Aapka Bunti : Patkatha (HB)

Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Mannu Bhandari
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Radhakrishna Prakashan
Author:
Mannu Bhandari
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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आपका बंटी’ मन्नू भंडारी की अत्यन्त चर्चित और हिन्दी उपन्यासों के इतिहास में मील का पत्थर मानी जानेवाली कृति है। टूटते परिवारों के बीच बच्चों को किस मानसिक यातना से गुज़रना पड़ता है, इस उपन्यास में उसे लगभग दस्तावेज़ी ढंग से अंकित किया गया है। जिस संवेदनशीलता और स्नेह से मन्नू जी इस चरित्र और उसके मानसिक जीवन को लिख पाईं, वह हिन्दी में दुबारा सम्भव नहीं हो सका। बंटी के माता-पिता सम्बन्ध-विच्छेद के बाद अलग-अलग रहते हैं और बाद मे अपना-अपना घर बसा लेते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में बंटी को किसी भी घर में वह अपनापा महसूस नहीं होता जो उसे उसके माता-पिता एक साथ रहकर दे सकते थे। अन्त में बंटी को छात्रावास भेज दिया जाता है।
इस पुस्तक में इस उपन्यास पर स्वयं मन्नू जी द्वारा लिखित फ़िल्म-पटकथा प्रकाशित की जा रही है। यहाँ यह जान लेना ज़रूरी है कि ‘आपका बंटी’ को लेकर 1986 में ‘समय की धारा’ नाम से जो फ़िल्म बनी, यह उसकी पटकथा नहीं है। ‘समय की धारा’ जिसमें शबाना आज़मी, शत्रुघ्न सिन्हा और विनोद मेहरा ने अभिनय किया, उस पर अपने उपन्यास को ग़लत ढंग से प्रस्तुत करने के लिए मन्नू जी ने अदालत में मामला दायर किया था। इसमें अन्त में बंटी की मृत्यु दिखाई गई थी। मुक़दमे का फ़ैसला मन्नू जी के पक्ष में रहा था। इस पुस्तक में प्रस्तुत पटकथा स्वयं मन्नू जी ने लिखी थी जिस पर फ़िल्म नहीं बन पाई, इसलिए पाठक इस प्रस्तुति को इस पुस्तक में ही पढ़ सकते हैं|
अपने उपन्यास को दृश्यों में बदलते समय इस पटकथा में मन्नू जी ने एक सिद्धहस्त पटकथा लेखक होने का परिचय दिया है।
 

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Description

आपका बंटी’ मन्नू भंडारी की अत्यन्त चर्चित और हिन्दी उपन्यासों के इतिहास में मील का पत्थर मानी जानेवाली कृति है। टूटते परिवारों के बीच बच्चों को किस मानसिक यातना से गुज़रना पड़ता है, इस उपन्यास में उसे लगभग दस्तावेज़ी ढंग से अंकित किया गया है। जिस संवेदनशीलता और स्नेह से मन्नू जी इस चरित्र और उसके मानसिक जीवन को लिख पाईं, वह हिन्दी में दुबारा सम्भव नहीं हो सका। बंटी के माता-पिता सम्बन्ध-विच्छेद के बाद अलग-अलग रहते हैं और बाद मे अपना-अपना घर बसा लेते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में बंटी को किसी भी घर में वह अपनापा महसूस नहीं होता जो उसे उसके माता-पिता एक साथ रहकर दे सकते थे। अन्त में बंटी को छात्रावास भेज दिया जाता है।
इस पुस्तक में इस उपन्यास पर स्वयं मन्नू जी द्वारा लिखित फ़िल्म-पटकथा प्रकाशित की जा रही है। यहाँ यह जान लेना ज़रूरी है कि ‘आपका बंटी’ को लेकर 1986 में ‘समय की धारा’ नाम से जो फ़िल्म बनी, यह उसकी पटकथा नहीं है। ‘समय की धारा’ जिसमें शबाना आज़मी, शत्रुघ्न सिन्हा और विनोद मेहरा ने अभिनय किया, उस पर अपने उपन्यास को ग़लत ढंग से प्रस्तुत करने के लिए मन्नू जी ने अदालत में मामला दायर किया था। इसमें अन्त में बंटी की मृत्यु दिखाई गई थी। मुक़दमे का फ़ैसला मन्नू जी के पक्ष में रहा था। इस पुस्तक में प्रस्तुत पटकथा स्वयं मन्नू जी ने लिखी थी जिस पर फ़िल्म नहीं बन पाई, इसलिए पाठक इस प्रस्तुति को इस पुस्तक में ही पढ़ सकते हैं|
अपने उपन्यास को दृश्यों में बदलते समय इस पटकथा में मन्नू जी ने एक सिद्धहस्त पटकथा लेखक होने का परिचय दिया है।
 

About Author

मन्नू भंडारी

भानपुरा, मध्य प्रदेश में 3 अप्रैल, 1931 को जन्मी मन्नू भंडारी को लेखन-संस्कार पिता श्री सुखसम्पतराय से विरासत में मिले। स्नातकोत्तर के उपरान्त लेखन के साथ-साथ वर्षों दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस में हिन्दी का अध्यापन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में ‘प्रेमचन्द सृजनपीठ’ की अध्यक्ष भी रहीं।

‘आपका बंटी’ और ‘महाभोज’ आपकी चर्चित औपन्यासिक कृतियाँ हैं। अन्य उपन्यास हैं ‘एक इंच मुस्कान’ (राजेन्द्र यादव के साथ) तथा ‘स्वामी’। ये सभी उपन्यास ‘सम्पूर्ण उपन्यास’ शीर्षक से एक जिल्द में भी उपलब्ध हैं।

आपके कहानी-संग्रह हैं—‘एक प्लेट सैलाब’, ‘मैं हार गई’, ‘तीन निगाहों की एक तस्वीर’, ‘यही सच है’, ‘प्रतिनिधि कहानियाँ’ तथा सभी कहानियों का समग्र ‘सम्पूर्ण कहानियाँ’। ‘एक कहानी यह भी’ आपकी आत्मकथ्यात्मक पुस्तक है जिसे आपने अपनी 'लेखकीय आत्मकथा’ कहा है। ‘निर्मला’ और ‘रजनीगंधा’ आपकी पटकथा पुस्तकें हैं। ‘महाभोज’, ‘बिना दीवारों के घर’, ‘उजली नगरी चतुर राजा’ नाट्य-कृतियाँ तथा बच्चों के लिए पुस्तकों में प्रमुख हैं—‘आसमाता’ (उपन्यास), ‘आँखों देखा झूठ’, ‘कलवा’ (कहानी) आदि।

आप 'व्यास सम्मान’, 'शिखर सम्मान’ (हिन्दी अकादमी, दिल्ली), 'शब्द साधक शिखर सम्मान’ आदि से सम्मानित की जा चुकी हैं।

निधन : 15 नवम्बर, 2021

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