Agni Raag

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Usha Yadav
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Usha Yadav
Language:
Hindi
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Hardback

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‘अग्नि-राग’ समकालीन संदर्भों में नारी-सशक्तीकरण की कहानी है। धधकती अग्नि-ज्वाला में जलती-झुलसती दीपिका की कहानी। विवाह का झाँसा देकर एक डॉक्टर वर्षों उसका यौन-शोषण करता है। जब युवती को डॉक्टर का विवाह अन्यत्र तय हो जाने की सूचना मिलती है, तो वह किस प्रकार प्रतिशोध लेती है—इसका उपन्यास में चित्रण है।बलात्कार-पीडि़ता के प्रति समाज की प्रतिक्रिया, मीडिया की प्रतिक्रिया, कानून की प्रतिक्रिया आदि का यह ऐसा विश्वसनीय आख्यान है, जिसमें अनुरंजन और चिंतन दोनों मौजूद हैं। बलात्कार के आँकड़े बताते हैं कि औरत दिनोदिन असुरक्षित हुई है।घर, स्कूल, सड़क, खेत-खलिहान—कहाँ पर ‘निर्भयाकांड’ नहीं होते? देह-शोषण की शिकार औरत अमूमन लोक-लाज अथवा ग्लानि के चलते अपना मुँह बंद रखती है या फाँसी के फंदे पर झूल जाती है। किंतु जब किसी रेप-पीडि़ता के भीतर आग धधक उठती है, तो वह अपने अर्धनारीश्वर रूप में एक मिसाल बन जाती है।नारीगत कोमलता और पौरुषेय कठोरता की धूपछाँही द्युति एक विलक्षण आलोक-लोक सिरज देती है। यही अग्नि-राग है। पंचतत्त्वों से बने हर मानव शरीर में अग्नि का वास है, कहीं कम, कहीं ज्यादा। इसलिए यदि ‘अग्नि-राग’ की दीपिका अपनी नन्ही सी लौ से अन्य रेप-पीडि़ताओं के अँधेरे जीवन को प्रकाशमान करने का उद्यम करती है, तो उसके इस संकल्प और साहस को नमन करने का जी चाहता है। ‘अग्नि-राग’ इसी संवेदना का उपन्यास है।

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‘अग्नि-राग’ समकालीन संदर्भों में नारी-सशक्तीकरण की कहानी है। धधकती अग्नि-ज्वाला में जलती-झुलसती दीपिका की कहानी। विवाह का झाँसा देकर एक डॉक्टर वर्षों उसका यौन-शोषण करता है। जब युवती को डॉक्टर का विवाह अन्यत्र तय हो जाने की सूचना मिलती है, तो वह किस प्रकार प्रतिशोध लेती है—इसका उपन्यास में चित्रण है।बलात्कार-पीडि़ता के प्रति समाज की प्रतिक्रिया, मीडिया की प्रतिक्रिया, कानून की प्रतिक्रिया आदि का यह ऐसा विश्वसनीय आख्यान है, जिसमें अनुरंजन और चिंतन दोनों मौजूद हैं। बलात्कार के आँकड़े बताते हैं कि औरत दिनोदिन असुरक्षित हुई है।घर, स्कूल, सड़क, खेत-खलिहान—कहाँ पर ‘निर्भयाकांड’ नहीं होते? देह-शोषण की शिकार औरत अमूमन लोक-लाज अथवा ग्लानि के चलते अपना मुँह बंद रखती है या फाँसी के फंदे पर झूल जाती है। किंतु जब किसी रेप-पीडि़ता के भीतर आग धधक उठती है, तो वह अपने अर्धनारीश्वर रूप में एक मिसाल बन जाती है।नारीगत कोमलता और पौरुषेय कठोरता की धूपछाँही द्युति एक विलक्षण आलोक-लोक सिरज देती है। यही अग्नि-राग है। पंचतत्त्वों से बने हर मानव शरीर में अग्नि का वास है, कहीं कम, कहीं ज्यादा। इसलिए यदि ‘अग्नि-राग’ की दीपिका अपनी नन्ही सी लौ से अन्य रेप-पीडि़ताओं के अँधेरे जीवन को प्रकाशमान करने का उद्यम करती है, तो उसके इस संकल्प और साहस को नमन करने का जी चाहता है। ‘अग्नि-राग’ इसी संवेदना का उपन्यास है।

About Author

जन्म : कानपुर (उ.प्र.) में। शिक्षा : एम.ए. (इतिहास, हिंदी), पी-एच.डी., डी.लिट्.। प्रकाशन : ‘टुकडे़-टुकडे़ सुख’, ‘सपनों का इंद्रधनुष’, ‘जाने कितने कैक्टस’, ‘चाँदी की हँसली’, ‘सुनो जयंती’, ‘उषा यादव : संकलित कहानियाँ’ (कहानी संग्रह); ‘प्रकाश की ओर’, ‘एक और अहल्या’, ‘धूप का टुकड़ा’, ‘आँखों का आकाश’, ‘कितने नीलकंठ’, ‘कथांतर’, ‘अमावस की रात’, ‘काहे री नलिनी’, ‘नन्ही लाल चुन्नी’, ‘महालया’, ‘दीप अकेला’ (उपन्यास); ‘सागर-मंथन’ (नाटक); ‘वासंती मन’ (काव्य); ‘हिंदी की श्रेष्‍ठ बाल कहानियाँ’, ‘यहाँ सुमन बिखेर दो’, ‘बाल विमर्श और हिंदी बाल साहित्य’ (संपादन)। कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, जीवनी, इतिहास आदि विविध विधाओं में बाल साहित्य की लगभग तीन दर्जन पुस्तकें प्रकाशित। सम्मान : उ.प्र. हिंदी संस्थान, लखनऊ का ‘बाल-साहित्य भारती सम्मान’, 2003 में विश्‍वविद्यालय स्तरीय सम्मान, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, द्वारा ‘भारतेंदु हरिश्‍चंद्र पुरस्कार’ (प्रथम), म.प्र. साहित्य अकादमी का अ.भा. वीरसिंह पुरस्कार, विभिन्न विश्‍वविद्यालयों में कृतित्व पर पाँच शोधकार्य संपन्न।

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