Atulya Bharat Ki Khoj

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Rishi Raj
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rishi Raj
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Hindi
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Hardback

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SKU 9789351862048 Categories ,
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152

समृद्ध सांस्कृतिक विरासत; विविध पर्यटक आकर्षण; कई धार्मिक तीर्थ केंद्रों का घर तथा कई बड़ी पवित्र नदियों का समागम है भारत। वर्षों से इसकी संस्कृति अलग; अनोखी एवं अद्वितीय रही है। बहुधार्मिक; बहुभाषी तथा पारंपरिक भारतीय पारिवारिक मूल्यों से सम्मिलित इस देश को रचनाकार आदर से प्रणाम करते हैं। लेखक को भारत के 31 राज्यों को जानने और समझने का मौका मिला। भारत की गरिमामयी मिट्टी से प्राप्त अनुभवों को लेखक ने इस पुस्तक में सँजोया है। भारत की सांस्कृतिक विरासत की सुगंध से मन आज भी महक उठता है; परंतु मोक्ष एवं ज्ञान का प्रवेश-द्वार कहे जानेवाले भारत की विरासत के रहस्य को एक तरफ समस्त संसार देखने आता है तो दूसरी तरफ खुद भारतीय ही इसे भूलते जा रहे हैं। लेखक अपनी इस पुस्तक में भारत की अनूठी सांस्कृतिक उपलब्धियों तथा अपने अनुभवों का सुंदर वर्णन करते हुए अत्यंत गौरवान्वित हैं। अपनी इस भ्रमण यात्रा को इस पुस्तक में ‘अतुल्य भारत की खोज’ का नामकरण दिया गया है; जो स्वयं में इस उपमा को चरितार्थ करता है कि भारत जैसा अनुपम देश दुनिया में दूसरा नहीं है।

भाग्यशाली हूँ मैं जो इस पावन धरा पर मेरा जन्म हुआ; भारत माँ की गोद में खेलकर जीवन मेरा धन्य हुआ; काश! कभी चुका पाऊँ कर्ज इस धरा का; रात-दिन ध्यान रहता सी का।

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Description

समृद्ध सांस्कृतिक विरासत; विविध पर्यटक आकर्षण; कई धार्मिक तीर्थ केंद्रों का घर तथा कई बड़ी पवित्र नदियों का समागम है भारत। वर्षों से इसकी संस्कृति अलग; अनोखी एवं अद्वितीय रही है। बहुधार्मिक; बहुभाषी तथा पारंपरिक भारतीय पारिवारिक मूल्यों से सम्मिलित इस देश को रचनाकार आदर से प्रणाम करते हैं। लेखक को भारत के 31 राज्यों को जानने और समझने का मौका मिला। भारत की गरिमामयी मिट्टी से प्राप्त अनुभवों को लेखक ने इस पुस्तक में सँजोया है। भारत की सांस्कृतिक विरासत की सुगंध से मन आज भी महक उठता है; परंतु मोक्ष एवं ज्ञान का प्रवेश-द्वार कहे जानेवाले भारत की विरासत के रहस्य को एक तरफ समस्त संसार देखने आता है तो दूसरी तरफ खुद भारतीय ही इसे भूलते जा रहे हैं। लेखक अपनी इस पुस्तक में भारत की अनूठी सांस्कृतिक उपलब्धियों तथा अपने अनुभवों का सुंदर वर्णन करते हुए अत्यंत गौरवान्वित हैं। अपनी इस भ्रमण यात्रा को इस पुस्तक में ‘अतुल्य भारत की खोज’ का नामकरण दिया गया है; जो स्वयं में इस उपमा को चरितार्थ करता है कि भारत जैसा अनुपम देश दुनिया में दूसरा नहीं है।

भाग्यशाली हूँ मैं जो इस पावन धरा पर मेरा जन्म हुआ; भारत माँ की गोद में खेलकर जीवन मेरा धन्य हुआ; काश! कभी चुका पाऊँ कर्ज इस धरा का; रात-दिन ध्यान रहता सी का।

About Author

4 सितंबर, 1975 को दिल्ली में जन्मे ऋषि राज, भारत सरकार के परिवहन क्षेत्र से जुड़े सार्वजनिक उपक्रम, दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन में संयुक्त महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। वर्ष 1994 में भारतीय रेल में नियुक्ति से भारत भ्रमण की शुरुआत हुई। अभी तक देश के सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर घूम चुके हैं और वैश्विक तौर पर एशिया, ऑस्ट्रेलिया एवं यूरोप के कुल दस देशों का भ्रमण कर चुके हैं। धार्मिक दृष्टि से वो कैलाश मानसरोवर, बारह ज्योतिर्लिंग एवं चारों धाम की यात्रा भी सम्पूर्ण कर चुके हैं। ऋषि राज ने वर्ष 2012 में कैलाश मानसरोवर की यात्रा के अनुभवों पर आधारित 'कैलाश दर्शन-कुछ यादें, कुछ बातें' से अपने लेखन की शुरुआत की । वर्ष 2015 में उनकी पुस्तक 'अतुल्य भारत की खोज' और फिर वर्ष 2017 में 'देशभक्ति के पावन तीर्थ' प्रकाशित हुई और फिर वर्ष 2019 जापान में बिताए दिनों के अनुभव पर पुस्तक आई ""एक भारतीय की जापान यात्रा""। इन सभी पुस्तकों को भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार से सम्मानित किया । दिसंबर 2019 में “50 महान स्वतंत्रता सेनानी” का विमोचन हुआ । वर्ष 2022 में कारगिल युद्ध के शहीदों को समर्पित इनकी पुस्तक ""कारगिल-एक यात्री की ज़ुबानी"" आई है, जिसका लेखन, इन्होने स्वयं दो बार कारगिल की रण भूमि पर जा कर और कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिवार वालों से मिलने के बाद किया है, जो इस पुस्तक को कारगिल के विषय पर लिखी अन्य पुस्तकों से अलग करती है । वर्ष 2019 में लेखक ने एक नवीन विधा से बच्चों को राष्ट्रिय महत्व की ऐतिहासिक घटनाओं से परिचित करवाने के लिए “चित्रावली” माध्यम को अपनाया, इस कड़ी में सबसे पहले जलियांवाला बाग कांड के 100 वर्ष पूरे होने पर प्रकाशित हुई “सुनो बच्चों जलियांवाला बाग की कहानी” और फिर वर्ष 2022 में कारगिल युद्ध के यौद्धाओं के जीवन गाथा को दर्शाती सात चित्रावलियों का भी लेखन किया । विद्यालयों में इन चित्रावलियों को काफी सराहना मिली है और अब इन सभी चित्रावलियों का अंग्रेज़ी और गुजराती में भी प्रकाशन किया जा रहा है । इसके अलावा ऋषि राज अभी तक देशभक्ति व भारत के प्रमुख पर्यटन व ऐतिहासिक स्थलों से जुड़ी करीब 125 लघु फिल्मों का भी निर्माण कर चुके हैं, जो इनके यू ट्यूब चैनल Exploring India with Rishi पर उपलब्ध हैं ।

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