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Aushwitz : Ek Prem Katha
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
गरिमा श्रीवास्तव
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
गरिमा श्रीवास्तव
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹399 ₹279
Save: 30%
In stock
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1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789355182586
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
224
“आउशवित्ज़ : एक प्रेम कथा – स्त्री के प्रेम और स्वाभिमान के तन्तुओं से बुने इस उपन्यास के पात्र और घटनाएँ सच्ची हैं, इतिहास इन घटनाओं का मूक गवाह रह चुका है। हिटलर की नात्सी सेना द्वारा यहूदियों के समूल खात्मे के लिए बनाये यातना शिविरों में से एक है आउशवित्ज़-जो अब संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। युद्ध के निशान ढूँढने पहुँची प्रतीति सेन, अपने जीवन को फिर से देखने की दृष्टि आउशवित्ज़ में ही पाती है। प्रतीति कब रहमाना ख़ातून हो उठती है और कब रहमाना ख़ातून प्रतीति-पहचानना मुश्किल है। कथा शिल्प की दृष्टि से प्रोफ़ेसर गरिमा श्रीवास्तव की प्रस्तुति काफ़ी प्रभावशाली है।”
-प्रोफ़ेसर हेइंज वेर्नर वेस्लर यूनिवर्सिटी ऑफ उप्पसला, स्वीडन
गरिमा श्रीवास्तव का यह उपन्यास आउशवित्ज़ एक प्रेम कथा विश्व साहित्य में युद्ध विरोधी लेखन की एक मिसाल है। द्वितीय विश्व युद्ध और बांग्लादेश मुक्ति युद्ध की स्मृतियों के तनाव के बीच यह बहुस्तरीय उपन्यास लिखा गया है जो कभी-कभी आत्मकथा का भ्रम देने लगता है। यह स्मृतियों के आर्केटाइप जैसा कुछ है जो अपने संरचनात्मक रूप में बहुस्तरीय है। उपन्यासकार इतिहास और वर्तमान के बीच आवाजाही करता है। उपन्यास के भाषिक प्रयोग और भाषा की काव्यात्मकता का मैं क़ायल हूँ। मैं समझता हूँ यह उपन्यास पाठकों को बेहद पसन्द आयेगा।
-शेख हफीजुल इस्लाम डिप्टी सेक्रेटरी टू द गवर्नमेंट ऑफ बांग्लादेश और भूतपूर्व कैम्प इंचार्ज, कॉक्स बाज़ार, बांग्लादेश
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Description
“आउशवित्ज़ : एक प्रेम कथा – स्त्री के प्रेम और स्वाभिमान के तन्तुओं से बुने इस उपन्यास के पात्र और घटनाएँ सच्ची हैं, इतिहास इन घटनाओं का मूक गवाह रह चुका है। हिटलर की नात्सी सेना द्वारा यहूदियों के समूल खात्मे के लिए बनाये यातना शिविरों में से एक है आउशवित्ज़-जो अब संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। युद्ध के निशान ढूँढने पहुँची प्रतीति सेन, अपने जीवन को फिर से देखने की दृष्टि आउशवित्ज़ में ही पाती है। प्रतीति कब रहमाना ख़ातून हो उठती है और कब रहमाना ख़ातून प्रतीति-पहचानना मुश्किल है। कथा शिल्प की दृष्टि से प्रोफ़ेसर गरिमा श्रीवास्तव की प्रस्तुति काफ़ी प्रभावशाली है।”
-प्रोफ़ेसर हेइंज वेर्नर वेस्लर यूनिवर्सिटी ऑफ उप्पसला, स्वीडन
गरिमा श्रीवास्तव का यह उपन्यास आउशवित्ज़ एक प्रेम कथा विश्व साहित्य में युद्ध विरोधी लेखन की एक मिसाल है। द्वितीय विश्व युद्ध और बांग्लादेश मुक्ति युद्ध की स्मृतियों के तनाव के बीच यह बहुस्तरीय उपन्यास लिखा गया है जो कभी-कभी आत्मकथा का भ्रम देने लगता है। यह स्मृतियों के आर्केटाइप जैसा कुछ है जो अपने संरचनात्मक रूप में बहुस्तरीय है। उपन्यासकार इतिहास और वर्तमान के बीच आवाजाही करता है। उपन्यास के भाषिक प्रयोग और भाषा की काव्यात्मकता का मैं क़ायल हूँ। मैं समझता हूँ यह उपन्यास पाठकों को बेहद पसन्द आयेगा।
-शेख हफीजुल इस्लाम डिप्टी सेक्रेटरी टू द गवर्नमेंट ऑफ बांग्लादेश और भूतपूर्व कैम्प इंचार्ज, कॉक्स बाज़ार, बांग्लादेश
About Author
जे एन यू के भारतीय भाषा केन्द्र में बतौर प्रोफ़ेसर कार्यरत, स्त्रीवादी चिन्तक प्रो. गरिमा श्रीवास्तव किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। साहित्य और समाजविज्ञान की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित इनका शोधपरक लेखन गम्भीर अध्येताओं का ध्यान अलग से आकर्षित करता है। प्रो. गरिमा श्रीवास्तव ने युद्ध आर युद्ध के बाद की स्थितियों को स्त्रीवादी नज़रिये से देखने का जो प्रयास किया है वह हिन्दी भाषा एवं साहित्य की दुनिया में विरल है। इन्होंने दुनिया-भर में हुए युद्ध को देखने और समझने के लिए एक अलग सैद्धान्तिकी विकसित की है जिसके अनुसार युद्ध भले पृथ्वी के किसी ख़ास भूभाग पर लड़ा जाता हो लेकिन अन्ततः वह घटित होता है स्त्री की देह पर।
उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं: आउशवित्ज़ : एक प्रेम कथा (उपन्यास) (2023), हिन्दी नवजागरण : इतिहास, गल्प और स्त्री-प्रश्न (2023), चुप्पियाँ और दरारें (2022), देह ही देश (2018), किशोरीलाल गोस्वामी (2016), झूठ का थैला : क्रोएशिया की लोक कथाएँ (2013), लाला श्रीनिवासदास (2007), भाषा और भाषा विज्ञान (2006), 'ऐ लड़की' में नारी चेतना (2003), आशु अनुवाद (2003), हिन्दी उपन्यासों में बौद्धिक विमर्श (1999) |
सम्पादित पुस्तकें : उपन्यास का समाजशास्त्र (2023), हरदेवी का यात्रा-वृत्तान्त (2022), ज़ख़्म, फूल और नमक (2017), हृदयहारिणी (2015), लवंगलता (2015), वामाशिक्षक (2008), आधुनिक हिन्दी कहानियाँ (2004), आधुनिक हिन्दी निबन्ध (2004), हिन्दी नवजागरण और स्त्री श्रृंखला में सात पुस्तकें (2019 ) : 1. महिला मृदुवाणी, 2. स्त्री समस्या, 3. हिन्दी की महिला साहित्यकार, 4. हिन्दी काव्य की कलामयी तारिकाएँ, 5. स्त्री-दर्पण, 6. हिन्दी काव्य की कोकिलाएँ, 7. स्त्री कवि संग्रह।
अनूदित पुस्तकें : ए वैरी ईज़ी डेथ (सिमोन द बोउवार) अनुवाद गरिमा श्रीवास्तव, ब्राज़ीली कहानियाँ।
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