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Ajneya Rachanawali (Volume-1)
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
सम्पादक - कृष्णदत्त पालीवाल
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
सम्पादक - कृष्णदत्त पालीवाल
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹540 ₹486
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ISBN:
SKU
9788126320912
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
416
अज्ञेय रचनावली –
अज्ञेय एक ऐसे विलक्षण और विदग्ध रचनाकार हैं, जिन्होंने भारतीय भाषा और साहित्य को भारतीय आधुनिकता और प्रयोगधर्मिता से सम्पन्न किया है; तथा बीसवीं सदी की मूलभूत अवधारणा ‘स्वतन्त्रता’ को अपने सृजन और चिन्तन में केन्द्रीय स्थान दिया है। उनकी यह भारतीय आधुनिकता उन्हें न सिर्फ़ हिन्दी, बल्कि समूचे भारतीय साहित्य का एक ‘क्लासिक’ बनाती है। विद्रोही और प्रश्नाकुल रचनाकार अज्ञेय ने कविता, उपन्यास, कहानी, निबन्ध, नाटक, आलोचना, डायरी, यात्रा-वृत्तान्त, संस्मरण, सम्पादन, अनुवाद, व्यवस्थापन, पत्रकारिता आदि विधाओं में लेखन किया है। उनके क्रान्तिकारी चिन्तन ने प्रयोगवाद, नयी कविता और समकालीन सृजन में निरन्तर नये प्रयोगों से नये सृजन के प्रतिमान निर्मित किये हैं। जड़ीभूत एवं रूढ़ जीवन-मूल्यों से खुला विद्रोह करते हुए इस साधक ने जिन नयी राहों का अन्वेषण किया, वे असहमति और विरोध का मुद्दा भी बनीं, लेकिन आज स्थिति यह है कि अज्ञेय को ठीक से समझे बिना नयी पीढ़ी के रचनाकर्म के संकट का आकलन करना ही मुश्किल है।
अज्ञेय रचनावली में अज्ञेय का तमाम क्षेत्रों में किया गया विपुल लेखन पहली बार एक जगह समग्र रूप में संकलित है। अज्ञेय जन्मशताब्दी के इस ऐतिहासिक अवसर पर हिन्दी के मर्मज्ञ और प्रसिद्ध आलोचक प्रो. कृष्णदत्त पालीवाल के सम्पादन में यह कार्य विधिवत सम्पन्न हुआ । आशा है, हिन्दी साहित्य के शोधार्थियों एवं अध्येताओं के लिए अज्ञेय की सम्पूर्ण रचना-सामग्री एक ही जगह एक साथ उपलब्ध हो सकेगी।
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Description
अज्ञेय रचनावली –
अज्ञेय एक ऐसे विलक्षण और विदग्ध रचनाकार हैं, जिन्होंने भारतीय भाषा और साहित्य को भारतीय आधुनिकता और प्रयोगधर्मिता से सम्पन्न किया है; तथा बीसवीं सदी की मूलभूत अवधारणा ‘स्वतन्त्रता’ को अपने सृजन और चिन्तन में केन्द्रीय स्थान दिया है। उनकी यह भारतीय आधुनिकता उन्हें न सिर्फ़ हिन्दी, बल्कि समूचे भारतीय साहित्य का एक ‘क्लासिक’ बनाती है। विद्रोही और प्रश्नाकुल रचनाकार अज्ञेय ने कविता, उपन्यास, कहानी, निबन्ध, नाटक, आलोचना, डायरी, यात्रा-वृत्तान्त, संस्मरण, सम्पादन, अनुवाद, व्यवस्थापन, पत्रकारिता आदि विधाओं में लेखन किया है। उनके क्रान्तिकारी चिन्तन ने प्रयोगवाद, नयी कविता और समकालीन सृजन में निरन्तर नये प्रयोगों से नये सृजन के प्रतिमान निर्मित किये हैं। जड़ीभूत एवं रूढ़ जीवन-मूल्यों से खुला विद्रोह करते हुए इस साधक ने जिन नयी राहों का अन्वेषण किया, वे असहमति और विरोध का मुद्दा भी बनीं, लेकिन आज स्थिति यह है कि अज्ञेय को ठीक से समझे बिना नयी पीढ़ी के रचनाकर्म के संकट का आकलन करना ही मुश्किल है।
अज्ञेय रचनावली में अज्ञेय का तमाम क्षेत्रों में किया गया विपुल लेखन पहली बार एक जगह समग्र रूप में संकलित है। अज्ञेय जन्मशताब्दी के इस ऐतिहासिक अवसर पर हिन्दी के मर्मज्ञ और प्रसिद्ध आलोचक प्रो. कृष्णदत्त पालीवाल के सम्पादन में यह कार्य विधिवत सम्पन्न हुआ । आशा है, हिन्दी साहित्य के शोधार्थियों एवं अध्येताओं के लिए अज्ञेय की सम्पूर्ण रचना-सामग्री एक ही जगह एक साथ उपलब्ध हो सकेगी।
About Author
सच्चिदानन्द वात्स्यायन अज्ञेय -
(7 मार्च 1911-4 अप्रैल 1987)
मानव मुक्ति एवं स्वाधीन चिन्तन के अग्रणी कवि-कथाकार-आलोचक-सम्पादक ।
कुशीनगर, देवरिया (उ.प्र.) में एक पुरातत्त्व उत्खनन शिविर में जन्म। बचपन लखनऊ, पटना, मद्रास, लाहौर में। बी.एससी. लाहौर से ।
1924 में पहली कहानी व 1927 में पहली कविता का लेखन । इस बीच हिन्दुस्तान रिपब्लिक आर्मी के चन्द्रशेखर आज़ाद, सुखदेव और भगवतीचरण बोहरा से सम्पर्क । क्रान्तिकारी जीवन । दिल्ली में हिमालयन टॉयलेट फैक्ट्री के पर्दे में बम बनाने का कार्य। 15 नवम्बर, 1930 में गिरफ्तारी, जेलयात्रा । इसी यातनाकाल में चिन्ता एवं शेखर : एक जीवनी की रचना । जैनेन्द्र कुमार, प्रेमचन्द, मैथिलीशरण गुप्त, रायकृष्ण दास से सम्पर्क बढ़ा ।
प्रकाशन : सोलह कविता-संग्रह, आठ कहानी-संग्रह, तीन उपन्यास, दो उपन्यास अधूरे तथा एक प्रयोगशील उपन्यास मित्रों के साथ । 'तारसप्तक' (1943) के प्रकाशन के साथ साहित्य में तमाम नयी सोच से भारी बहसों का आरम्भ। 'सैनिक', 'विशाल भारत', 'दिनमान', 'प्रतीक' आदि अनेक पत्रिकाओं का सम्पादन ।
साहित्य अकादेमी पुरस्कार, भारत-भारती पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार एवं अन्तरराष्ट्रीय गोल्डन रीथ पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित । एक साहसी यायावर के नाते यूरोप, अमेरिका, एशिया के कई देशों में व्याख्यान एवं अन्य साहित्यिक आयोजन ।
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