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Antatah
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
विवेकानन्द
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
विवेकानन्द
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹195 ₹194
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SKU
9789357756310
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
50
बिहार के गाँव की पृष्ठभूमि पर लिखा गया प्रस्तुत नाटक देशभर में व्याप्त बेरोज़गारी की समस्या तथा इससे उत्पन्न महँगाई व भ्रष्टाचार को शोषण व उत्पीड़न के परिप्रेक्ष्य में उजागर करता है। नाटक अन्ततः में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ खड़े एक ऐसे युवक की संघर्ष गाथा है जो अपने अधिकारों की लड़ाई में अन्ततः धार्मिक अन्धविश्वासों द्वारा छला जाता है।
यह नाटक अपनी सम्पूर्णता में हमें सोच के उस बिन्दु तक साथ ले जाने का सफल प्रयत्न करता है, जहाँ बरबस यह सवाल मन को कचोटने लगता है कि आज के परिवर्तित बाह्य स्वरूप के बावजूद हमारे समाज में टुच्चेस्वार्थों से परिचालित विसंगतियाँ आज भी क्यों ज्यों-की-त्यों बरक़रार हैं। और शायद यही कारण है कि प्रगति की तमाम सही योजनाएँ गलत हाथों में पड़कर अपने क्रियान्वयन की प्रक्रिया में लक्ष्य-भ्रष्ट हो रही हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि भ्रष्टाचार सिर्फ़ बाह्य जगत् में ही व्याप्त नहीं बल्कि हमारे भीतर कहीं गहरे तक पैठ चुका है।
हास्य, विनोद व व्यंग्य के हल्के-फुल्के वातावरण में बेहद सहज, सरल एवं स्वाभाविक घटनाओं व संवादों के माध्यम से यह नाटक न केवल गहरी वैचारिकता जगाता है, बल्कि अपने पाठकों दर्शकों को अनिश्चयात्मक व निर्णयात्मक बिन्दु तक ले जा छोड़ता है जहाँ से एक सकारात्मक परिवर्तन की भूमिका की शुरुआत होती है।
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Description
बिहार के गाँव की पृष्ठभूमि पर लिखा गया प्रस्तुत नाटक देशभर में व्याप्त बेरोज़गारी की समस्या तथा इससे उत्पन्न महँगाई व भ्रष्टाचार को शोषण व उत्पीड़न के परिप्रेक्ष्य में उजागर करता है। नाटक अन्ततः में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ खड़े एक ऐसे युवक की संघर्ष गाथा है जो अपने अधिकारों की लड़ाई में अन्ततः धार्मिक अन्धविश्वासों द्वारा छला जाता है।
यह नाटक अपनी सम्पूर्णता में हमें सोच के उस बिन्दु तक साथ ले जाने का सफल प्रयत्न करता है, जहाँ बरबस यह सवाल मन को कचोटने लगता है कि आज के परिवर्तित बाह्य स्वरूप के बावजूद हमारे समाज में टुच्चेस्वार्थों से परिचालित विसंगतियाँ आज भी क्यों ज्यों-की-त्यों बरक़रार हैं। और शायद यही कारण है कि प्रगति की तमाम सही योजनाएँ गलत हाथों में पड़कर अपने क्रियान्वयन की प्रक्रिया में लक्ष्य-भ्रष्ट हो रही हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि भ्रष्टाचार सिर्फ़ बाह्य जगत् में ही व्याप्त नहीं बल्कि हमारे भीतर कहीं गहरे तक पैठ चुका है।
हास्य, विनोद व व्यंग्य के हल्के-फुल्के वातावरण में बेहद सहज, सरल एवं स्वाभाविक घटनाओं व संवादों के माध्यम से यह नाटक न केवल गहरी वैचारिकता जगाता है, बल्कि अपने पाठकों दर्शकों को अनिश्चयात्मक व निर्णयात्मक बिन्दु तक ले जा छोड़ता है जहाँ से एक सकारात्मक परिवर्तन की भूमिका की शुरुआत होती है।
About Author
चर्चित कथाकार डॉ. विवेकानन्द, जिन्होंने सन् अस्सी के दशक में 'धर्मयुग', 'सारिका' और 'कहानी' जैसी लब्धप्रतिष्ठ पत्रिकाओं से अपनी पहचान बनायी, का जन्म 16 जून 1956 को बिहार के हसन बाज़ार, भोजपुर में हुआ था।
विकास विद्यालय, राँची से हायर सेकेंड्री करने के पश्चात् सन् 1974 में उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली आये तथा दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक एवं हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर उत्तीर्ण करने के उपरान्त एफ.टी.आई. आई., पुणे से टेलीविज़न कार्यक्रमों के निर्माण-निर्देशन में डिप्लोमा लिया। कोटा मुक्त तत्पश्चात् दिल्ली दूरदर्शन केन्द्र, नयी दिल्ली में सहप्रस्तोता, हिन्दी अधिकारी व कार्यक्रम अधिकारी के रूप में काम करते हुए विश्वविद्यालय से जनसंचार माध्यम में स्नातक एवं स्नातकोत्तर डिग्री ली। इसके पश्चात् 'कमलेश्वर के कथा-साहित्य में युग चेतना' विषय पर पीएच. डी. की डिग्री प्राप्त की ।
पहला कहानी-संग्रह शिवलिंगम् तथा अन्य कहानियाँ सन् 1986 में प्रकाशित हुआ। फिर अन्ततः नाटक, 'भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा 'युवा पीढ़ी सम्मान' से पुरस्कृत तथा प्रकाशित। इनके अलावा सार्त्र के नाटक नो एग्ज़िट का अनुवाद बन्द रास्तों के बीच; टेलीफ़िल्म: निर्माण कला तथा कहानीकार कमलेश्वर और हमारा समय नामक पुस्तकें प्रकाशित। कमलेश्वर की कहानी नागमणि, मुंशी प्रेमचन्द की कहानी मन्त्र पर टेलीफ़िल्म का निर्माण, निर्देशन एवं पटकथा व संवाद-लेखन । मन्त्र को राष्ट्रीय स्तर का सम्मान। साथ ही, गूँगे सुर बाँसुरी के, अँधेरे के घेरे, रात भर की बात, ढलती शाम के समय तथा लिपि की कहानी आदि अन्य टेलीफ़िल्में। डी.डी. के राष्ट्रीय प्रसारण में बहुप्रसारित तथा बहुपुरस्कृत लेखक-निर्देशक ।
दूरदर्शन के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिशासी पद से 2015 में सेवानिवृत्त । फ़िलहाल स्वतन्त्र लेखन ।
सम्पर्क : 13/1186, सेक्टर-13, वसुन्धरा, गाज़ियाबाद- 201012 ( उत्तर प्रदेश)।
मो. : 9868188347
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