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Badshahat Ka Khatma (Manto Ab Tak-22)

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
सआदत हसन मंटो
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
सआदत हसन मंटो
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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Book Type

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SKU 9789350722718 Category
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78

मण्टो की यह विशेषता है कि वह अपनी कहानियों में अपने निजी दृष्टिकोण और विचारधारा के साथ, दख़लन्दाज़ी की हद तक, पूरे-का- पूरा मौजूद रहता है। अपने पात्रों की खुशियों के साथ, वह उनकी तकलीफ़ें और दुख भी सहता है। यही वजह है कि उसकी कहानियों में संस्मरण का हल्का-सा रंग हमेशा झलकता है- किस्सागोई का वह स्पर्श, जो किसी बयान को यादगार बनाने के लिए बहुत ज़रूरी है।

लेकिन यह किस्सागोई, महज़ दिलचस्पी पैदा करने के लिए, सिर्फ़ चन्द गाँठ के पूरे और दिमाग़ से ख़ाली ‘साहित्य प्रेमियों’ का मनोरंजन करने के लिए नहीं है। किस्सागोई का यह अन्दाज़ एक ओर तो आम आदमी को इस बात का एहसास कराता है कि मण्टो उसके साथ हैं, उसके बीच है, वे सारे दुख-सुख महसूस कर रहा है, जो आम आदमी की नियति है, दूसरी ओर यह भी बताता है- ये कहानियाँ मण्टो ने इसलिए लिखी हैं कि पाठक यह जाने- उनकी नियति क्यों ऐसी है ताकि वे अपनी नियति को बदलने के लिए मुनासिब कार्रवाई कर सकें।

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Description

मण्टो की यह विशेषता है कि वह अपनी कहानियों में अपने निजी दृष्टिकोण और विचारधारा के साथ, दख़लन्दाज़ी की हद तक, पूरे-का- पूरा मौजूद रहता है। अपने पात्रों की खुशियों के साथ, वह उनकी तकलीफ़ें और दुख भी सहता है। यही वजह है कि उसकी कहानियों में संस्मरण का हल्का-सा रंग हमेशा झलकता है- किस्सागोई का वह स्पर्श, जो किसी बयान को यादगार बनाने के लिए बहुत ज़रूरी है।

लेकिन यह किस्सागोई, महज़ दिलचस्पी पैदा करने के लिए, सिर्फ़ चन्द गाँठ के पूरे और दिमाग़ से ख़ाली ‘साहित्य प्रेमियों’ का मनोरंजन करने के लिए नहीं है। किस्सागोई का यह अन्दाज़ एक ओर तो आम आदमी को इस बात का एहसास कराता है कि मण्टो उसके साथ हैं, उसके बीच है, वे सारे दुख-सुख महसूस कर रहा है, जो आम आदमी की नियति है, दूसरी ओर यह भी बताता है- ये कहानियाँ मण्टो ने इसलिए लिखी हैं कि पाठक यह जाने- उनकी नियति क्यों ऐसी है ताकि वे अपनी नियति को बदलने के लिए मुनासिब कार्रवाई कर सकें।

About Author

सआदत हसन मंटो कहानीकार और लेखक थे। मंटो फ़िल्म और रेडियो पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे। मंटो फ़िल्म और रेडियो पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे। प्रसिद्ध कहानीकार मंटो का जन्म 11 मई 1912 को पुश्तैनी बैरिस्टरों के परिवार में हुआ था। उनके पिता ग़ुलाम हसन नामी बैरिस्टर और सेशन जज थे। उनकी माता का नाम सरदार बेगम था, और मंटो उन्हें बीबीजान कहते थे। सआदत हसन मंटो की गिनती ऐसे साहित्यकारों में की जाती है जिनकी कलम ने अपने वक़्त से आगे की ऐसी रचनाएँ लिख डालीं जिनकी गहराई को समझने की दुनिया आज भी कोशिश कर रही है। मंटो की कहानियों की बीते दशक में जितनी चर्चा हुई है उतनी शायद उर्दू और हिन्दी और शायद दुनिया के दूसरी भाषाओं के कहानीकारों की कम ही हुई है। आंतोन चेखव के बाद मंटो ही थे जिन्होंने अपनी कहानियों के दम पर अपनी जगह बना ली। मंटो साहित्य जगत के ऐसे लेखक थे जो अपनी लघु कहानियों के काफी चर्चित हुए। वाणी प्रकाशन से मंटो के पच्चीस कहानी-संग्रह प्रकाशित हैं – ‘रोज़ एक कहानी’, ‘एक प्रेम कहानी’, ‘शरीर और आत्मा’, ‘मेरठ की कैंची’, ‘दौ कौमें’, ‘टेटवाल का कुत्ता’, ‘सन 1919 की एक बात’, ‘मिस टीन वाला’, ‘गर्भ बीज’, ‘गुनहगार मंटो’, ‘शरीफन’, ‘सरकाण्डों के पीछे’, ‘राजो और मिस फ़रिया ‘, ‘फ़ोजा हराम दा’, ‘नया कानून’, ‘मीना बाज़ार’, ‘मैडम डिकॉस्टा’, ‘ख़ुदा की क़सम’, ‘जान मुहम्मद’, ‘गंजे फरिश्ते’, ‘बर्मी लड़की’, ‘बँटवारे के रेखाचित्र’, ‘बादशाह का खात्मा’, ‘तीन मोती औरतें’, ‘तीन गोले’। सआदत हसन मंटो उर्दू-हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं महत्वपूर्ण कथाकार माने जाते हैं। उनकी लिखी हुई उर्दू-हिन्दी की कहानियाँ आज एक दस्तावेज बन गयी हैं।

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