Bhagwad Gita: Jeevan ka sar saral shabdo main

Publisher:
Manjul
| Author:
Sudhir Dixit
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Manjul
Author:
Sudhir Dixit
Language:
Hindi
Format:
Paperback

198

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SKU 9789355435446 Categories , ,
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172

भगवद्गीता पर आधारित यह पुस्तक ख़ास तौर पर युवा पीढ़ी के लिए लिखी गई है, जिनके पास समय कम है, लेकिन वे भारतीय संस्कृति के इस अनुपम ग्रंथ से परिचित होना चाहते हैं। यह पुस्तक सरल भाषा में भगवद्गीता का सार, मर्म और महत्व बताती है। इस पुस्तक में भगवद्गीता के हर अध्याय के 5 मुख्य विचार बताए गए हैं, साथ ही यह भी बताया गया है कि आप उनसे क्या सीख सकते हैं। हर अध्याय लघु आकार का है, जिसे आप बहुत ही कम समय में पढ़ सकते हैं। यानी 18 अध्याय पढ़ने में आपको कुछ ही घंटों का समय लगेगा, हालाँकि भगवद्गीता का मर्म समझने और जीवन में उतारने में तो शायद पूरी ज़िंदगी लग सकती है! इस 18 अध्याय वाली भगवद्गीता को आप जितनी बार पढ़ेंगे, उतनी बार नए अर्थ समझ में आएँगे, क्योंकि आपकी उम्र, परिस्थिति, अनुभव और ज्ञान हर बार अलग होगा।

इस पुस्तक का उद्देश्य भगवद्गीता का सारांश सरल भाषा में बताना है, ताकि आप इस महान ग्रंथ के संदेश और विचारों का लाभ ले सकें। आशा है कि इसे पढ़ने से आपको भी उतना ही आध्यात्मिक लाभ होगा, जितना इसे लिखने में लेखक को हुआ है। जय श्रीकृष्ण!

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Description

भगवद्गीता पर आधारित यह पुस्तक ख़ास तौर पर युवा पीढ़ी के लिए लिखी गई है, जिनके पास समय कम है, लेकिन वे भारतीय संस्कृति के इस अनुपम ग्रंथ से परिचित होना चाहते हैं। यह पुस्तक सरल भाषा में भगवद्गीता का सार, मर्म और महत्व बताती है। इस पुस्तक में भगवद्गीता के हर अध्याय के 5 मुख्य विचार बताए गए हैं, साथ ही यह भी बताया गया है कि आप उनसे क्या सीख सकते हैं। हर अध्याय लघु आकार का है, जिसे आप बहुत ही कम समय में पढ़ सकते हैं। यानी 18 अध्याय पढ़ने में आपको कुछ ही घंटों का समय लगेगा, हालाँकि भगवद्गीता का मर्म समझने और जीवन में उतारने में तो शायद पूरी ज़िंदगी लग सकती है! इस 18 अध्याय वाली भगवद्गीता को आप जितनी बार पढ़ेंगे, उतनी बार नए अर्थ समझ में आएँगे, क्योंकि आपकी उम्र, परिस्थिति, अनुभव और ज्ञान हर बार अलग होगा।

इस पुस्तक का उद्देश्य भगवद्गीता का सारांश सरल भाषा में बताना है, ताकि आप इस महान ग्रंथ के संदेश और विचारों का लाभ ले सकें। आशा है कि इसे पढ़ने से आपको भी उतना ही आध्यात्मिक लाभ होगा, जितना इसे लिखने में लेखक को हुआ है। जय श्रीकृष्ण!

About Author

Makarand R. Paranjape is Professor and Chairperson, Centre for English Studies, Jawaharlal Nehru University, New Delhi. He was educated at St. Stephen's College, University of Delhi, and at the University of Illinois at Urbana-Champaign, where he earned a Masters and PhD in English. He is the author/editor of over forty books and has published over 150 book chapters, refereed papers, and academic articles. His latest publications include @The Death and Afterlife of Mahatma Gandhi," "Making India: Colonialism, National Culture, and the Afterlife of Indian English Authority," and "Body Offering," a novel. He is currently the inaugural DAAD-Erich Auerbach Visiting Chair in Global Literary Studies at the University of Tubingen, Germany

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