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Aankh Ka Naam Roti
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
हरी भटनागर
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
हरी भटनागर
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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Category: Hindi
Page Extent:
95
आँख का नाम रोटी –
हरि भटनागर की कहानियाँ मध्यवर्गीय व्यक्तिवादिता और प्रगतिशीलता का गुपचुप अतिक्रमण करती हैं। उनकी कहानियों में उद्घाटित यथार्थ निम्न मध्यवर्गीय जीवन का है जिसे ‘तलछट’ शब्द के साथ आलोचना ने रेखांकित किया था। वस्तुतः हरि भटनागर उन कथाकारों में अव्वल हैं जिन्होंने कहानी को मध्य और निम्न मध्यवर्ग के रोमान से निकालने का जोखिम भरा काम किया। गाँव के जीवन को दया और करुणा से देखने के नज़रिए के बरअक्स हरि भटनागर ने उन अन्तर्विरोधों और मूल्यहीनता को देखा जो वहाँ आकार ले रहा था। तलछट की भली-भली सी तस्वीर, भोले-भाले ग्रामीण हरि की कहानियों में उस तरह न आकर अपनी शरारतों और चालाकियों सहित प्रवेश करते हैं इसलिए वहाँ चमक, सनसनी और भाषा का रिझाऊ खेल अनुपस्थित है। आपको हरि की कहानी में साँवला ख़ुरदुरापन मिलेगा जो उन्हें अपने समकालीनों से अलग करता है। भूमण्डलीकरण के बाद आये इस जीवन में बदलावों की शिनाख़्त इन कहानियों में तहों-अन्तर्तहों में विन्यस्त है।
‘आँख का नाम रोटी’, ‘बला’, ‘कथरी’, ‘माई’, ‘फ़ाका’ जैसी कहानियों का त्रासद यथार्थ जुदा है। इस तरह का विश्वसनीय जीवन इधर की कहानियों में लगभग नहीं है। इसके अलावा भी संग्रह की कहानियों में अलक्षित जीवन-समाज को देखने की सलाहियत चमत्कृत करती है। हरि भटनागर अपनी सूक्ष्म दृष्टि, संवेदना, भाषा और कथ्य के स्तर पर एक ऐसा प्रतिसंसार रचते हैं, जो हमारी पहुँच में होकर भी दृष्टि से ओझल है। हमारे अन्तस के संवेदना तन्त्र को जगाती ये कहानियाँ नामालूम जीवन का प्रत्याख्यान रचती हैं।
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Description
आँख का नाम रोटी –
हरि भटनागर की कहानियाँ मध्यवर्गीय व्यक्तिवादिता और प्रगतिशीलता का गुपचुप अतिक्रमण करती हैं। उनकी कहानियों में उद्घाटित यथार्थ निम्न मध्यवर्गीय जीवन का है जिसे ‘तलछट’ शब्द के साथ आलोचना ने रेखांकित किया था। वस्तुतः हरि भटनागर उन कथाकारों में अव्वल हैं जिन्होंने कहानी को मध्य और निम्न मध्यवर्ग के रोमान से निकालने का जोखिम भरा काम किया। गाँव के जीवन को दया और करुणा से देखने के नज़रिए के बरअक्स हरि भटनागर ने उन अन्तर्विरोधों और मूल्यहीनता को देखा जो वहाँ आकार ले रहा था। तलछट की भली-भली सी तस्वीर, भोले-भाले ग्रामीण हरि की कहानियों में उस तरह न आकर अपनी शरारतों और चालाकियों सहित प्रवेश करते हैं इसलिए वहाँ चमक, सनसनी और भाषा का रिझाऊ खेल अनुपस्थित है। आपको हरि की कहानी में साँवला ख़ुरदुरापन मिलेगा जो उन्हें अपने समकालीनों से अलग करता है। भूमण्डलीकरण के बाद आये इस जीवन में बदलावों की शिनाख़्त इन कहानियों में तहों-अन्तर्तहों में विन्यस्त है।
‘आँख का नाम रोटी’, ‘बला’, ‘कथरी’, ‘माई’, ‘फ़ाका’ जैसी कहानियों का त्रासद यथार्थ जुदा है। इस तरह का विश्वसनीय जीवन इधर की कहानियों में लगभग नहीं है। इसके अलावा भी संग्रह की कहानियों में अलक्षित जीवन-समाज को देखने की सलाहियत चमत्कृत करती है। हरि भटनागर अपनी सूक्ष्म दृष्टि, संवेदना, भाषा और कथ्य के स्तर पर एक ऐसा प्रतिसंसार रचते हैं, जो हमारी पहुँच में होकर भी दृष्टि से ओझल है। हमारे अन्तस के संवेदना तन्त्र को जगाती ये कहानियाँ नामालूम जीवन का प्रत्याख्यान रचती हैं।
About Author
हरि भटनागर -
उत्तर प्रदेश के बहुत ही छोटे कस्बे राठ, हमीरपुर में 1955 में जन्म। प्रारम्भिक जीवन सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश में गुज़रा। सुल्तानपुर और लखनऊ में शिक्षा प्राप्त की। अपने कैरियर की शुरुआत दैनिक पत्रों से की। 'अमर उजाला', 'हितवाद' जैसे राष्ट्रीय पत्रों से लम्बे समय तक सम्बद्ध रहे। 'सग़ीर और उसकी बस्ती के लोग', 'बिल्ली नहीं, दीवार', 'नाम में क्या रखा है', 'सेवड़ी रोटियाँ' प्रकाशित कथा संग्रह। 'एक थी मैना एक था कुम्हार' उपन्यास। उपन्यास पर एक एनिमेशन फ़िल्म निर्माण प्रक्रिया में। कहानियाँ उर्दू, मलयालम, मराठी, पंजाबी के साथ रूसी, अंग्रेज़ी और फ्रेंच में अनूदित। 25 वर्षों तक मध्य प्रदेश साहित्य परिषद् की पत्रिका 'साक्षात्कार' के सम्पादन से सम्बद्ध रहे।
रूस के पुश्किन सम्मान समेत देश के राष्ट्रीय श्रीकान्त वर्मा पुरस्कार, दुष्यन्त कुमार सम्मान एवं वागीश्वरी पुरस्कार से पुरस्कृत।
रूस, अमेरिका, ब्रिटेन की साहित्यिक और सांस्कृतिक यात्राएँ। विश्व हिन्दी सम्मेलन, 2003 (सूरीनाम), विश्व हिन्दी सम्मेलन, 2007 (न्यूयार्क) में सक्रिय हिस्सेदारी।
मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग में उपनिदेशक तथा पंजाबी साहित्य अकादमी एवं मराठी साहित्य अकादमी के निदेशक रहे हरि भटनागर वर्तमान में साहित्यिक पत्रिका 'रचना समय’ के सम्पादक हैं।
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