EK SADAK EK JAGAH 333

Save: 10%

Back to products
CINEMA JALSAGHAR 420

Save: 20%

ANTIM SANGRILA KI DHARTI MEIN : BHUTAN PRAVAS KE ANUBHAV

Publisher:
SETU PRAKASHAN
| Author:
RAGUBIR CHAND
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
SETU PRAKASHAN
Author:
RAGUBIR CHAND
Language:
Hindi
Format:
Hardback

975

Save: 25%

In stock

Ships within:
3-5 Days

In stock

Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789389830682 Category
Category:
Page Extent:
548

भूटान देखने-समझने की लालसा हर किसी यात्री के मन में विद्यमान होगी। इसका मूल कारण सम्भवतया भूटान का वह विशिष्ट सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश है जो भिन्न-भिन्न कालखण्डों के प्रभाव व स्पर्श से गुज़रते हुए भी अपने मूल स्वभाव के साथ अपनी एक भिन्न पहचान बनाये रखने में सफल रहा है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “ANTIM SANGRILA KI DHARTI MEIN : BHUTAN PRAVAS KE ANUBHAV”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

भूटान देखने-समझने की लालसा हर किसी यात्री के मन में विद्यमान होगी। इसका मूल कारण सम्भवतया भूटान का वह विशिष्ट सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश है जो भिन्न-भिन्न कालखण्डों के प्रभाव व स्पर्श से गुज़रते हुए भी अपने मूल स्वभाव के साथ अपनी एक भिन्न पहचान बनाये रखने में सफल रहा है।

About Author

प्रो. रघुबीर चन्द कुमाऊँ विश्वविद्यालय के डी.एस.बी. परिसर, नैनीताल में पिछले चार दशकों से भूगोल के प्राध्यापक हैं। अभी वे कला संकाय के डीन भी हैं। उनकी अभिरुचि के केन्द्र में आम जनजीवन, दूरस्थ एवं सीमान्त समाजों का अध्ययन रहा है। लद्दाख के पाकिस्तान सीमा पर सिन्धु से लगे दा, हनू ग्रामों से लेकर कराकोरम के नज़दीक बसे गाँवों; हिमाचल से लद्दाख जाते हुए सेरी चू के दूरस्थ गाँवों से लेकर उत्तराखण्ड की सीमान्त घाटियों तक और पूर्वी हिमालय तथा भटान में तिब्बती सीमान्त की यात्राएँ और अध्ययन उन्होंने किये हैं। भूटान में उन्हें दो बार रहने का मौक़ा मिला—पहली बार 1998 से 2001 तक और दूसरी बार 2008 से 2010 तक। उन्होंने भूटान में राजतन्त्र से लोकतन्त्र की तरफ़ जाता हुआ ऐतिहासिक प्रवाह देखा। हाल के वर्षों में अमेरिका के रॉकी पर्वतमाला के मूल बाशिन्दों-अक्सकापी पिकूनी समाज के 2014-15 में अर्जित उनके अनुभव महत्त्वपूर्ण हैं। पूर्वी भूटान के ब्रोक्पा समुदाय पर उनकी पुस्तक ‘हिडन हाइलैण्डर्स’ प्रकाशित हुई है। तीन महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का सम्पादन उन्होंने किया है। वे भगोलविदों के अन्तरराष्ट्रीय संगठन (आई.जी.य.) के सक्रिय सदस्य हैं। वे हिमालय सम्बन्धी प्रकाशन ‘पहाड़’ के सम्पादक मण्डल के सदस्य हैं। 2021 में इनका निधन हुआ।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “ANTIM SANGRILA KI DHARTI MEIN : BHUTAN PRAVAS KE ANUBHAV”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED