SaleHardback
Amrushatakam (HB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
Kamleshdutt Tripathi
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Kamleshdutt Tripathi
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹750 ₹525
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In stock
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3-5 days
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ISBN:
SKU
9788126730971
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
‘अमरुशतकम्’ संस्कृत काव्य का एक गौरव-ग्रन्थ है। उसमें ऐन्द्रियता और शृंगार की, प्रेम और रति की अपार सूक्ष्मताएँ और छबियाँ ऐसे अद्भुत काव्य-कौशल से उकेरी गई हैं कि उनका मूल संस्कृत के अलावा हिन्दी अनुवाद में भी आस्वाद सम्भव है। यह संचयन एक बार फिर याद दिलाता है कि भारतीय शृंगार की परम्परा विश्व स्तर पर एक अनोखी परम्परा है जिसमें बखान, उन्मीलन, सांकेतिकता, अन्वय आदि के अनेक पक्ष कविता में सहज सम्भव होते रहे हैं। हम इस पुस्तक के पुनर्प्रकाशन से उस विरासत की ओर आधुनिक काव्य-रसिकों का ध्यान खींचने की चेष्टा कर रहे हैं।
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Description
‘अमरुशतकम्’ संस्कृत काव्य का एक गौरव-ग्रन्थ है। उसमें ऐन्द्रियता और शृंगार की, प्रेम और रति की अपार सूक्ष्मताएँ और छबियाँ ऐसे अद्भुत काव्य-कौशल से उकेरी गई हैं कि उनका मूल संस्कृत के अलावा हिन्दी अनुवाद में भी आस्वाद सम्भव है। यह संचयन एक बार फिर याद दिलाता है कि भारतीय शृंगार की परम्परा विश्व स्तर पर एक अनोखी परम्परा है जिसमें बखान, उन्मीलन, सांकेतिकता, अन्वय आदि के अनेक पक्ष कविता में सहज सम्भव होते रहे हैं। हम इस पुस्तक के पुनर्प्रकाशन से उस विरासत की ओर आधुनिक काव्य-रसिकों का ध्यान खींचने की चेष्टा कर रहे हैं।
About Author
कमलेशदत्त त्रिपाठी
1936 में इलाहाबाद (उ.प्र.) में जन्मे कमलेशदत्त त्रिपाठी भारत की संस्कृत रंगमंच परम्परा, नाट्य-शास्त्र और सौन्दर्य-शास्त्र के विशेषज्ञ और प्रमुख नाट्य-चिन्तक व बीएचयू वाराणसी के प्रोफ़ेसर एमेरिटस हैं। उत्तर आधुनिक विश्व में संस्कृत रंगमंच को पुनर्नवा करने में आपकी केन्द्रीय भूमिका रही है। आपको सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी द्वारा आचार्य की पदवी से सम्मानित किया गया है। आपने पं. छोटेलाल मालवीय से तबला भी सीखा है।
सन् 2007 से कमलेशदत्त जी इन्दिरा गांधी नेशनल सेंटर फ़ॉर द आर्ट्स के सलाहकार रहे हैं। आपने कालिदास अकादेमी, उज्जैन के निर्देशक पद पर कार्य करते हुए संस्थान को संस्कृत अध्ययन और रंगमंच के एक अन्तरराष्ट्रीय केन्द्र के रूप में स्थापित किया है। आपने देश-विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों में अतिथि प्रो. के रूप में वर्षों तक पढ़ाया है। आपने अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों का अनुवाद और सम्पादन किया है। अनेक सम्मानों से विभूषित हुए कमलेशदत्त जी संगीत नाटक अकादेमी के फ़ेलो भी रहे हैं।
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