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Baat Banechar
Publisher:
Sahitya Vimarsh
| Author:
Sunil Kumar Sinkretik
| Language:
HIndi
| Format:
Paperback
Publisher:
Sahitya Vimarsh
Author:
Sunil Kumar Sinkretik
Language:
HIndi
Format:
Paperback
₹249 ₹211
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In stock
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Book Type |
---|
ISBN:
SKU
PISINKRETIK
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
220
“उस जीवन पर क्या गर्व करना जिसमें गिनाने के लिए वर्षों की संख्या के सिवा कुछ न हो। बदलाव में जिंदगी है, ठहराव में नहीं।”
– बात बनेचर
बात बनेचर वो किताब है कि जब इसका पहला पन्ना खोलो तो ऐसा लगता है मानों जंगल के प्रवेश द्वार पर खड़े हो और पंछियों की, पशुओं की आवाज़ें अंदर बुला रही हों। एक बार इसकी कोई भी कहानी पढ़ने की देर नहीं है कि ख़ुद कहाँ बैठे हैं, कितनी देर से पढ़ रहे हैं, ये भी याद नहीं रहता।
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Description
“उस जीवन पर क्या गर्व करना जिसमें गिनाने के लिए वर्षों की संख्या के सिवा कुछ न हो। बदलाव में जिंदगी है, ठहराव में नहीं।”
– बात बनेचर
बात बनेचर वो किताब है कि जब इसका पहला पन्ना खोलो तो ऐसा लगता है मानों जंगल के प्रवेश द्वार पर खड़े हो और पंछियों की, पशुओं की आवाज़ें अंदर बुला रही हों। एक बार इसकी कोई भी कहानी पढ़ने की देर नहीं है कि ख़ुद कहाँ बैठे हैं, कितनी देर से पढ़ रहे हैं, ये भी याद नहीं रहता।
About Author
सुनील कुमार ‘सिंक्रेटिक’ मूल रूप से भोजपुर, बिहार के रहनेवाले। वर्तमान में राज्य सरकार में पदाधिकारी। बचपन से जीव-जंतुओं, वन्य प्राणियों में रुचि रही। वर्तमान हिन्दी में अपनी विधा के एक मात्र लेखक हैं। सब किस्सा लिखते हैं, ये बन किस्सा। इनकी प्रसिद्धि इंसानी चरित्र के मुताबिक जानवरों को ढूंढकर ऐसी कहानी गढ़ने की है कि जंगल का सामान्य सा किस्सा, कब मनुष्य का जीवन-किस्सा बन जाता है, पता ही नहीं चलता। विजुअल मोड इनकी लेखनी की विशेष शैली है। पढ़ने के साथ कहानी आँखों के सामने घूमने लगती है। इनकी पहली किताब ‘बनकिस्सा’ पाठकों के बीच ‘मॉडर्न पंचतंत्र’ के रूप में विख्यात है। ‘बात बनेचर’ उसी परंपरा की अगली किताब है
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