Ajay Chandel (Set Of 2 Books): Banraakas | Urban-Rakas

Publisher:
Notion Press | Sarv Bhasha Trust
| Author:
Ajay Chandel
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Notion Press | Sarv Bhasha Trust
Author:
Ajay Chandel
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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297
  1. Banraakas :- अजय चंदेल जी एक विलक्षण दृष्टि के युवा रचनाकार हैं। आप अपनी पैनी दृष्टि से हर सामाजिक बदलाव को गहराई से अनुभव करते हैं तथा अपनी लेखनी की तेज धार से सर्जना करते हैं। आज उनकी कृति बनराकस’ प्रस्तुत किया जा रहा है। ‘बनराकस’ एक वन की कथा है, जिसमें कई कथाएँ गुथी हुई हैं। वन में पशु वर्तमान व्यवस्था और भेड़ियों द्वारा अंधाधुंध शिकार से परेशान हैं। भेड़िया एक परभक्षी मानसिकता है। अंग्रेजी में जिसे प्रिडेटर कहा जाता है। भेड़िये राजनीति में ही नहीं समाज में भी किसी न किसी रूप में उपस्थित होते हैं। समस्या तब विकराल हो जाती है जब समाज के अंदर के भेड़ियों को राजनैतिक भेड़िये संरक्षण देते हैं। तब एक ऐसा घटनाक्रम होता है कि एक हिरण पूरी शासन व्यवस्था से लड़ने खड़ा हो जाता है। चुनाव के लिए अन्य पशुओं को जागृत करता है, अंततः सत्ता परिवर्तन भी होता है। बनराकस इस कहानी में कौन है यह पाठक स्वयं पढ़ कर निर्णय करें। कहानी में सबके लिए अलग अलग पात्र बनराकस अर्थात वन का राक्षस हो सकते हैं।
  2. Urban-Rakas :- अर्बन-राकस कोई व्यक्ति नहीं है, बल्कि मानसिकता है। अर्बन-राकस शब्द की संधि विच्छेद करेंगे तो दो शब्द मिलेंगे, अर्बन और राकस। अर्बन अर्थात शहरी और राकस अर्थात राक्षस। इसी मानसिकता का विधिवत परिच्छेदन करने से इस पुस्तक की उत्पत्ति हुई है। लेखक यह मानता है कि कहीं-कहीं कुछ साधारण बातों का असाधारण केशचर्मोच्छेदन भी किया गया है। व्यंग्य तो इसी उच्छेद-विच्छेद के परिच्छेदन में है। इस पुस्तक में सभी विषयों पर कुल ६४ व्यंग्य हैं। लेखक अजय चंदेल, सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, इस क्षेत्र से जुड़े हुए लोगों के लिए इस पुस्तक में बहुत कुछ है। राजनैतिक और समाजिक विषयों पर भी पर्याप्त व्यंग्य हैं। पुस्तक में कुछ प्रसंग भूलोट-हास्योत्पत्तिकारक (ROFL) हैं। अगर आप अपने आसपास घट रही घटनाओं में रूचि रखते हैं, तो निश्चित रूप से यह पुस्तक आपको आनंदित भी करेगी और ऐसे चित्र प्रस्तुत भी करेगी जिनसे आप सहज जुड़ जायेंगे।

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Description
  1. Banraakas :- अजय चंदेल जी एक विलक्षण दृष्टि के युवा रचनाकार हैं। आप अपनी पैनी दृष्टि से हर सामाजिक बदलाव को गहराई से अनुभव करते हैं तथा अपनी लेखनी की तेज धार से सर्जना करते हैं। आज उनकी कृति बनराकस’ प्रस्तुत किया जा रहा है। ‘बनराकस’ एक वन की कथा है, जिसमें कई कथाएँ गुथी हुई हैं। वन में पशु वर्तमान व्यवस्था और भेड़ियों द्वारा अंधाधुंध शिकार से परेशान हैं। भेड़िया एक परभक्षी मानसिकता है। अंग्रेजी में जिसे प्रिडेटर कहा जाता है। भेड़िये राजनीति में ही नहीं समाज में भी किसी न किसी रूप में उपस्थित होते हैं। समस्या तब विकराल हो जाती है जब समाज के अंदर के भेड़ियों को राजनैतिक भेड़िये संरक्षण देते हैं। तब एक ऐसा घटनाक्रम होता है कि एक हिरण पूरी शासन व्यवस्था से लड़ने खड़ा हो जाता है। चुनाव के लिए अन्य पशुओं को जागृत करता है, अंततः सत्ता परिवर्तन भी होता है। बनराकस इस कहानी में कौन है यह पाठक स्वयं पढ़ कर निर्णय करें। कहानी में सबके लिए अलग अलग पात्र बनराकस अर्थात वन का राक्षस हो सकते हैं।
  2. Urban-Rakas :- अर्बन-राकस कोई व्यक्ति नहीं है, बल्कि मानसिकता है। अर्बन-राकस शब्द की संधि विच्छेद करेंगे तो दो शब्द मिलेंगे, अर्बन और राकस। अर्बन अर्थात शहरी और राकस अर्थात राक्षस। इसी मानसिकता का विधिवत परिच्छेदन करने से इस पुस्तक की उत्पत्ति हुई है। लेखक यह मानता है कि कहीं-कहीं कुछ साधारण बातों का असाधारण केशचर्मोच्छेदन भी किया गया है। व्यंग्य तो इसी उच्छेद-विच्छेद के परिच्छेदन में है। इस पुस्तक में सभी विषयों पर कुल ६४ व्यंग्य हैं। लेखक अजय चंदेल, सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, इस क्षेत्र से जुड़े हुए लोगों के लिए इस पुस्तक में बहुत कुछ है। राजनैतिक और समाजिक विषयों पर भी पर्याप्त व्यंग्य हैं। पुस्तक में कुछ प्रसंग भूलोट-हास्योत्पत्तिकारक (ROFL) हैं। अगर आप अपने आसपास घट रही घटनाओं में रूचि रखते हैं, तो निश्चित रूप से यह पुस्तक आपको आनंदित भी करेगी और ऐसे चित्र प्रस्तुत भी करेगी जिनसे आप सहज जुड़ जायेंगे।

About Author

अजय चंदेल जन्म - १९८४, सागर, मध्य-प्रदेश शिक्षा - एम.सी.ए, डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर वर्तमान में गुरुग्राम की एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में सॉफ़्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्यरत। दफ़्तर की अंधी प्रतिस्पर्धा से कुछ हटकर अपने आसपास के लोगों के जीवन में घटने वाली घटनाओं को कविता, कहानी या व्यंग्य के रूप में ढालने के प्रयास में ऑनलाइन पत्रिकाओं, हिन्दी पोर्ट

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