SaleHardback
Ab Tak Chhappan
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
यशवंत व्यास
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
यशवंत व्यास
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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ISBN:
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8126312327
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
252
अब तक छप्पन –
यशवंत व्यास को नयी पीढ़ी के रचनाकारों में भाषा और शिल्प के स्तर पर अद्भुत ताज़गी के लिए जाना जाता है। ‘अब तक छप्पन’ में उनकी चुनी हुई छप्पन व्यंग्य रचनाएँ हैं। रचनाओं की विषयवस्तु और मुहावरे दोनों ही सत्तर के दशक के बाद बनते बिगड़ते संसार की प्रतिध्वनि हैं। सामाजिक सरोकारों, बाज़ारवादी प्रभावों तथा मीडिया के ज़रिये सूचना क्रान्ति के नतीजों पर मार्मिक टिप्पणी इनमें देखी जा सकती है।
हास्य की हा-हाकारी परम्परा से उलट, यशवंत के व्यंग्य में तीव्र वेदना का स्वर है। उनकी शैली में पारम्परिक हास्य-बोध की शाब्दिक बाज़ीगरी न होकर रूपकों का गहन संसार पाठकों को व्यंग्य के नये अनुभव प्रदान करता है। उनके मुहावरे अपने समय के द्वारा निर्मित हैं, प्रयोगशीलता जिन्हें कई बार नये समय की सूक्तियों में बदल देती है।
प्रतिबद्धता यशवंत की रचनाओं की बड़ी विशेषता है। धिक्कार की राजनीति में प्रवीण चरित्रों के वैचारिक जगत की पड़ताल इसके माध्यम से की जा सकती है। सहजता और चमत्कारिकता इन रचनाओं का अन्तर्निहित गुण है, किन्तु यह भावभूमि के सार्थक विस्तार में प्रयुक्त होता चला जाता है। विषय नये हैं, शैली उबाऊपन और रूढ़ियों से दूर है और पठनीयता इनका अनिवार्य तत्त्व है।
‘अब तक छप्पन’ के व्यंग्य दिलचस्प अन्दाज़ तथा विश्वसनीय प्रहार क्षमता से आपको उस जगह खड़ा करते हैं जहाँ से आप सच को सच की तरह ही देख सकें।
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Description
अब तक छप्पन –
यशवंत व्यास को नयी पीढ़ी के रचनाकारों में भाषा और शिल्प के स्तर पर अद्भुत ताज़गी के लिए जाना जाता है। ‘अब तक छप्पन’ में उनकी चुनी हुई छप्पन व्यंग्य रचनाएँ हैं। रचनाओं की विषयवस्तु और मुहावरे दोनों ही सत्तर के दशक के बाद बनते बिगड़ते संसार की प्रतिध्वनि हैं। सामाजिक सरोकारों, बाज़ारवादी प्रभावों तथा मीडिया के ज़रिये सूचना क्रान्ति के नतीजों पर मार्मिक टिप्पणी इनमें देखी जा सकती है।
हास्य की हा-हाकारी परम्परा से उलट, यशवंत के व्यंग्य में तीव्र वेदना का स्वर है। उनकी शैली में पारम्परिक हास्य-बोध की शाब्दिक बाज़ीगरी न होकर रूपकों का गहन संसार पाठकों को व्यंग्य के नये अनुभव प्रदान करता है। उनके मुहावरे अपने समय के द्वारा निर्मित हैं, प्रयोगशीलता जिन्हें कई बार नये समय की सूक्तियों में बदल देती है।
प्रतिबद्धता यशवंत की रचनाओं की बड़ी विशेषता है। धिक्कार की राजनीति में प्रवीण चरित्रों के वैचारिक जगत की पड़ताल इसके माध्यम से की जा सकती है। सहजता और चमत्कारिकता इन रचनाओं का अन्तर्निहित गुण है, किन्तु यह भावभूमि के सार्थक विस्तार में प्रयुक्त होता चला जाता है। विषय नये हैं, शैली उबाऊपन और रूढ़ियों से दूर है और पठनीयता इनका अनिवार्य तत्त्व है।
‘अब तक छप्पन’ के व्यंग्य दिलचस्प अन्दाज़ तथा विश्वसनीय प्रहार क्षमता से आपको उस जगह खड़ा करते हैं जहाँ से आप सच को सच की तरह ही देख सकें।
About Author
यशवंत व्यास -
6 मार्च, 1964 को मध्य प्रदेश में जनमे यशवंत व्यास ने लगभग आधा दर्जन किताबें लिखी हैं, जिनमें उपन्यास, व्यंग्य-संग्रह और क्षेत्रीय पत्रकारिता पर विशेष शोध अध्ययन शामिल हैं।
'यारी दुश्मनी' और 'तथास्तु' जैसे लोकप्रिय स्तम्भ उन्होंने जनसत्ता, अमर उजाला, नई दुनिया में लिखे। 'जो सहमत हैं सुनें' उनका पहला व्यंग्य संग्रह है। 'इन दिनों प्रेम उर्फ़ लौट आओ नीलकमल', 'यारी दुश्मनी' व्यंग्य संग्रह के अतिरिक्त हिन्दी पत्रकारिता के बदलाव पर उल्लेखनीय कृति 'अपने गिरेबान में' का लेखन ख़्याल अभिनेता अमिताभ बच्चन के भारतीय समाज पर प्रभावों का विश्लेषण करती किताब 'अमिताभ का अ' बहुचर्चित। इनके दो उपन्यास हैं—'चिन्ताघर' और 'कामरेड गोडसे'।
इंटरनेट पर भी लगातार सक्रिय। सकारात्मक जीवन के अन्तर्राष्ट्रीय ऑनलाइन फोरम 'अन्तरा' का संयोजन।
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