Anuvad Aur Anuprayog

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dinesh Chamola ‘Shailesh’
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Dinesh Chamola ‘Shailesh’
Language:
Hindi
Format:
Hardback

338

Save: 25%

Out of stock

Ships within:
1-4 Days

Out of stock

Weight 431 g
Book Type

ISBN:
SKU 9789384343972 Categories , Tag
Categories: ,
Page Extent:
234

अनुवाद का संबंध भाव, विचार, सृजन एवं रचना की प्रारंभिक प्रक्रिया से स्वतः ही जुड़ जाता है। यद्यपि अनुवाद कही हुई बात अथवा ज्ञात उक्ति का पुनर्कथन है, लेकिन क्या भावों का अनुवाद विचार; विचारों का अनुवाद रचना नहीं है? अनुभूति ही दूसरे अर्थों में अनूदित अथवा अंतरित होकर अन्यान्य अभिव्यक्तियों का रूप ग्रहण कर चिंतनधारा को विस्तारित करती आई है। अनुवाद वस्तुतः किसी एक भाषा में बहुप्रचलित अथवा अत्यल्प प्रचलित भाव, ज्ञान अथवा किसी भी प्रकार की संपदा का अधिकाधिक श्रोताओं, उपभोक्ताओं व पाठकों तक संबंधित ज्ञान, भाव, विचार अथवा सामग्री के प्रचार-प्रसार का एक प्रभावी माध्यम है। अनुवाद आज के सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, राजनैतिक, आर्थिक व व्यावहारिक जीवन का ही नहीं, बल्कि समेकित जीवन पद्धति की अपरिहार्य अपेक्षा हो गई है। इसके अभाव में जीवन में अभिव्यक्ति व बहुविध ज्ञानार्जन की कल्पना नहीं की जा सकती। अनुवाद आज के ज्ञान-प्रसार का प्राण-तत्त्व है। इस पुस्तक में विभिन्न मंत्रालयों, कार्यालयों तथा साहित्य के अन्यान्य क्षेत्रों में प्रयुक्त व हस्तगत, संगृहीत विगत दशकों की बिखरी शब्द संपदा को अलग-अलग अनुप्रयोगों के संदर्भ में सहेजने का एक विनम्र प्रयास किया गया है। कार्यालयीन संदर्भों के साथ-साथ यह लेखक, विद्यार्थी एवं विश्वविद्यालय के अनुवाद से जुड़े शोधार्थियों के लिए भी समान रूप से उपादेय है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Anuvad Aur Anuprayog”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

अनुवाद का संबंध भाव, विचार, सृजन एवं रचना की प्रारंभिक प्रक्रिया से स्वतः ही जुड़ जाता है। यद्यपि अनुवाद कही हुई बात अथवा ज्ञात उक्ति का पुनर्कथन है, लेकिन क्या भावों का अनुवाद विचार; विचारों का अनुवाद रचना नहीं है? अनुभूति ही दूसरे अर्थों में अनूदित अथवा अंतरित होकर अन्यान्य अभिव्यक्तियों का रूप ग्रहण कर चिंतनधारा को विस्तारित करती आई है। अनुवाद वस्तुतः किसी एक भाषा में बहुप्रचलित अथवा अत्यल्प प्रचलित भाव, ज्ञान अथवा किसी भी प्रकार की संपदा का अधिकाधिक श्रोताओं, उपभोक्ताओं व पाठकों तक संबंधित ज्ञान, भाव, विचार अथवा सामग्री के प्रचार-प्रसार का एक प्रभावी माध्यम है। अनुवाद आज के सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, राजनैतिक, आर्थिक व व्यावहारिक जीवन का ही नहीं, बल्कि समेकित जीवन पद्धति की अपरिहार्य अपेक्षा हो गई है। इसके अभाव में जीवन में अभिव्यक्ति व बहुविध ज्ञानार्जन की कल्पना नहीं की जा सकती। अनुवाद आज के ज्ञान-प्रसार का प्राण-तत्त्व है। इस पुस्तक में विभिन्न मंत्रालयों, कार्यालयों तथा साहित्य के अन्यान्य क्षेत्रों में प्रयुक्त व हस्तगत, संगृहीत विगत दशकों की बिखरी शब्द संपदा को अलग-अलग अनुप्रयोगों के संदर्भ में सहेजने का एक विनम्र प्रयास किया गया है। कार्यालयीन संदर्भों के साथ-साथ यह लेखक, विद्यार्थी एवं विश्वविद्यालय के अनुवाद से जुड़े शोधार्थियों के लिए भी समान रूप से उपादेय है।

About Author

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Anuvad Aur Anuprayog”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED