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Aadivasi Swar Aur Nayee Shatabdi
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Aahten
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
पवन कुमार
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
पवन कुमार
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹350 ₹245
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In stock
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1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789387409095
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
150
आहटें – पवन कुमार की ग़ज़लों की सादगी और उनकी सलाहियत हमें बाहर के शोर से अन्दर की ख़ामुशी तक ले जाती है। दुनियावी कफ़स के मुक़ाबिल एक नामुमकिन-सी लगने वाली रिहाई की सूरत पेश आती हैं उनकी ग़ज़लें ।
उनकी ग़ज़लों में अपनी बात कहने का जो सलीक़ा है, वो पढ़ने वालो के दिलो-दिमाग़ पर बराबर असर करता है। मुहब्बत, आह, तड़प, बेचैनी, मशविरे, संघर्ष, तेवर, तंज, तग़ाफ़ुल उनकी ग़ज़लों के अटूट हिस्से हैं ।
सन्नाटों को जैसे ज़ुबान परोसती चलती हैं पवन कुमार की ग़ज़लें ।
पवन कुमार की ग़ज़लों के गुलशन में रंग-बिरंगे पौधे महकते -चहकते नज़र आते हैं।
वो मेरे अज़ीज़ दोस्त हैं, हम जब भी साथ बैठते हैं तो सोहबत का ये सिलसिला वक़्त की कमी के जुमले के साथ ही ख़त्म होता है ।
एक आला दर्जे की सरकारी नौकरी के साथ पवन कुमार शायरी और तख़य्युल का तवाजुबन कैसे
बनाते हैं, ये मैं आज तक नहीं समझ पाया। उनके बहुत से शे’र मुझे बेहद पसन्द हैं, लेकिन ये एक शे’र मेरी याददाश्त पर यूँ दर्ज है, जैसे पत्थर पे लकीर-
“उसी की याद के बर्तन बनाये जाता हूँ वही जो छोड़ गया चाक पर घुमा के मुझे। “1”
-मनोज मुंतशिर
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Description
आहटें – पवन कुमार की ग़ज़लों की सादगी और उनकी सलाहियत हमें बाहर के शोर से अन्दर की ख़ामुशी तक ले जाती है। दुनियावी कफ़स के मुक़ाबिल एक नामुमकिन-सी लगने वाली रिहाई की सूरत पेश आती हैं उनकी ग़ज़लें ।
उनकी ग़ज़लों में अपनी बात कहने का जो सलीक़ा है, वो पढ़ने वालो के दिलो-दिमाग़ पर बराबर असर करता है। मुहब्बत, आह, तड़प, बेचैनी, मशविरे, संघर्ष, तेवर, तंज, तग़ाफ़ुल उनकी ग़ज़लों के अटूट हिस्से हैं ।
सन्नाटों को जैसे ज़ुबान परोसती चलती हैं पवन कुमार की ग़ज़लें ।
पवन कुमार की ग़ज़लों के गुलशन में रंग-बिरंगे पौधे महकते -चहकते नज़र आते हैं।
वो मेरे अज़ीज़ दोस्त हैं, हम जब भी साथ बैठते हैं तो सोहबत का ये सिलसिला वक़्त की कमी के जुमले के साथ ही ख़त्म होता है ।
एक आला दर्जे की सरकारी नौकरी के साथ पवन कुमार शायरी और तख़य्युल का तवाजुबन कैसे
बनाते हैं, ये मैं आज तक नहीं समझ पाया। उनके बहुत से शे’र मुझे बेहद पसन्द हैं, लेकिन ये एक शे’र मेरी याददाश्त पर यूँ दर्ज है, जैसे पत्थर पे लकीर-
“उसी की याद के बर्तन बनाये जाता हूँ वही जो छोड़ गया चाक पर घुमा के मुझे। “1”
-मनोज मुंतशिर
About Author
पवन कुमार -
जन्म : 8 अगस्त 1975 (मैनपुरी, उ. प्र.) ।
शिक्षा : आई.ए.एस. (2008) उ.प्र. संवर्ग ।
कार्य अनुभव : विभिन्न जनपदों में ज़िला कलेक्टर
के पद पर कार्य कर चुके हैं। चंदौली, फर्रुखाबाद, सम्भल, सहारनपुर व बदायूँ में ज़िला कलेक्टर के पद पर कार्य कर चुके हैं।
प्रशासनिक कार्यों के साथ लेखन कार्य में भी सतत संलग्न । विविध विषयों पर लेखन कार्य । अब तक 3 पुस्तकें प्रकाशित। 'वाबस्ता' (2012) ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित । 'दस्तक' तथा 'पराग पलकों
पर' नामक ग़ज़ल संग्रहों का सम्पादन/संकलन । iRuh % श्रीमती अंजू सिंह (राज्य प्रशासनिक वित्त सेवाएँ) ।
(1) प्रशासनिक कार्यों में
विकास कार्यों तथा सफल निर्वाचन-कार्य सम्पादित आये जाने पर पुरस्कृत; (2) जयशंकर 'प्रसाद' (2013) पुरस्कार से सम्मानित; (3) 2016 के ज़ीशान मक़बूल अवार्ड तथा कन्हैया लाल मिश्र 'प्रभाकर' अवार्ड से सम्मानित; (4) सुप्रसिद्ध गायक रूपकुमार राठौर की आवाज़ में 'वाबस्ता' ग़ज़ल एलबम रिलीज (2016)।
सम्पर्क : 'सिंह सदन', गली नं. 7। राजा का बाग़, मैनपुरी (उ.प्र.)।
मो. : 9412290079
ई-मेल : singhsdm@gmail.com
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