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Anuvad Anusrijan (HB)

Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
A. Arvindakshan
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Author:
A. Arvindakshan
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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प्रौद्योगिकी के प्रचुर विकास के साथ अनुवाद का एक नया आयाम सामने आ गया और वह है—मशीनी अनुवाद। कई संस्थाएँ देश-विदेश में इस नई प्रौद्योगिकी के विकास में योगदान दे रही हैं। मशीनी अनुवाद की पूरी प्रक्रिया तथा तत्सम्बन्धी समस्याओं का बहुत बड़ा क्षेत्र है जो आजकल अनुवाद के क्षेत्र में नूतन आविष्कारों के साथ सामने आ रहा है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के साथ मशीनी अनुवाद भी विकसित होता जा रहा है। मशीनी अनुवाद के विकास ने तथा उसकी अनन्त सम्भावनाओं ने अनुवाद-कार्य को प्रोफ़ेशनल स्वरूप प्रदान किया है। यही नहीं, अनुवाद के प्रोफ़ेशनल स्वरूप को देखते हुए ऐसा ही लगता है कि यह एक इंडस्ट्री के रूप में विकसित हो सकता है। भारत जैसे बहुभाषी देश में इसकी सम्भावनाएँ अधिक हैं। यह ग्रन्थ अनुवाद को दो तरह से देख रहा है—अकादमिक तथा प्रोफ़ेशनल स्तर से। अनुवाद में ये दोनों मुख्य हैं। मेरा यही विचार है कि अनुवाद के विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं अध्यापकों के लिए यह ग्रन्थ उपयोगी सिद्ध होगा।
—भूमिका से

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Description

प्रौद्योगिकी के प्रचुर विकास के साथ अनुवाद का एक नया आयाम सामने आ गया और वह है—मशीनी अनुवाद। कई संस्थाएँ देश-विदेश में इस नई प्रौद्योगिकी के विकास में योगदान दे रही हैं। मशीनी अनुवाद की पूरी प्रक्रिया तथा तत्सम्बन्धी समस्याओं का बहुत बड़ा क्षेत्र है जो आजकल अनुवाद के क्षेत्र में नूतन आविष्कारों के साथ सामने आ रहा है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के साथ मशीनी अनुवाद भी विकसित होता जा रहा है। मशीनी अनुवाद के विकास ने तथा उसकी अनन्त सम्भावनाओं ने अनुवाद-कार्य को प्रोफ़ेशनल स्वरूप प्रदान किया है। यही नहीं, अनुवाद के प्रोफ़ेशनल स्वरूप को देखते हुए ऐसा ही लगता है कि यह एक इंडस्ट्री के रूप में विकसित हो सकता है। भारत जैसे बहुभाषी देश में इसकी सम्भावनाएँ अधिक हैं। यह ग्रन्थ अनुवाद को दो तरह से देख रहा है—अकादमिक तथा प्रोफ़ेशनल स्तर से। अनुवाद में ये दोनों मुख्य हैं। मेरा यही विचार है कि अनुवाद के विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं अध्यापकों के लिए यह ग्रन्थ उपयोगी सिद्ध होगा।
—भूमिका से

About Author

ए. अरविंदाक्षन

प्रमुख कृतियाँ : ‘बाँस का टुकड़ा’, ‘घोड़ा’, ‘आसपास’, ‘सपने सच होते हैं’, ‘राग लीलावती’, ‘असंख्य ध्वनियों के बीच’, ‘भरा-पूरा घर’, ‘पतझड़ का इतिहास’, ‘राम की यात्रा’, ‘जंगल नज़दीक आ रहा है’ (कविता-संग्रह); ‘महादेवी वर्मा के रेखाचित्र’, ‘अज्ञेय की उपन्यास-यात्रा’, ‘आधारशिला’, ‘समकालीन हिन्दी कविता’, ‘कविता का थल और काल’, ‘कविता सबसे सुन्दर सपना है’, ‘रचना के विकल्प’, ‘साहित्य’, ‘संस्कृति और भारतीयता’, ‘समकालीन कविता की भारतीयता’, ‘प्रेमचन्द : भारतीय कथाकार’, ‘कविता की संस्कृति’, ‘शब्द की यात्रा’ (आलोचना); ‘आधुनिक मलयालम कविता’, ‘आकलन’, ‘कमपेरेटिव इंडियन लिटरेचर’, ‘कथाशिल्पी गिरिराज किशोर’, ‘कवितयुटे पुतिय मुखम’, ‘बहुरंगी कविताएँ’, ‘कविता का यथार्थ’, ‘निराला : एक पुनर्मूल्यांकन’, ‘प्रेमचन्द के आयाम’, ‘महादेवी वर्मा’, ‘नागार्जुन’, ‘कविता अज्ञेय’, ‘हमारे समय में मुक्तिबोध’, ‘साइंस कम्युनिकेशन’, ‘कविता आज’, आलोचना और संस्कृति’, ‘बुनियादी तालीम’, ‘विवेकतिन्टे’, ‘सौन्दर्यम्’, ‘एम.के. सानुविन्टे क्रिटिकल’ (सम्पादन); ‘भारत पर्यटनम’, ‘एवम् इन्द्रजीत्’, ‘कोमल गांधार’, ‘प्रेम एक एलबम’, ‘कोच्ची के दरख़्त’, ‘अक्षर’, ‘सर्वेश्वरदयाल सक्सेनयुटे कवितकल’, ‘अमेरिका : एक अद् भुत दुनिया’, ‘मलयालम की स्त्री-कविता’, ‘एकीलुम चिलतु वकियाकुम’, ‘आधुनिक हिन्दी कविता’, ‘असमिया कथकल’, ‘नाटक जारी है’ आदि (अनुवाद)।

सम्मान : बीस से अधिक राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार; साहित्य सम्मलेन, प्रयाग का सर्वोच्च सम्मान ‘साहित्य वाचस्पति’ से विभूषित। महात्मा गांधी अं.हिं.वि.वि., वर्धा के प्रति-उपकुलपति रहे हैं।

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