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ASEEM PREM KI AUR (HINDI)
Publisher:
MANJUL
| Author:
SISTER SHIVANI with SURESH OBEROI
| Language:
English
| Format:
Paperback
Publisher:
MANJUL
Author:
SISTER SHIVANI with SURESH OBEROI
Language:
English
Format:
Paperback
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Weight | 458 g |
---|---|
Book Type |
ISBN:
Category: Self Help
Page Extent:
360
हममें से प्रत्येक नि:स्वार्थ प्रेम प्रसारित कर सकता है। हमें इसे रचने की आवश्यकता नहीं है – हम स्वयं प्रेम हैं। परंतु मानसिक ठेस, दोषारोपण, क्रोध, आलोचना, प्रतियोगिता या असुरक्षा के क्षणों में प्रेम का प्रवाह बाधित हो जाता है। ये भाव हमारी भावात्मक सहजता पर हावी हो गये हैं और हम अपने ही प्रेम को अनुभव नहीं कर पाते। इसलिए आज हम प्रेम पाने के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहते हैं। यह पुस्तक हमें सही तरह से सोचने, स्वयं से प्रेम करने, इसे महसूस करने और दूसरों तक पहुँचाने के योग्य बनाती है। इसका प्रमुख संदेश यही है कि प्रेम कहीं बाहर नहीं, हमारे भीतर बसा है। इस पुस्तक में मोह, अपेक्षा, भय, चिंता, तनाव व क्रोध आदि भावों का विश्लेषण किया गया है जिन्हें हम प्रेम के नाम पर इस्तेमाल करते हैं। जब आप किसी भी तरह के मूल्यांकन या अपेक्षा से मुक्त होते हैं, लोगों के लिए उचित प्रकार से सोचने लगते हैं, लोगों को उसी रूप में स्वीकार करने लगते हैं जैसे वे हैं, तब आप नि:स्वार्थ भाव से प्रेम का प्रसार करने वाले हो जाते हैं। अवेकनिंग विद ब्रह्मा कुमारीज़ वर्ष 2007 से, लोकप्रिय टी.वी. शो अवेकनिंग विद ब्रह्मा कुमारीज़ दुनिया भर में एक जाना-पहचाना नाम बन गया है। इसकी दो हज़ार से अधिक धारावाहिक कड़ियाँ यह संदेश देती हैं कि हमें कैसे और क्यों, एक निश्चित तरी़के से सोचना और व्यवहार करना चाहिए। दर्शक उत्कंठा, अवसाद, बुरी लत, आत्मविश्वास के अभाव तथा असुखद संबंधों से उबरने में सफल रहे और इतने विवेकशील बन गये जिसकी उन्होंने स्वयं कभी कल्पना तक नहीं की थी।
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Description
हममें से प्रत्येक नि:स्वार्थ प्रेम प्रसारित कर सकता है। हमें इसे रचने की आवश्यकता नहीं है – हम स्वयं प्रेम हैं। परंतु मानसिक ठेस, दोषारोपण, क्रोध, आलोचना, प्रतियोगिता या असुरक्षा के क्षणों में प्रेम का प्रवाह बाधित हो जाता है। ये भाव हमारी भावात्मक सहजता पर हावी हो गये हैं और हम अपने ही प्रेम को अनुभव नहीं कर पाते। इसलिए आज हम प्रेम पाने के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहते हैं। यह पुस्तक हमें सही तरह से सोचने, स्वयं से प्रेम करने, इसे महसूस करने और दूसरों तक पहुँचाने के योग्य बनाती है। इसका प्रमुख संदेश यही है कि प्रेम कहीं बाहर नहीं, हमारे भीतर बसा है। इस पुस्तक में मोह, अपेक्षा, भय, चिंता, तनाव व क्रोध आदि भावों का विश्लेषण किया गया है जिन्हें हम प्रेम के नाम पर इस्तेमाल करते हैं। जब आप किसी भी तरह के मूल्यांकन या अपेक्षा से मुक्त होते हैं, लोगों के लिए उचित प्रकार से सोचने लगते हैं, लोगों को उसी रूप में स्वीकार करने लगते हैं जैसे वे हैं, तब आप नि:स्वार्थ भाव से प्रेम का प्रसार करने वाले हो जाते हैं। अवेकनिंग विद ब्रह्मा कुमारीज़ वर्ष 2007 से, लोकप्रिय टी.वी. शो अवेकनिंग विद ब्रह्मा कुमारीज़ दुनिया भर में एक जाना-पहचाना नाम बन गया है। इसकी दो हज़ार से अधिक धारावाहिक कड़ियाँ यह संदेश देती हैं कि हमें कैसे और क्यों, एक निश्चित तरी़के से सोचना और व्यवहार करना चाहिए। दर्शक उत्कंठा, अवसाद, बुरी लत, आत्मविश्वास के अभाव तथा असुखद संबंधों से उबरने में सफल रहे और इतने विवेकशील बन गये जिसकी उन्होंने स्वयं कभी कल्पना तक नहीं की थी।
About Author
सिस्टर बी.के. शिवानी 1996 से ब्रह्मा कुमारीज़ के राज योग ध्यान की साधिका हैं। वे रोज़मर्रा के जीवन में आध्यात्मिक नियमों को स्थापित करने के लिए तार्किक और सहज उपाय प्रस्तुत करती हैं। उन्होंने दुनिया के अनेक देशों की यात्राएँ करते हुए ध्यान, भावात्मक कल्याण, संबंध व नेतृत्व जैसे विषयों पर अपना विवेक दर्शकों के बीच बाँटा है। उन्हें मनुष्य के व्यवहार में रूपांतरण में अपनी भूमिका के लिए भारत सरकार द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें वर्ल्ड साइकाइट्रिक असोसिएशन की ओर से सद्भावना राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया है। सुरेश ओबेरॉय एक अंतर्राष्ट्रीय रूप से ख्याति प्राप्त भारतीय फ़िल्म अभिनेता हैं, जिनके खाते में 250 से अधिक फ़िल्में दर्ज हैं। उन्हें 1982 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे व्यावहारिक जीवन में आध्यात्मिकता के अन्वेषण में विशेष रुचि रखते हैं और विभिन्न मंचों से इसका प्रचार करते आए हैं। संसार में अपना योगदान देने की गहरी इच्छा के साथ उन्होंने कई मानवतावादी कार्यों का शुभारंभ किया है। उन्हें वर्ल्ड साइकाइट्रिक असोसिएशन की ओर से सद्भावना राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया है।
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