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Adhunik Jiwan Aur Paryavaran
Publisher:
Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.
| Author:
Damodar Sharma & Harish Chandra Vyas
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.
Author:
Damodar Sharma & Harish Chandra Vyas
Language:
Hindi
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ISBN:
SKU
9789386231802
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
368
विज्ञान की अंधाधुंध दौड़, मनुष्य का अपरिमित लालच, तेजी से क्षत-विक्षत होनेवाले प्राकृतिक संसाधन और प्रदूषण से भरा संसार कैसा चित्र उभारते हैं? जिस गति से हम विकास की ओर बढ़ रहे हैं, क्या उसी गति से विनाश हमारी ओर नहीं बढ़ रहा है? फिर नतीजा क्या होगा? मानवता के सामने यह एक विराट् प्रश्नचिह्न है। यदि इसका उचित समाधान कर लिया गया तो ठीक, वरना संपूर्ण जीव-जगत् एक विराम की स्थिति में खड़ा हो जाएगा। प्रश्नचिह्न या पूर्ण विराम! कौन-सा विकल्प चुनेंगे हम? प्रस्तुत पुस्तक में इन्हीं कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्नों को सामने रखकर पाठकों से सीधा संवाद स्थापित करने की चेष्टा की गई है। पुस्तक स्वयं में बहुआयामी है, परंतु इसकी सार्थकता तभी है, जबकि पाठक इसमें उठाए गए बिंदुओं से मन से जुड़ जाएँ। यदि पर्यावरण हमारे चिंतन का केंद्रबिंदु है, तब यह पुस्तक गीता-कुरान की भाँति पर्यावरण धर्म की संदेश-वाहिका समझी जाएगी। हमारा विनीत प्रयास यही है कि पाठक आनेवाली शताब्दी की पदचाप को पूर्व सुन सकें और रास्ते के काँटों को हटाकर संपूर्ण जीव-जगत् के जीवन को तारतम्य और गति प्रदान कर सकें।
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Description
विज्ञान की अंधाधुंध दौड़, मनुष्य का अपरिमित लालच, तेजी से क्षत-विक्षत होनेवाले प्राकृतिक संसाधन और प्रदूषण से भरा संसार कैसा चित्र उभारते हैं? जिस गति से हम विकास की ओर बढ़ रहे हैं, क्या उसी गति से विनाश हमारी ओर नहीं बढ़ रहा है? फिर नतीजा क्या होगा? मानवता के सामने यह एक विराट् प्रश्नचिह्न है। यदि इसका उचित समाधान कर लिया गया तो ठीक, वरना संपूर्ण जीव-जगत् एक विराम की स्थिति में खड़ा हो जाएगा। प्रश्नचिह्न या पूर्ण विराम! कौन-सा विकल्प चुनेंगे हम? प्रस्तुत पुस्तक में इन्हीं कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्नों को सामने रखकर पाठकों से सीधा संवाद स्थापित करने की चेष्टा की गई है। पुस्तक स्वयं में बहुआयामी है, परंतु इसकी सार्थकता तभी है, जबकि पाठक इसमें उठाए गए बिंदुओं से मन से जुड़ जाएँ। यदि पर्यावरण हमारे चिंतन का केंद्रबिंदु है, तब यह पुस्तक गीता-कुरान की भाँति पर्यावरण धर्म की संदेश-वाहिका समझी जाएगी। हमारा विनीत प्रयास यही है कि पाठक आनेवाली शताब्दी की पदचाप को पूर्व सुन सकें और रास्ते के काँटों को हटाकर संपूर्ण जीव-जगत् के जीवन को तारतम्य और गति प्रदान कर सकें।
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