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Aap Bahut... Bahut... Sundar Hain!
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Aap Bahut… Bahut… Sundar Hain!
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
कीर्तिकुमार सिंह
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
कीर्तिकुमार सिंह
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹395 ₹277
Save: 30%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789357751537
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
156
आप बहुत… बहुत… सुन्दर हैं! –
हिन्दी में घोषित रूप में प्रेम कथाएँ कम ही लोगों ने लिखी हैं। यह साहस कथाकार कीर्तिकुमार सिंह में है । उनकी मान्यता है कि निन्यानवे प्रतिशत लोगों के बारे में अच्छे लोग बहुत कम लिखते हैं ।
आज हमारे समाज में प्रेम की भारी कमी हो गयी है। सबसे ऊपर पैसे की हैसियत ने संवेदनाओं को पीछे धकेल दिया है। ऐसे में कीर्तिजी की प्रेम कथाएँ एक खुशनुमा झोंके की तरह से हैं लेकिन आप इन्हें कोरी प्रेम कथाएँ पढ़ने के लालच में पढ़ेंगे तो भारी भूल होगी। यहाँ कथाकार ने बड़ी सूक्ष्मता से हमारे तथाकथित सभ्य समाज की ख़बर भी ली है।
राम रचि राखा की सुषमा और राधा हों या वह नहीं आयी के मनीष और मीनाक्षी; पति, सेकेंड हैंड की सोनाली हो या अम्बानी की कथा; अलग-अलग जगहों और जीवन स्थितियों में प्रेम के विविध रंग इन कथाओं में मिलते हैं ।
नौ कहानियों में नवरंग देखने को ही नहीं मिलते, बल्कि सच्ची और ज़िन्दा कहानियों की दृष्टि से भी यह प्रेम कथा-संग्रह पाठकों को पसन्द आयेगा । कथाकार की सफलता इसी में है कि वह अपनी हर कथा को पढ़वा ले जाता है। पाठकों को लगेगा कि अरे, ये तो हमारे ही आस-पास की कहानियाँ हैं।
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Description
आप बहुत… बहुत… सुन्दर हैं! –
हिन्दी में घोषित रूप में प्रेम कथाएँ कम ही लोगों ने लिखी हैं। यह साहस कथाकार कीर्तिकुमार सिंह में है । उनकी मान्यता है कि निन्यानवे प्रतिशत लोगों के बारे में अच्छे लोग बहुत कम लिखते हैं ।
आज हमारे समाज में प्रेम की भारी कमी हो गयी है। सबसे ऊपर पैसे की हैसियत ने संवेदनाओं को पीछे धकेल दिया है। ऐसे में कीर्तिजी की प्रेम कथाएँ एक खुशनुमा झोंके की तरह से हैं लेकिन आप इन्हें कोरी प्रेम कथाएँ पढ़ने के लालच में पढ़ेंगे तो भारी भूल होगी। यहाँ कथाकार ने बड़ी सूक्ष्मता से हमारे तथाकथित सभ्य समाज की ख़बर भी ली है।
राम रचि राखा की सुषमा और राधा हों या वह नहीं आयी के मनीष और मीनाक्षी; पति, सेकेंड हैंड की सोनाली हो या अम्बानी की कथा; अलग-अलग जगहों और जीवन स्थितियों में प्रेम के विविध रंग इन कथाओं में मिलते हैं ।
नौ कहानियों में नवरंग देखने को ही नहीं मिलते, बल्कि सच्ची और ज़िन्दा कहानियों की दृष्टि से भी यह प्रेम कथा-संग्रह पाठकों को पसन्द आयेगा । कथाकार की सफलता इसी में है कि वह अपनी हर कथा को पढ़वा ले जाता है। पाठकों को लगेगा कि अरे, ये तो हमारे ही आस-पास की कहानियाँ हैं।
About Author
कीर्तिकुमार सिंह
जन्म : 19 मई 1964 को इलाहाबाद जिले के कोटवा नामक गाँव में। शिक्षा : बी. ए., एम.ए. और डी.फिल. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से। शिक्षा में एक मेधावी छात्र के रूप में कई स्वर्ण पदक प्राप्त, जिनमें से एक स्वर्ण पदक 'संयुक्त राष्ट्र संघ' से।
कविता, कहानी, लघुकथा, उपन्यास और दर्शन के क्षेत्र में सक्रिय।
प्रकाशित कृतियाँ : जगद्गुरु कमीनिस्टाचार्य प्रयागपीठाधीश्वर (उपन्यास); अद्भुत प्रेम कथाएँ, दारागंज वाया कटरा, आप बहुत..... बहुत... सुन्दर हैं!, असाधारण प्रेम कथाएँ (कहानी-संग्रह); अधूरी दास्तान, छोटी सी बात, एक टुकड़ा रोशनी, बस इतना, दास्तान दर दास्तान, मेरी प्रतिनिधि लघुकथाएँ, बूँद बूँद बतरस (लघुकथा-संग्रह); उस कविता को नमस्कार करते हुए, कीर्तिकुमार सिंह की दार्शनिक कविताएँ, दिल्ली के दो-पाया कुत्ते, मन्दाकिनी घाटी (कविता-संग्रह): शिवा (कविता- कैसेट); पुरस्कार दर्शन, भारतीय दर्शन में दुःख और मुक्ति (दार्शनिक चिन्तन) ।
सम्प्रति : अध्यक्ष, दर्शन विभाग, श्यामाप्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय (इलाहाबाद विश्वविद्यालय), फाफामऊ, इलाहाबाद।
सम्पर्क : 15/6, स्टैनली रोड, सिविल लाइंस, इलाहाबाद- 211001 (उत्तर प्रदेश)
मो. : 9415094253
ई-मेल : kirti.add123@gmail.com
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