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Apni Apni Bimari
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
हरिशंकर परसाई
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
हरिशंकर परसाई
Language:
Hindi
Format:
Paperback
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ISBN:
SKU
9789387024502
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
140
हास्य और व्यंग्य की परिभाषा करना कठिन है। यह तय करना भी कठिन है कि कहाँ हास्य खत्म होता है और व्यंग्य शुरू होता है। व्यंग्य से हँसी भी आ सकती है, पर इससे वह हास्य नहीं हो जाता। मुख्य बात है कथित वस्तु का उद्देश्य और सरोकार क्या है। व्यंग्य का सामाजिक सरोकार होता है इस सरोकार से व्यक्ति नहीं छूटता। श्रेष्ठ रचना चाहे वह किसी भी विधा में क्यों न हो, अनिवार्यतः और अन्ततः व्यंग्य ही होती है। इस अर्थ में हम व्यंग्य को चाहें तो तीव्रतम क्षमताशाली व्यंजनात्मकता के रूप में देख सकते हैं। व्यंग्य सहृदय में हलचल पैदा करता है। अपने प्रभाव में व्यंग्य करुण या कटु कुछ भी हो सकता है, मगर वह बेचैनी ज़रूर पैदा करेगा। पीड़ित, मजबूर, गरीब, शारीरिक विकृति का शिकार, नारी, नौकर आदि को हास्य का विषय बनाना कुरुचिपूर्ण और क्रूर है। लेखक को यह विवेक होना चाहिए कि किस पर हँसना और किस पर रोना। पीटनेवाले पर भी हँसना और पिटनेवाले पर भी हँसना विवेकहीन हास्य है। ऐसा लेखक संवेदना-शून्य होता है।
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Description
हास्य और व्यंग्य की परिभाषा करना कठिन है। यह तय करना भी कठिन है कि कहाँ हास्य खत्म होता है और व्यंग्य शुरू होता है। व्यंग्य से हँसी भी आ सकती है, पर इससे वह हास्य नहीं हो जाता। मुख्य बात है कथित वस्तु का उद्देश्य और सरोकार क्या है। व्यंग्य का सामाजिक सरोकार होता है इस सरोकार से व्यक्ति नहीं छूटता। श्रेष्ठ रचना चाहे वह किसी भी विधा में क्यों न हो, अनिवार्यतः और अन्ततः व्यंग्य ही होती है। इस अर्थ में हम व्यंग्य को चाहें तो तीव्रतम क्षमताशाली व्यंजनात्मकता के रूप में देख सकते हैं। व्यंग्य सहृदय में हलचल पैदा करता है। अपने प्रभाव में व्यंग्य करुण या कटु कुछ भी हो सकता है, मगर वह बेचैनी ज़रूर पैदा करेगा। पीड़ित, मजबूर, गरीब, शारीरिक विकृति का शिकार, नारी, नौकर आदि को हास्य का विषय बनाना कुरुचिपूर्ण और क्रूर है। लेखक को यह विवेक होना चाहिए कि किस पर हँसना और किस पर रोना। पीटनेवाले पर भी हँसना और पिटनेवाले पर भी हँसना विवेकहीन हास्य है। ऐसा लेखक संवेदना-शून्य होता है।
About Author
राष्ट्रभाषा परिषद् पुरस्कार, भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, गिरिजाकुमार माथुर पुरस्कार, ऋतुराज सम्मान, साहित्यकार सम्मान से शोभित अनामिका का जन्म 17 अगस्त, 1961, मुजफ्फरपुर, बिहार में हुआ । इन्होंने एम.ए., पीएच.डी.( अंग्रेजी), दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राप्त की । तिनका तिनके पास (उपन्यास),कहती हैं औरतें (सम्पादित कविता संग्रह) प्रकाशित हैं । वर्तमान में रीडर,अंग्रेजी विभाग, सत्यवती कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय ।
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