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Ayodhya Babu Sanak Gaye Hain

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
उमा शंकर चौधरी
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
उमा शंकर चौधरी
Language:
Hindi
Format:
Paperback

279

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1-4 Days

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SKU 9788119014705 Category
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Page Extent:
176

अयोध्याबाबू सनक गये हैं –
‘अयोध्या बाबू सनक गये हैं’ के साथ कहानीकार उमा शंकर चौधरी एक ऐसा नैरेटिव लेकर उपस्थित हुए हैं जो कहानी और नाटक दोनों विधाओं को एक साथ समेट कर चलता है। नेरेटिव की यह ख़ासियत उनकी शीर्षक कहानी में तो है ही, साथ ही इस संग्रह की बाकी दूसरी कहानियों में भी भरपूर मात्रा में मौजूद है। उमा शंकर की लगभग सभी कहानियों की ज़मीन और परिवेश ठेठ गाँव और क़स्बों से उकेरे गये हैं। इसके बावजूद इनके चरित्र अपनी सोच और क्रियाकलापों में पूरी तरह आधुनिक और कभी-कभी अपने वक़्त से आगे के भी जान पड़ते हैं। यद्यपि इन कहानियों में बाहर से कुछ भी ऐसा घटित नहीं होता, जिसे नाटकीय कहा जा सके, लेकिन अपनी आन्तरिक संरचना में कहानियों का ताना-बाना इतने सहज और अनायास रूप से आगे बढ़ता है कि अन्त तक आते-आते कहानियाँ बेहद नाटकीय हो उठती हैं। कई बार तो कहानीकार बहुत ही संयम से पात्रों के बीच पनपते सम्भावित सम्बन्धों की अटकलों को बहुत दूर तक ले जाता है और इस कारण कहानी में यहाँ से वहाँ तक उत्सुकता बची रह जाती हैं।
इस बात को रेखांकित करना चाहूँगा कि कहानी लेखन की दुनिया में युवा रचनाकारों द्वारा जो कुछ नया लिखा जा रहा है, वह सचमुच अपने कथ्य और कथ्य से ज़्यादा उसको व्यंजित करने की नयी शैली और संरचना की दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि उमा शंकर चौधरी क़िस्सागोई और कहानीपन के मास्टर हैं। उनकी कहानियाँ पाठकों को अपने कहानीपन के बल पर अतल गहराई में लेकर चली जाती हैं।
सम्भावनाशील युवा रचनाकार उमा शंकर चौधरी को उनके पहले कहानी-संग्रह के लिए बहुत शुभकामनाएँ।— देवेन्द्र राज अंकुर

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Description

अयोध्याबाबू सनक गये हैं –
‘अयोध्या बाबू सनक गये हैं’ के साथ कहानीकार उमा शंकर चौधरी एक ऐसा नैरेटिव लेकर उपस्थित हुए हैं जो कहानी और नाटक दोनों विधाओं को एक साथ समेट कर चलता है। नेरेटिव की यह ख़ासियत उनकी शीर्षक कहानी में तो है ही, साथ ही इस संग्रह की बाकी दूसरी कहानियों में भी भरपूर मात्रा में मौजूद है। उमा शंकर की लगभग सभी कहानियों की ज़मीन और परिवेश ठेठ गाँव और क़स्बों से उकेरे गये हैं। इसके बावजूद इनके चरित्र अपनी सोच और क्रियाकलापों में पूरी तरह आधुनिक और कभी-कभी अपने वक़्त से आगे के भी जान पड़ते हैं। यद्यपि इन कहानियों में बाहर से कुछ भी ऐसा घटित नहीं होता, जिसे नाटकीय कहा जा सके, लेकिन अपनी आन्तरिक संरचना में कहानियों का ताना-बाना इतने सहज और अनायास रूप से आगे बढ़ता है कि अन्त तक आते-आते कहानियाँ बेहद नाटकीय हो उठती हैं। कई बार तो कहानीकार बहुत ही संयम से पात्रों के बीच पनपते सम्भावित सम्बन्धों की अटकलों को बहुत दूर तक ले जाता है और इस कारण कहानी में यहाँ से वहाँ तक उत्सुकता बची रह जाती हैं।
इस बात को रेखांकित करना चाहूँगा कि कहानी लेखन की दुनिया में युवा रचनाकारों द्वारा जो कुछ नया लिखा जा रहा है, वह सचमुच अपने कथ्य और कथ्य से ज़्यादा उसको व्यंजित करने की नयी शैली और संरचना की दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि उमा शंकर चौधरी क़िस्सागोई और कहानीपन के मास्टर हैं। उनकी कहानियाँ पाठकों को अपने कहानीपन के बल पर अतल गहराई में लेकर चली जाती हैं।
सम्भावनाशील युवा रचनाकार उमा शंकर चौधरी को उनके पहले कहानी-संग्रह के लिए बहुत शुभकामनाएँ।— देवेन्द्र राज अंकुर

About Author

1 मार्च, 1978 को खगड़िया, बिहार में जन्म। कविता और कहानी लेखन में समान रूप से सक्रिय । प्रकाशन : चार कविता संग्रह कहते हैं तब शहंशाह सो रहे थे, चूंकि सवाल कभी ख़त्म नहीं होते, वे तुमसे पूछेंगे डर का रंग, कुछ भी वैसा नहीं। तीन कहानी संग्रह अयोध्या बाबू सनक गये हैं, कट टु दिल्ली और अन्य कहानियाँ, दिल्ली मेंनींद और एक उपन्यास अँधेरा कोना प्रकाशित। साथ ही आलोचना की दो पुस्तकें हैं-विमर्श में कबीर और दलित विमर्श: कुछ मुद्दे कुछ सवाल। दो सम्पादित पुस्तकें भी हैं- हाशिये की वैचारिकी और हिस्सेदारी के प्रश्न- प्रतिप्रश्न | सम्मान : साहित्य अकादेमी युवा सम्मान, भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन सम्मान, रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार, अंकुर मिश्र स्मृति सम्मान और पाखी का जनप्रिय लेखक सम्मान । कहानियों, कविताओं का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद। कविता संग्रह कहते हैं तब शहंशाह सो रहे थे का मराठी अनुवाद साहित्य अकादेमी से प्रकाशित । कविताएँ केरल विश्वविद्यालय, केरल, शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, कलाडी, केरल और एम. जी. विश्वविद्यालय, कोट्टयम, केरल के स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में शामिल । विभिन्न महत्त्वपूर्ण श्रृंखलाओं में कहानियाँ और कविताएँ संकलित । कहानी अयोध्या बाबू सनक गये हैं पर प्रसिद्ध रंगकर्मी देवेन्द्र राज अंकुर द्वारा एनएसडी सहित देश की विभिन्न जगहों पर पच्चीस से अधिक नाट्य प्रस्तुतियाँ । मो. : 09810229111 ई-मेल : umshankarchd@gmail.com

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