Aadmi Ka Darr

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
शेखर जोशी
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
शेखर जोशी
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Hindi
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Hardback

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SKU 9788126330010 Category
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190

आदमी का डर –
हिन्दी के वरिष्ठ कथाकार शेखर जोशी ‘नयी कहानी’ रचना-आन्दोलन के व्यापक जनोन्मुख आयाम को प्रशस्त करने वाले रचनाकार हैं। उनके ‘आदमी का डर’ कहानी-संग्रह में अट्ठाईस कहानियाँ संगृहीत हैं। ‘कोसी का घटवार’ जैसी कालजयी कहानी के लेखक शेखर जोशी वस्तुतः मध्यवर्गीय भारतीय जीवन की छोटी-छोटी त्रासदियों/कठिनाइयों/दुविधाओं के तलघर में पैठकर जीवन की उज्ज्वल धूमिल सच्चाइयाँ उजागर करते हैं। यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि ‘फैक्ट्री लाइफ़’ या श्रमिक जीवन पर इतनी सघनता से लिखने वाले वे सर्वोपरि लेखक हैं। ‘बदबू’, ‘नौरंगी बीमार है’, ‘हेड मैसेंजर मन्टू’, ‘आशीर्वचन’ जैसी उनकी प्रसिद्ध कहानियों का ख़ास जीवन इस संग्रह में शामिल ‘आख़िरी टुकड़ा’, ‘प्रतीक्षित’ आदि में विस्तार पाता है।
‘आदमी का डर’ की सभी कहानियाँ इस दृष्टि से विशेष महत्त्वपूर्ण हैं कि इनमें शेखर जोशी के ‘रचनात्मक स्वभाव’ के सूत्र समाहित हैं। पर्वतीय अंचल के प्रसंग, गृहस्थी के खटराग, नैतिकता के असमंजस और विकास के स्याह-सफ़ेद आदि इन कहानियों में देखे-पढ़े जा सकते हैं। शेखर जोशी की कहानियों में स्त्रियों की स्थिति इस तरह चित्रित है कि विमर्श के ‘डमरूवाद’ की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। इस संग्रह का प्रकाशन एक ऐसे समय में हो रहा है जब ‘मितकथन’ या ‘कथावस्तु-सन्तुलन’ से घबराकर कुछ कहानीकार विवरणों-ब्योरों के ‘अवांछित अरण्य’ में पैठते जा रहे हैं, शेखर जोशी की कहानियाँ इस सन्दर्भ में एक आईना दिखाती हैं। भाषा और शिल्प की दृष्टि से शेखर जोशी की विशिष्ट पहचान है। सहजता और सार्थकता के अपने प्रतिमान वे स्वयं हैं।
‘आदमी का डर’ कहानी-संग्रह पाठकों को जीवन की वास्तविक विविधता से रूबरू करायेगा, ऐसा विश्वास है।—सुशील सिद्धार्थ

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Description

आदमी का डर –
हिन्दी के वरिष्ठ कथाकार शेखर जोशी ‘नयी कहानी’ रचना-आन्दोलन के व्यापक जनोन्मुख आयाम को प्रशस्त करने वाले रचनाकार हैं। उनके ‘आदमी का डर’ कहानी-संग्रह में अट्ठाईस कहानियाँ संगृहीत हैं। ‘कोसी का घटवार’ जैसी कालजयी कहानी के लेखक शेखर जोशी वस्तुतः मध्यवर्गीय भारतीय जीवन की छोटी-छोटी त्रासदियों/कठिनाइयों/दुविधाओं के तलघर में पैठकर जीवन की उज्ज्वल धूमिल सच्चाइयाँ उजागर करते हैं। यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि ‘फैक्ट्री लाइफ़’ या श्रमिक जीवन पर इतनी सघनता से लिखने वाले वे सर्वोपरि लेखक हैं। ‘बदबू’, ‘नौरंगी बीमार है’, ‘हेड मैसेंजर मन्टू’, ‘आशीर्वचन’ जैसी उनकी प्रसिद्ध कहानियों का ख़ास जीवन इस संग्रह में शामिल ‘आख़िरी टुकड़ा’, ‘प्रतीक्षित’ आदि में विस्तार पाता है।
‘आदमी का डर’ की सभी कहानियाँ इस दृष्टि से विशेष महत्त्वपूर्ण हैं कि इनमें शेखर जोशी के ‘रचनात्मक स्वभाव’ के सूत्र समाहित हैं। पर्वतीय अंचल के प्रसंग, गृहस्थी के खटराग, नैतिकता के असमंजस और विकास के स्याह-सफ़ेद आदि इन कहानियों में देखे-पढ़े जा सकते हैं। शेखर जोशी की कहानियों में स्त्रियों की स्थिति इस तरह चित्रित है कि विमर्श के ‘डमरूवाद’ की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। इस संग्रह का प्रकाशन एक ऐसे समय में हो रहा है जब ‘मितकथन’ या ‘कथावस्तु-सन्तुलन’ से घबराकर कुछ कहानीकार विवरणों-ब्योरों के ‘अवांछित अरण्य’ में पैठते जा रहे हैं, शेखर जोशी की कहानियाँ इस सन्दर्भ में एक आईना दिखाती हैं। भाषा और शिल्प की दृष्टि से शेखर जोशी की विशिष्ट पहचान है। सहजता और सार्थकता के अपने प्रतिमान वे स्वयं हैं।
‘आदमी का डर’ कहानी-संग्रह पाठकों को जीवन की वास्तविक विविधता से रूबरू करायेगा, ऐसा विश्वास है।—सुशील सिद्धार्थ

About Author

शेखर जोशी - 10 सितम्बर, 1932, उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जनपद में कोसी घाटी के ओलिया गाँव में जन्म। प्रारम्भिक शिक्षा दड़मियाँ स्कूल में। देहरादून में इंटर की पढ़ाई के दौरान ही सुरक्षा विभाग में चयन। चार साल के प्रशिक्षण के बाद 1955 में इलाहाबाद स्थित बेस कार्यशाला में आये और 1986 में स्वैच्छिक अवकाश लेने तक वहाँ कार्यरत रहे। इलाहाबाद ही उनकी कर्म और रचनास्थली रहा। 1958 में पहला कहानी-संग्रह 'कोसी का घटवार' प्रकाशित हुआ। तत्पश्चात् 'साथ के लोग', 'हलवाहा', 'मेरा पहाड़', 'डांगरी वाले', 'नौरंगी बीमार है' सहित अनेक संकलित कहानी-संग्रह तथा प्रतिनिधि कहानी-संग्रह प्रकाशित। 'स्मृति में रहें वे' रिपोर्ताज़, संस्मरण तथा रेखाचित्रों का संग्रह। नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा 'शेखर जोशी संकलित कहानियाँ' हिन्दी के साथ-साथ 12 प्रादेशिक भाषाओं में भी प्रकाश्य। देश-विदेश की अनेक भाषाओं में रचनाएँ अनूदित। 'दाज्यू' तथा 'कोसी का घटवार' जैसी बहुचर्चित कहानियों पर फ़िल्म निर्माण। उ.प्र. हिन्दी समिति, उ.प्र. हिन्दी संस्थान, भारत भवन भोपाल तथा अन्य कई संस्थाओं के सम्मानों के साथ ही 'पहल सम्मान', 'पहाड़ रजत सम्मान' से नवाज़ा गया है।

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