Ameena

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
मोहम्मद कबीर उमर
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
मोहम्मद कबीर उमर
Language:
Hindi
Format:
Hardback

265

Save: 10%

In stock

Ships within:
10-12 Days

In stock

Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788181436054 Category
Category:
Page Extent:
232

अमीना –
अमीना एक ऐसी स्त्री की प्रेरक गाथा है जो अपनी ज़िन्दगी पर बोझ बन चुके जन्मना बन्धनों को चुनौती देती है। प्रतिरोध की इस प्रक्रिया में उपन्यास की नायिका एक ऐसा बदलाव लाने में सफल होती है जिसका प्रभाव उसकी निजी ज़िन्दगी तक ही सीमित नहीं रहता। यह कृति ऐसे मुद्दों पर रोशनी डालती है, जिन पर आम तौर पर कथा साहित्य में चर्चा नहीं की जाती, लेकिन जिनके कारण असंख्य स्त्रियों की ज़िन्दगी प्रभावित होती है। ये मुद्दे हैं : मुसलमान स्त्रियों का क़ानूनी दर्जा, पारम्परिक और धार्मिक रीति-रिवाजों द्वारा उन पर लगायी जाने वाली पाबन्दियाँ, निजी रिश्तों में पुरुष सत्ता द्वारा अक्सर की जाने वाली निर्द्वन्द्व अवमानना…। लेकिन, यह कृति केवल एक सामाजिक दस्तावेज़ ही नहीं है। यह उपन्यास न केवल हमारे ज़माने की एक असाधारण स्त्री के विश्वसनीय चित्रण के ज़रिये हमारी हमदर्दी जीत लेता है, बल्कि साथ-साथ बड़ी कुशलता से सोलहवीं सदी की वीरांगना रानी, जाज्जाऊ की अमीना की समान्तर कहानी भी कहता चला जाता है। अनुभव की प्रामाणिकता से उद्भूत आवेग के साथ रची गयी, एक स्त्री की निगाह से व्यक्त होने वाली और एक उत्तरी नाइजीरियाई पुरुष की क़लम से निकली इस कथा से भविष्य के प्रति आशा का सन्देश मिलता है।
न्यू जर्सी के अफ्रीका वर्ल्ड प्रेस द्वारा पहली बार अंग्रेज़ी में प्रकाशित अमीना का अब तक दस भाषाओं, फ्रेंच, यूनानी, सर्बियायी, तुर्की, अरबी, अजेरी, उर्दू, हिन्दी, मलयालम, तमिल, भाषा इन्डोनेशिया, स्पानी, वियतनामी और चीनी, में हो चुका है। हज़ारों-हज़ार महिला और पुरुष पाठकों ने इस उपन्यास को हाथों-हाथ लिया है, क्योंकि यह सत्य का वैसा ही चित्रण करता है। जैसा वह है।’
यह लेखक की पहली किताब है। इसकी ताज़गी और चमक ताज्जुब में डाल देती है।
-निसरदार बुक ऑफ़ दि इयर न्यू स्टेटमेन
मुहम्मद उमर की इस रचना से हमें मर्दों की दुनिया में स्त्री होने की हक़ीक़त की गहराइयों में झाँकने का मौका मिलता है। यह किताब मुसलमान जगत की सभी उत्पीड़ित स्त्रियों के लिए उम्मीद की एक मशाल की तरह है। विषमता, भेदभाव, पूर्वग्रह, अत्याचार और अवमानना के ख़िलाफ़ इन स्त्रियों का संघर्ष बहुत पुराना न होने के बावजूद बड़ा ज़ोरदार हैं। -पत्रकार अरब न्यूज़सदी अरब
एक सकारात्मक और प्रेरक गाथा…किसी कहानी से यही अपेक्षा की जा सकती है कि उसका पाठक ज्ञान और आलोक के रास्ते पर सफ़र करता हुआ चला जायेगा। -ऐन मेरी स्मिथ, कनेडियन आलोचक
अमीना की शुरुआत किसी धीमे और मधुर संगीत की तरह होती है और कठोर घटनाओं के बीच भी वह अपने इसी राग को बनाये रखती है। मेरे ख़याल से यही है इस किताब की सबसे ख़ास बात आक्रोश का स्वर ऊँचा होने के बाद भी यह नरम संगीत बजता रहता है। -प्रोफ़ेसर फ़ातिमा मेरनिसी, मोरक्को की समाजशास्त्री और इस्लाम में स्त्रियों की स्थिति पर कई पुस्तकों की लेखिका
एक ऐसी रचना जो ताज़गी और प्रतिभा से लबालब है। -मलाक जालौक, मिस्त्री लेखक और समाजशास्त्री
अमीना नाइजीरिया की राजनीतिक प्रणाली पर एक टिप्पणी है। इसमें भ्रष्ट पितृसत्तात्मक और शोषक राजनीतिक प्रणाली के ख़िलाफ़ न्याय के लिए संघर्ष की कहानी अपनी नायिका अमीना के नज़रिये और जीवन के माध्यम से कही गयी है। -साफा सुलिंग तान, बुक रिव्यू द मुस्लिम न्यूज़

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Ameena”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

