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Adhyatma Ki Khoj Mein
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Sanjiv Shah
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Sanjiv Shah
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Hindi
Format:
Hardback
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1-4 Days
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Book Type |
---|
Page Extent:
296
जीवन-प्रेमियों के लिए अध्यात्म-विज्ञान जीवन कितना अमूल्य और दुर्लभ है, हमारी समझ में क्यों आता नहीं? जीवन जीने की अभीप्सा एवं अभिलाषा, हमारे भीतर क्यों प्रज्वलित होती नहीं? हमारे जीवन की बागडोर किसके हाथ में है, यह ज्ञान कोई हमें क्यों देता नहीं? अध्यात्म के बिना जीवन निरर्थक है, कोई हमें यह क्यों समझाता नहीं? अध्यात्म बुढ़ापे की कोई प्रवृत्ति नहीं है, यह सत्य जोर-शोर से क्यों पुकारा जाता नहीं? अध्यात्म को जीवन से अलग नहीं किया जा सकता है, यह रहस्य हमें कोई क्यों बतलाता नहीं? शरीर का विज्ञान सभी सीखते हैं, मन का विज्ञान कुछ ही लोग सीखें! जीवन का विज्ञान सभी क्यों न सीखें?.
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Description
जीवन-प्रेमियों के लिए अध्यात्म-विज्ञान जीवन कितना अमूल्य और दुर्लभ है, हमारी समझ में क्यों आता नहीं? जीवन जीने की अभीप्सा एवं अभिलाषा, हमारे भीतर क्यों प्रज्वलित होती नहीं? हमारे जीवन की बागडोर किसके हाथ में है, यह ज्ञान कोई हमें क्यों देता नहीं? अध्यात्म के बिना जीवन निरर्थक है, कोई हमें यह क्यों समझाता नहीं? अध्यात्म बुढ़ापे की कोई प्रवृत्ति नहीं है, यह सत्य जोर-शोर से क्यों पुकारा जाता नहीं? अध्यात्म को जीवन से अलग नहीं किया जा सकता है, यह रहस्य हमें कोई क्यों बतलाता नहीं? शरीर का विज्ञान सभी सीखते हैं, मन का विज्ञान कुछ ही लोग सीखें! जीवन का विज्ञान सभी क्यों न सीखें?.
About Author
लेखक संजीव शाह, ओएसिस सेल्फ डेवलपमेंट के प्रशिक्षक हैं। मात्र 25 वर्ष की आयु में अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर संजीव ने मेकैनिकल इंजीनियर के अपने पेशे को छोड़ा और उन सैकड़ों युवाओं का नेतृत्व किया, जो अपने तथा समाज के विकास में योगदान करना चाहते थे। इसका परिणाम ‘ओएसिस’ नाम के युवाओं के एक संगठन के रूप में सामने आया, जिसका गठन 1989 में किया गया। आगे चलकर, राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त युवाओं का नेतृत्व करने वाले और सामाजिक कार्यकर्ता से वे एक लेखक तथा अनेक सीईओ, परिवारों, समुदायों और संगठनों को पेशेवर सलाह देने वाले की भूमिका में आए। उनके प्रबंधन में, ‘ओएसिस वैली’ नाम का एक अनोखा संस्थान वडोदरा के करीब बनाया गया है, जो चरित्र निर्माण के प्रति समर्पित अपनी तरह का पहला एकमात्र संस्थान है। उन्होंने 65 से अधिक पुस्तकों और बुकलेट की रचना की है, जिनकी 10 लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी है। इस विशिष्ट उपलब्धि ने वैज्ञानिक स्वयं-सहायता की पीढ़ी के बीच उन्हें इस क्षेत्र का सबसे सम्मानित और सर्वाधिक लोकप्रिय समसामयिक लेखक बना दिया है।.
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