Aviral

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Anand Prakash Maheshwari
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Anand Prakash Maheshwari
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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136

जन सेवा में रहकर जन व्यवस्था के अनेक आयाम देखने को मिलते हैं। पुलिस सेवा और भी करीब से कई रूप दिखा देती है। बात कुछ नहीं होती। फिर भी बात से बतंगड़ बन जाता है। अलग-अलग पहलुओं से उन्हें परखा जाता है। विभिन्न घटक उन्हें अपने सामर्थ्य के हिसाब से अपने रंग में ढालने का प्रयास करते हैं। व्यवस्थागत आयाम भी राजनैतिक, प्रशासनिक, वैधानिक एवं साक्ष्यगत पहलुओं से गुजरते हैं। फिर शुरू होता है अनियंत्रित विडंबनाओं का सिलसिला। एक लहर से अनेक लहरें। फिर वह सैलाब कब थमेगा और किस स्वरूप में नए आयाम उभरकर सामने आएँगे, यह कह पाना कठिन हो जाता है। स्मृतियों में अनेक कुंठाएँ घर कर लेती हैं, जो कि कब विकराल हो उठेंगी, यह भी कहना मुश्किल है। जन व्यवस्था की यह यात्रा अविरल है। विभिन्न जातियों, समूहों एवं संस्कृतियों में समरूपता, सामंजस्य एवं सद्भाव की दिशा में प्रयास अथवा मध्यम मार्ग एवं परस्पर संतुलन के विकल्प? इस पुस्तक के माध्यम से कथानक के रूप में कई रुचिकर पहलुओं को उजागर किया गया है, जो कि जन व्यवस्था के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालते हैं और जनजागृति की दिशा में मुक्त रूप से सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करते हैं|

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Description

जन सेवा में रहकर जन व्यवस्था के अनेक आयाम देखने को मिलते हैं। पुलिस सेवा और भी करीब से कई रूप दिखा देती है। बात कुछ नहीं होती। फिर भी बात से बतंगड़ बन जाता है। अलग-अलग पहलुओं से उन्हें परखा जाता है। विभिन्न घटक उन्हें अपने सामर्थ्य के हिसाब से अपने रंग में ढालने का प्रयास करते हैं। व्यवस्थागत आयाम भी राजनैतिक, प्रशासनिक, वैधानिक एवं साक्ष्यगत पहलुओं से गुजरते हैं। फिर शुरू होता है अनियंत्रित विडंबनाओं का सिलसिला। एक लहर से अनेक लहरें। फिर वह सैलाब कब थमेगा और किस स्वरूप में नए आयाम उभरकर सामने आएँगे, यह कह पाना कठिन हो जाता है। स्मृतियों में अनेक कुंठाएँ घर कर लेती हैं, जो कि कब विकराल हो उठेंगी, यह भी कहना मुश्किल है। जन व्यवस्था की यह यात्रा अविरल है। विभिन्न जातियों, समूहों एवं संस्कृतियों में समरूपता, सामंजस्य एवं सद्भाव की दिशा में प्रयास अथवा मध्यम मार्ग एवं परस्पर संतुलन के विकल्प? इस पुस्तक के माध्यम से कथानक के रूप में कई रुचिकर पहलुओं को उजागर किया गया है, जो कि जन व्यवस्था के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालते हैं और जनजागृति की दिशा में मुक्त रूप से सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करते हैं|

About Author

डॉ. आनंद प्रकाश माहेश्वरी ने श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से स्नातक की डिग्री के उपरांत पोद्दार इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से एम.बी.ए. पूर्ण किया। पुलिस सेवा में आने के बाद ‘सांप्रदायिक दंगों के प्रबंधन’ विषय पर अभिनव शोध करते हुए पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। अपने अनुभवों के आधार पर वे हिंदी तथा अंग्रेजी भाषा में रचनात्मक लेखन करते रहे हैं। अभी तक उनकी नौ पुस्तकें तथा चालीस से अधिक लेख प्रकाशित हुए हैं। उन्हें ‘गोविंद बल्लभ पंत’ पुरस्कार भी मिला है। डॉ. माहेश्वरी 1984 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अनुभवी अधिकारी हैं। उत्तर प्रदेश के विभिन्न महानगरों में पुलिस प्रमुख के पद पर कार्य करने के साथ-साथ उन्होंने कानून व्यवस्था, अभिसूचना, अन्वेषण, सतर्कता एवं सुरक्षा आदि के क्षेत्र में भी कार्य करके अपनी योग्यता प्रमाणित की है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल तथा सीमा सुरक्षा बल में लगभग 12 वर्ष की दीर्घावधि में उन्होंने नॉर्थ-ईस्ट, कश्मीर, नक्सल प्रभावित राज्यों, सीमा सुरक्षा से जुड़े क्षेत्रों में भी प्रशंसनीय योगदान दिया है। अति विशिष्ट सेवाओं हेतु उन्हें राष्ट्रपति पदक, वीरता एवं कठिन सेवाओं हेतु अनेक पुलिस पदकों से अलंकृत किया गया है। समाज-सेवा के क्षेत्र में भी कई संगठनों से जुड़े हैं। एनडब्ल्यू-118, स्वामी बाग, आगरा-5.

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