उनके पोशाक, रहने की पसंद, मान्यता, अनुष्ठान और प्रथाओं का अध्ययन करना है। कला संस्कृति की अभिव्यक्ति है – स्पृश्य (साहित्य, ललित कला, मूर्ति, वस्त्र, वास्तुकला, सिक्का, मटका, नक्काशी, इत्यादि) और अस्पृश्य (निष्पादन कला, संगीत, नृत्य और नाटक) रूपों में। जो हम सुरक्षित रखते हैं और जिसे हम आगे ले जाना चाहते हैं उसे विरासत कहते हैं। इस पुस्तक की रचना सिविल सेवा की परीक्षा देनेवालों की ज़रूरतों को पूरी करने के हेतु से की गई है।

▪ऐसे विशेषज्ञ द्वारा लिखित जो पुराणशास्त्र को स्पष्ट करने के लिए जाने जाते हैं

विशेषताएँ

▪समझने और याद रखने में सहायता के लिए अद्वितीय संरचना:

▪64 विषय 3 मुख्य-शीर्षक और 10 उप-शीर्षक के अंतर्गत वर्गीकृत।

▪संस्कृति, कला और विरासत का इतिहास (काल) और भूगोल (देश) के साथ मानचित्रण।

▪250 से अधिक वर्णन सहित चित्र और 100 टेबल।

▪200 से अधिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न।

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Description

किसी समुदाय की मान्यताओं को संस्कृति कहते हैं और यह मान्यताएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक प्रसारित की जाती हैं। संस्कृति का अध्ययन करना लोगों के भोजन, उनके पोशाक, रहने की पसंद, मान्यता, अनुष्ठान और प्रथाओं का अध्ययन करना है। कला संस्कृति की अभिव्यक्ति है – स्पृश्य (साहित्य, ललित कला, मूर्ति, वस्त्र, वास्तुकला, सिक्का, मटका, नक्काशी, इत्यादि) और अस्पृश्य (निष्पादन कला, संगीत, नृत्य और नाटक) रूपों में। जो हम सुरक्षित रखते हैं और जिसे हम आगे ले जाना चाहते हैं उसे विरासत कहते हैं। इस पुस्तक की रचना सिविल सेवा की परीक्षा देनेवालों की ज़रूरतों को पूरी करने के हेतु से की गई है।

▪ऐसे विशेषज्ञ द्वारा लिखित जो पुराणशास्त्र को स्पष्ट करने के लिए जाने जाते हैं

विशेषताएँ

▪समझने और याद रखने में सहायता के लिए अद्वितीय संरचना:

▪64 विषय 3 मुख्य-शीर्षक और 10 उप-शीर्षक के अंतर्गत वर्गीकृत।

▪संस्कृति, कला और विरासत का इतिहास (काल) और भूगोल (देश) के साथ मानचित्रण।

▪250 से अधिक वर्णन सहित चित्र और 100 टेबल।

▪200 से अधिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न।

About Author

देवदत्त पटनायक को आधुनिक काल में पौरानिक कथाओं की प्रासंगिकता पर लिखना, चित्रि करना और व्याख्यान करना बहुत पसंद है। 1996 से लेकर आज तक प्रौढ़ और बच्चों के लिए उन्होंने 50 से अधिक पुस्तकें और 1000 से अधिक लेख लिखे हैं। उनकी पुस्तकों का हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, तमिळ, तेलुगु और गुजराती में अनुवाद किया गया है।आप उन्हें तरह तरह के मीडिया पर पा सकते हो। वे सीएनबीसी-टीवी 18 पर बिज़नेस सूत्र और एपिक टीवी पर देवलोक जैसे टीवी शो पर आ चुके हैं। रेडियो मिर्ची पर उनका रेडियो शो - द देवदत्त पट्टनायक शो - आ चुका है और Audible SUNO पर महाभारत के पुनःकथन का ऑडियो शो भी आप सुन सकते हो। कथाकथन पर विभिन्न टेलीविजन चैनल और फ़िल्म निर्माताओं को सलाह देने के अलावा वे संस्कृति, विविधता और नेतृत्व पर संगठनों के लिए सलाहकार भीं हैं।1996 में, उन्होंने अपनी यूपीएससी परीक्षा दी और अपने पहले प्रयास में उत्तीर्ण हुए। लेकिन उन्होंने फ़ार्मा इंडस्ट्री में 15 वर्षों तक काम किया, जिसके बाद वे पूरी तरह से अपने जुनून, पौरानिक शस्त्र, को समय दने लगे। अधिक जानकारी के लिए www.devdutt.com पर जाएँ।

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