Anupameya Shankar

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Neerja Madhav
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Neerja Madhav
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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अछूते विषयों पर लिखे गए अपने उपन्यासों के कारण लगातार चर्चा में रहनेवाली सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ. नीरजा माधव का यह नवीन उपन्यास ‘अनुपमेय शंकर’ भगवान् आदि शंकराचार्य के जीवन के अनछुए प्रसंगों को रेखांकित करनेवाली एक अद्वितीय कृति है। ‘प्रचंड ग्रीष्म ऋतु के कारण सभी पशु-पक्षी व्याकुल थे। भीषण ताप से बचने के लिए मछलियाँ भी जल के भीतर शरण ले चुकी थीं। चिडि़याँ अपने-अपने घोसलों में दुबकी थीं, हंस कमलपत्रों में छिपकर भीषण ताप से स्वयं को बचाने का प्रयास कर रहे थे। ऐसी नीरव बेला में तुम अपने शिष्यों के साथ कमलपुष्प के पराग से सुगंधित गंगा की ओर बढ़े जा रहे थे। तुम सब चुप थे। बस तुम्हारी खड़ाऊँ की मद्धिम खट्-खट् से सन्नाटा भंग हो रहा था, मानो विपरीत मतावलंबियों को तुम चेतावनी दे रहे थे। —इसी उपन्यास से.

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Description

अछूते विषयों पर लिखे गए अपने उपन्यासों के कारण लगातार चर्चा में रहनेवाली सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ. नीरजा माधव का यह नवीन उपन्यास ‘अनुपमेय शंकर’ भगवान् आदि शंकराचार्य के जीवन के अनछुए प्रसंगों को रेखांकित करनेवाली एक अद्वितीय कृति है। ‘प्रचंड ग्रीष्म ऋतु के कारण सभी पशु-पक्षी व्याकुल थे। भीषण ताप से बचने के लिए मछलियाँ भी जल के भीतर शरण ले चुकी थीं। चिडि़याँ अपने-अपने घोसलों में दुबकी थीं, हंस कमलपत्रों में छिपकर भीषण ताप से स्वयं को बचाने का प्रयास कर रहे थे। ऐसी नीरव बेला में तुम अपने शिष्यों के साथ कमलपुष्प के पराग से सुगंधित गंगा की ओर बढ़े जा रहे थे। तुम सब चुप थे। बस तुम्हारी खड़ाऊँ की मद्धिम खट्-खट् से सन्नाटा भंग हो रहा था, मानो विपरीत मतावलंबियों को तुम चेतावनी दे रहे थे। —इसी उपन्यास से.

About Author

जन्म: 15 मार्च, 1962 को ग्राम कोतवालपुर, पो. मुफ्तीगंज, जौनपुर में। शिक्षा: एम.ए. (अंगे्रजी), बी.एड., पी-एच.डी.। प्रकाशन: ‘चिटके आकाश का सूरज’, ‘अभी ठहरो अंधी सदी’, ‘आदिमगंध तथा अन्य कहानियाँ’, ‘पथ-दंश’, ‘चुप चंतारा रोना नहीं’, ‘प्रेम संबंधों की कहानियाँ’, ‘वाया पांडेयपुर चौराहा’ (कहानी-संग्रह); ‘प्रथम छंद से स्वप्न’, ‘प्रस्थानत्रयी’, ‘प्यार लौटना चाहेगा’, ‘लिखते हुए शोक-गीत’ (कविता-संग्रह); ‘यमदीप’, ‘तेभ्यः स्वधा’, ‘गेशे जंपा’, ‘अनुपमेय शंकर’, ‘अवर्ण महिला कांस्टेबल की डायरी’, ‘ईहामृग’, ‘धन्यवाद सिवनी’, ‘रात्रिकालीन संसद्’, ‘देनपा: तिब्बत की डायरी’ (उपन्यास); ‘चैत चित्त मन महुआ’, ‘साँझी फूलन चीति’, ‘रेडियो का कला पक्ष’, ‘हिंदी साहित्य का ओझल नारी इतिहास (सन् 1857-1947)’, ‘यह राम कौन हैं’, ‘शंकराचार्य: पीठ और परंपरा’, ‘साहित्य और संस्कृति की पृष्ठभूमि’, ‘भारत रत्न: लाल बहादुर शास्त्री’, ‘तत्त्वबोध विवेचनी’ (ललित निबंध)। इनकी अनेक कृतियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। कुछ रचनाएँ विभिन्न पाठ्यक्रमों में शामिल। पुरस्कार-सम्मान: ‘सर्जना पुरस्कार’, ‘यशपाल पुरस्कार’, म.प्र. साहित्य अकादमी पुरस्कार, ‘शैलेश मटियानी राष्ट्रीय कथा पुरस्कार’, ‘शंकराचार्य पुरस्कार’, ‘राष्ट्रीय साहित्य सर्जक सम्मान’। संप्रति: कार्यक्रम अधिशासी, आकाशवाणी (प्रसार भारती)।

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