Ataichi Rahasya Hard Cover

Publisher:
REMADHAV
| Author:
Satyajit Ray
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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REMADHAV
Author:
Satyajit Ray
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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अन्तरराष्ट्रीय ख्याति के फिल्मकार तथा बांग्ला के श्रेष्ठ कथाकार सत्यजित राय के लोकप्रिय कथा-पात्र फेलूदा की जासूसी की बेहद रोमांचक कथा है—अटैची-रहस्य।
राजधानी एक्सप्रेस में सफर के दौरान एक व्यक्ति की अटैची चोरी हो जाती है, जिसमें एक बहुत पुरानी और कीमती पाण्डुलिपि थी। जाहिर है, उसे ढूँढ़ने के लिए फेलूदा को नियुक्त किया गया। मगर घटना की जाँच करते हुए पाण्डुलिपि से भी कीमती एक चीज मिल गयी। अटैची गायब करने वालों को तो इसका पता था पर उसके मालिक को नहीं। आखिर क्या थी वह चीज, जिसके कारण इस तरह एक मामूली-सी घटना अचानक रहस्यमय हो उठी!
राय की प्रस्तुत कृति में रहस्य-सन्धान के प्रति कुतूहल शुरू से अन्त तक बना रहता है, जो उनके कथा-लेखन की चिर-परिचित विशेषता है।

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Description

अन्तरराष्ट्रीय ख्याति के फिल्मकार तथा बांग्ला के श्रेष्ठ कथाकार सत्यजित राय के लोकप्रिय कथा-पात्र फेलूदा की जासूसी की बेहद रोमांचक कथा है—अटैची-रहस्य।
राजधानी एक्सप्रेस में सफर के दौरान एक व्यक्ति की अटैची चोरी हो जाती है, जिसमें एक बहुत पुरानी और कीमती पाण्डुलिपि थी। जाहिर है, उसे ढूँढ़ने के लिए फेलूदा को नियुक्त किया गया। मगर घटना की जाँच करते हुए पाण्डुलिपि से भी कीमती एक चीज मिल गयी। अटैची गायब करने वालों को तो इसका पता था पर उसके मालिक को नहीं। आखिर क्या थी वह चीज, जिसके कारण इस तरह एक मामूली-सी घटना अचानक रहस्यमय हो उठी!
राय की प्रस्तुत कृति में रहस्य-सन्धान के प्रति कुतूहल शुरू से अन्त तक बना रहता है, जो उनके कथा-लेखन की चिर-परिचित विशेषता है।

About Author

सत्यजित राय 

2 मई, 1921 को गड़पार रोड, दक्षिणी कलकत्ता (बंगाल) में जन्म। पिता सुकुमार राय एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे।

प्रारम्भिक शिक्षा घर पर हुई। पाँच साल की आयु में माँ सुप्रभा राय के साथ भवानीपुर में नाना के घर जाकर रहने लगे। सन् 1936 में बालीगंज गवर्नमेंट हाई स्कूल से मैट्रिक पास किया।

बांग्ला फ़िल्मों के अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त निदेशक होने के साथ-साथ उच्च कोटि के संगीतकार, चित्रकार, छायाकार, पत्रकार और लेखक। बच्चों के लिए विशेष तौर पर काम किया है।

'पथेर पांचाली' उनकी विश्वप्रसिद्ध बांग्ला फ़िल्म है। हिन्दी सिनेमा को भी उन्होंने ‘सद्गति’ और ‘शतरंज के खिलाड़ी’ जैसी फ़िल्में दीं। अपनी कला-मर्मज्ञता के कारण वे कई उच्चस्तरीय राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय समितियों के पदाधिकारी रहे। ऑस्कर समेत अनेक पुरस्कारों से सम्मानित।

निधन : 23 अप्रैल, 1992

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