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Aatmbali, Budhhibali Aur Bahubali Hanuman Leaders Ko Raah Dikhanewali Leadership
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Sirshree Tejparkhi
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Sirshree Tejparkhi
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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Book Type |
---|
ISBN:
Page Extent:
168
आज तक हम अनेक बलों के बारे में सुनते आए हैं। जैसे शरीर के बल को बाहुबल कहा जाता है, बुद्धि के बल को बुद्धिबल कहा जाता है तो मन के बल को मनोबल या संकल्प शक्ति का बल कहा जाता है। इन सभी बलों को जोड़नेवाला बल ‘संपूर्ण बल’ कहलाता है। इसे आत्मन बल (आत्मबल) भी कहा जा सकता है। आत्मन बल—मन, शरीर और बुद्धि के जोड़ से प्रकट होता है। इस बल के साथ आत्म ज्ञान होना भी जरूरी है वरना यह बल संपूर्ण बल नहीं बन सकता। यदि आत्मन बल नहीं है तो सारे बल प्राप्त करके भी इनसान अधूरा ही रहता है, महाबली नहीं बन सकता। इसलिए महाबली हनुमान के गुणों को ग्रहण करने के लिए उनकी गहराई में जाना अत्यंत आवश्यक है। यदि इनसान के अंदर आत्मन बल है तो बाकी बल आसानी से प्राप्त किए जा सकते हैं। आत्मविकास पर काम करनेवालों में से कुछ लोग बाहुबल को या मनोबल को ज्यादा महत्त्व देते हैं तो कुछ लोग बुद्धिबल को ही श्रेष्ठ समझते हैं। इस अधूरी समझ के कारण वे जीवन में उच्च अभिव्यक्ति नहीं कर पाते। इस पुस्तक में हनुमान को ‘ग्लोबल हनुमान’ यह नया नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि हनुमान के गुणों और बलों की आवश्यकता आज पूरे ग्लोब अर्थात् विश्व को है। वरना इनसान इस संभ्रम में पड़ सकता है कि यह अनोखा अवतार केवल भारत तक ही सीमित है। ऊपर बताए गए सभी बलों को धारण करनेवाले महामानव, सुपरमैन का रूप हमें हनुमान में दिखाई देता है, इसलिए भी इस पुस्तक में ‘आत्मन बल’ को ‘ग्लो बल’ नाम दिया गया है|
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Budhhibali Aur Bahubali Hanuman Leaders Ko Raah Dikhanewali Leadership” Cancel reply
Description
आज तक हम अनेक बलों के बारे में सुनते आए हैं। जैसे शरीर के बल को बाहुबल कहा जाता है, बुद्धि के बल को बुद्धिबल कहा जाता है तो मन के बल को मनोबल या संकल्प शक्ति का बल कहा जाता है। इन सभी बलों को जोड़नेवाला बल ‘संपूर्ण बल’ कहलाता है। इसे आत्मन बल (आत्मबल) भी कहा जा सकता है। आत्मन बल—मन, शरीर और बुद्धि के जोड़ से प्रकट होता है। इस बल के साथ आत्म ज्ञान होना भी जरूरी है वरना यह बल संपूर्ण बल नहीं बन सकता। यदि आत्मन बल नहीं है तो सारे बल प्राप्त करके भी इनसान अधूरा ही रहता है, महाबली नहीं बन सकता। इसलिए महाबली हनुमान के गुणों को ग्रहण करने के लिए उनकी गहराई में जाना अत्यंत आवश्यक है। यदि इनसान के अंदर आत्मन बल है तो बाकी बल आसानी से प्राप्त किए जा सकते हैं। आत्मविकास पर काम करनेवालों में से कुछ लोग बाहुबल को या मनोबल को ज्यादा महत्त्व देते हैं तो कुछ लोग बुद्धिबल को ही श्रेष्ठ समझते हैं। इस अधूरी समझ के कारण वे जीवन में उच्च अभिव्यक्ति नहीं कर पाते। इस पुस्तक में हनुमान को ‘ग्लोबल हनुमान’ यह नया नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि हनुमान के गुणों और बलों की आवश्यकता आज पूरे ग्लोब अर्थात् विश्व को है। वरना इनसान इस संभ्रम में पड़ सकता है कि यह अनोखा अवतार केवल भारत तक ही सीमित है। ऊपर बताए गए सभी बलों को धारण करनेवाले महामानव, सुपरमैन का रूप हमें हनुमान में दिखाई देता है, इसलिए भी इस पुस्तक में ‘आत्मन बल’ को ‘ग्लो बल’ नाम दिया गया है|
About Author
सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद वे अंतिम सत्य से दूर रहे। उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया, ताकि वे अपना अधिक-से-अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी, जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्म-साक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है, वह है—समझ (अंडरस्टैंडिंग)। सरश्री कहते हैं, ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है, लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आप में पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान-प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’ सरश्री ने ढाई हजार से अधिक प्रवचन दिए हैं और एक सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की है। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनूदित हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं|
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