Anupameya Shankar
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अछूते विषयों पर लिखे गए अपने उपन्यासों के कारण लगातार चर्चा में रहनेवाली सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ. नीरजा माधव का यह नवीन उपन्यास ‘अनुपमेय शंकर’ भगवान् आदि शंकराचार्य के जीवन के अनछुए प्रसंगों को रेखांकित करनेवाली एक अद्वितीय कृति है। ‘प्रचंड ग्रीष्म ऋतु के कारण सभी पशु-पक्षी व्याकुल थे। भीषण ताप से बचने के लिए मछलियाँ भी जल के भीतर शरण ले चुकी थीं। चिडि़याँ अपने-अपने घोसलों में दुबकी थीं, हंस कमलपत्रों में छिपकर भीषण ताप से स्वयं को बचाने का प्रयास कर रहे थे। ऐसी नीरव बेला में तुम अपने शिष्यों के साथ कमलपुष्प के पराग से सुगंधित गंगा की ओर बढ़े जा रहे थे। तुम सब चुप थे। बस तुम्हारी खड़ाऊँ की मद्धिम खट्-खट् से सन्नाटा भंग हो रहा था, मानो विपरीत मतावलंबियों को तुम चेतावनी दे रहे थे। —इसी उपन्यास से.
अछूते विषयों पर लिखे गए अपने उपन्यासों के कारण लगातार चर्चा में रहनेवाली सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ. नीरजा माधव का यह नवीन उपन्यास ‘अनुपमेय शंकर’ भगवान् आदि शंकराचार्य के जीवन के अनछुए प्रसंगों को रेखांकित करनेवाली एक अद्वितीय कृति है। ‘प्रचंड ग्रीष्म ऋतु के कारण सभी पशु-पक्षी व्याकुल थे। भीषण ताप से बचने के लिए मछलियाँ भी जल के भीतर शरण ले चुकी थीं। चिडि़याँ अपने-अपने घोसलों में दुबकी थीं, हंस कमलपत्रों में छिपकर भीषण ताप से स्वयं को बचाने का प्रयास कर रहे थे। ऐसी नीरव बेला में तुम अपने शिष्यों के साथ कमलपुष्प के पराग से सुगंधित गंगा की ओर बढ़े जा रहे थे। तुम सब चुप थे। बस तुम्हारी खड़ाऊँ की मद्धिम खट्-खट् से सन्नाटा भंग हो रहा था, मानो विपरीत मतावलंबियों को तुम चेतावनी दे रहे थे। —इसी उपन्यास से.
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