अमीना –
अमीना एक ऐसी स्त्री की प्रेरक गाथा है जो अपनी ज़िन्दगी पर बोझ बन चुके जन्मना बन्धनों को चुनौती देती है। प्रतिरोध की इस प्रक्रिया में उपन्यास की नायिका एक ऐसा बदलाव लाने में सफल होती है जिसका प्रभाव उसकी निजी ज़िन्दगी तक ही सीमित नहीं रहता। यह कृति ऐसे मुद्दों पर रोशनी डालती है, जिन पर आम तौर पर कथा साहित्य में चर्चा नहीं की जाती, लेकिन जिनके कारण असंख्य स्त्रियों की ज़िन्दगी प्रभावित होती है। ये मुद्दे हैं : मुसलमान स्त्रियों का क़ानूनी दर्जा, पारम्परिक और धार्मिक रीति-रिवाजों द्वारा उन पर लगायी जाने वाली पाबन्दियाँ, निजी रिश्तों में पुरुष सत्ता द्वारा अक्सर की जाने वाली निर्द्वन्द्व अवमानना…। लेकिन, यह कृति केवल एक सामाजिक दस्तावेज़ ही नहीं है। यह उपन्यास न केवल हमारे ज़माने की एक असाधारण स्त्री के विश्वसनीय चित्रण के ज़रिये हमारी हमदर्दी जीत लेता है, बल्कि साथ-साथ बड़ी कुशलता से सोलहवीं सदी की वीरांगना रानी, जाज्जाऊ की अमीना की समान्तर कहानी भी कहता चला जाता है। अनुभव की प्रामाणिकता से उद्भूत आवेग के साथ रची गयी, एक स्त्री की निगाह से व्यक्त होने वाली और एक उत्तरी नाइजीरियाई पुरुष की क़लम से निकली इस कथा से भविष्य के प्रति आशा का सन्देश मिलता है।
न्यू जर्सी के अफ्रीका वर्ल्ड प्रेस द्वारा पहली बार अंग्रेज़ी में प्रकाशित अमीना का अब तक दस भाषाओं, फ्रेंच, यूनानी, सर्बियायी, तुर्की, अरबी, अजेरी, उर्दू, हिन्दी, मलयालम, तमिल, भाषा इन्डोनेशिया, स्पानी, वियतनामी और चीनी, में हो चुका है। हज़ारों-हज़ार महिला और पुरुष पाठकों ने इस उपन्यास को हाथों-हाथ लिया है, क्योंकि यह सत्य का वैसा ही चित्रण करता है। जैसा वह है।’
यह लेखक की पहली किताब है। इसकी ताज़गी और चमक ताज्जुब में डाल देती है।
-निसरदार बुक ऑफ़ दि इयर न्यू स्टेटमेन
मुहम्मद उमर की इस रचना से हमें मर्दों की दुनिया में स्त्री होने की हक़ीक़त की गहराइयों में झाँकने का मौका मिलता है। यह किताब मुसलमान जगत की सभी उत्पीड़ित स्त्रियों के लिए उम्मीद की एक मशाल की तरह है। विषमता, भेदभाव, पूर्वग्रह, अत्याचार और अवमानना के ख़िलाफ़ इन स्त्रियों का संघर्ष बहुत पुराना न होने के बावजूद बड़ा ज़ोरदार हैं। -पत्रकार अरब न्यूज़सदी अरब
एक सकारात्मक और प्रेरक गाथा…किसी कहानी से यही अपेक्षा की जा सकती है कि उसका पाठक ज्ञान और आलोक के रास्ते पर सफ़र करता हुआ चला जायेगा। -ऐन मेरी स्मिथ, कनेडियन आलोचक
अमीना की शुरुआत किसी धीमे और मधुर संगीत की तरह होती है और कठोर घटनाओं के बीच भी वह अपने इसी राग को बनाये रखती है। मेरे ख़याल से यही है इस किताब की सबसे ख़ास बात आक्रोश का स्वर ऊँचा होने के बाद भी यह नरम संगीत बजता रहता है। -प्रोफ़ेसर फ़ातिमा मेरनिसी, मोरक्को की समाजशास्त्री और इस्लाम में स्त्रियों की स्थिति पर कई पुस्तकों की लेखिका
एक ऐसी रचना जो ताज़गी और प्रतिभा से लबालब है। -मलाक जालौक, मिस्त्री लेखक और समाजशास्त्री
अमीना नाइजीरिया की राजनीतिक प्रणाली पर एक टिप्पणी है। इसमें भ्रष्ट पितृसत्तात्मक और शोषक राजनीतिक प्रणाली के ख़िलाफ़ न्याय के लिए संघर्ष की कहानी अपनी नायिका अमीना के नज़रिये और जीवन के माध्यम से कही गयी है। -साफा सुलिंग तान, बुक रिव्यू द मुस्लिम न्यूज़

About Author

मुहम्मद कबीर - मुहम्मद कबीर उमर उत्तरी नाइजीरिया के अज़ेर में पले-बढ़े और बाँची स्टेट रेडियो व कानो के एक अख़बार में पत्रकारिता की। 1981 में राजनीतिक सक्रियता के आरोप में निष्कासित होने से पहले उन्होंने ज़ारिया के अहमद बेलो विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान का अध्ययन किया। नाइजीरिया छोड़ने के बाद उन्होंने मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में और मिडिलसेक्स यूनिवर्सिटी से राजनीतिक अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधियाँ प्राप्त कीं। उन्होंने ब्रिटेन के विभिन्न संस्थानों में क़ानून और अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों का अध्ययन भी किया। तीन बच्चों के पिता और लन्दन में रहने वाले कबीर तीन में अफ्रीकी भाषाएँ बोलने के साथ-साथ अंग्रेज़ी और रूसी भी बोलते हैं। अमीना उनका पहला उपन्यास है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Ameena”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED