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Bhagwan Shrikrishna Ke Updesh
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
रतन कुमार
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
रतन कुमार
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹295 ₹207
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ISBN:
SKU
9789355185853
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
116
भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश [गीता] –
‘भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश’ पुस्तक श्रीमद्भगवत् गीता का ही एक आंशिक रूप है जिसे माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्र-छात्राओं की मानसिक समझ और सक्षमता के अनुरूप प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। यह पुस्तक पाठकों को मानवता की ओर अग्रसर करती है। इसके माध्यम से भारत की युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति की ओर पुनः झुकाव उत्पन्न कराने का एक सार्थक प्रयास किया गया , जिसे वे पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव में भूलते जा रहे हैं।
पुस्तक सभी किशोरों के लिए बहुत उपयोगी है चाहे वे किसी भी समुदाय, सम्प्रदाय, भाषा, राज्य आदि से क्यों न जुड़े हों। इसमें वर्णित उपदेशों द्वारा बच्चों में शारीरिक, मानसिक और चारित्रिक क्षमताओं का विकास होगा, जिनकी आज भारत-राष्ट्र को अत्यन्त आवश्यकता है। यह मनुष्य को मनुष्य बनाने का एक प्रयास है क्योंकि इससे बढ़कर कोई दूसरा धर्म नहीं है।
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Description
भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश [गीता] –
‘भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश’ पुस्तक श्रीमद्भगवत् गीता का ही एक आंशिक रूप है जिसे माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्र-छात्राओं की मानसिक समझ और सक्षमता के अनुरूप प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। यह पुस्तक पाठकों को मानवता की ओर अग्रसर करती है। इसके माध्यम से भारत की युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति की ओर पुनः झुकाव उत्पन्न कराने का एक सार्थक प्रयास किया गया , जिसे वे पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव में भूलते जा रहे हैं।
पुस्तक सभी किशोरों के लिए बहुत उपयोगी है चाहे वे किसी भी समुदाय, सम्प्रदाय, भाषा, राज्य आदि से क्यों न जुड़े हों। इसमें वर्णित उपदेशों द्वारा बच्चों में शारीरिक, मानसिक और चारित्रिक क्षमताओं का विकास होगा, जिनकी आज भारत-राष्ट्र को अत्यन्त आवश्यकता है। यह मनुष्य को मनुष्य बनाने का एक प्रयास है क्योंकि इससे बढ़कर कोई दूसरा धर्म नहीं है।
About Author
रतन कुमार -
लेखक का जन्म 8 अगस्त, 1968 को कानपुर में हुआ था। परास्नातक (भूगोल) तथा बी.एड. करने के पश्चात् आप नवोदय विद्यालय कच्छ (गुजरात) में सन् 1997 से 'भूगोल' शिक्षक के रूप कार्यरत हो गये।
अध्यात्मिक प्रकृति होने के कारण आप बचपन से ही श्रीमदभगवद्गीता का अध्ययन करते रहे हैं।
शिक्षण कार्य के दौरान आपने बच्चों में देश का भविष्य देखा और उनके उचित मार्ग दर्शन के लिए बाल गीता की रचना सन् 2000 से 2009 के बीच की। लेखक वर्तमान में केन्द्रीय विद्यालय में प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं।
लेखक की यह प्रथम रचना है। उनका यह विश्वास है कि यह पुस्तक देश के नौनिहालों और उनके अभिभावकों तथा जनसामान्य को न केवल पसन्द आयेगी बल्कि उचित मार्ग दर्शन भी करेगी जोकि आज की परिस्थितियों में प्रासंगिक और ज़रूरत दोनों ही है।
सम्भावित अन्य रचनाएँ- 1. काव्य संग्रह-'भक्ति मार्ग'; 2.आपके बच्चे और आप; 3. भूगोल, आपके लिए; 4. सुविचार संग्रह-'सीख'; 5. 'सकरात्मक विचार' और सफलताएँ; 6. स्वस्थ रहने के उपाय; 7. आध्यात्मिक प्रश्नोत्तर द्वारा सत्य की खोज; 8. भक्त और भगवान; 9. कर्म व फल।
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