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Banjare Ki Chitthiyaan (PB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
SUMER SINGH RATHORE
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
SUMER SINGH RATHORE
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹199 ₹198
Save: 1%
In stock
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3-5 days
In stock
ISBN:
SKU
9789392757341
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
सुमेर सिंह राठौड़ रेत के समन्दर और अंधड़ में खेलकर बड़े हुए हैं। अपने रचनात्मक तनाव में वे उसी खिलाड़ी जज्बे से आगे बढ़ते दिखते हैं। जहाँ शब्द साथ नहीं होते, वहाँ सुमेर दृश्यों में अपनी बात कह गुज़रते हैं। जब विचारों की दौड़ लगती है, तब उनके शब्द आज़ाद परिन्दों की तरह तमाम बन्दिशों से होड़ लेते हैं।
कहने को ‘बंजारे की चिट्ठियाँ’ डायरी विधा की किताब है। लेकिन यह इस पीढ़ी की मन:स्थिति के एक ऐसे स्कैन रिपोर्ट की तरह है जो आने वाले समय का एक साहित्यिक दस्तावेज़ भी है। चाह-बिछोह, लाग-लपेट, सफलता-सार्थकता, विफलता-कशमकश—जो कुछ जीवन में है, वह सुमेर के लेखन में देखने को मिलता है।
खुरदुरी ज़िन्दगी का एक बेहद कोमल आख्यान है यह किताब; जिसे पढ़ना अपने किसी-न-किसी अक्स को भी देखने जैसा है।
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Description
सुमेर सिंह राठौड़ रेत के समन्दर और अंधड़ में खेलकर बड़े हुए हैं। अपने रचनात्मक तनाव में वे उसी खिलाड़ी जज्बे से आगे बढ़ते दिखते हैं। जहाँ शब्द साथ नहीं होते, वहाँ सुमेर दृश्यों में अपनी बात कह गुज़रते हैं। जब विचारों की दौड़ लगती है, तब उनके शब्द आज़ाद परिन्दों की तरह तमाम बन्दिशों से होड़ लेते हैं।
कहने को ‘बंजारे की चिट्ठियाँ’ डायरी विधा की किताब है। लेकिन यह इस पीढ़ी की मन:स्थिति के एक ऐसे स्कैन रिपोर्ट की तरह है जो आने वाले समय का एक साहित्यिक दस्तावेज़ भी है। चाह-बिछोह, लाग-लपेट, सफलता-सार्थकता, विफलता-कशमकश—जो कुछ जीवन में है, वह सुमेर के लेखन में देखने को मिलता है।
खुरदुरी ज़िन्दगी का एक बेहद कोमल आख्यान है यह किताब; जिसे पढ़ना अपने किसी-न-किसी अक्स को भी देखने जैसा है।
About Author
सुमेर सिंह राठौड़
12 फरवरी, 1994 को जैसलमेर, राजस्थान के लौद्रवा गाँव में जन्मे सुमेर सिंह राठौड़ अपनी फ़ोटोग्राफी और डॉक्यूमेंट्री फ़िल्ममेकिंग के लिए सोशल मीडिया का जाना-पहचाना नाम है। उन्होंने भारतीय जनसंचार संस्थान, दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई की। कुछ समय के लिए पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय रहे फिर राजकमल प्रकाशन, दिल्ली से जुड़े जहाँ बतौर सोशल मीडिया एडिटर एक लम्बा वक्त बिताया। कैमरा उनकी पसंद है, उनकी दुनिया है। फ़िलहाल जैसलमेर-दिल्ली-मुम्बई तीनों जगहों पर आते-जाते और रहते हुए डॉक्युमेंट्री फ़िल्में बना रहे हैं। ‘बंजारे की चिट्ठियाँ’ उनकी पहली किताब है।
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