1000 Arthshastra Prashnottari

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dilip Pipada
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
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Dilip Pipada
Language:
Hindi
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Hardback

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184

किसी भी समाज अथवा देश का आर्थ‌िक दृष्‍ट‌ि से संपन्न – समर्थ होना अति आवश्यक होता है । यानी किसी भी समाज व देश की आर्थ‌िक सबलता उसके नागरिकों के अर्थ संबंधी ज्ञान से जुड़ी होती है । अर्थशास्त्र से हमें ऐसा ही ज्ञान प्राप्‍त होता है । प्रस्तुत पुस्तक हमें देश की आर्थ‌िक स्थिति व अर्थव्यवस्था के संबंध में ढेरों जानकारियाँ देती है । अर्थशास्त्र संबंध‌ित विभ‌िन्न विषयों को 1000 प्रश्‍नों के अंतर्गत समाहित किया गया है । इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास और वर्तमान, प्रति व्यक्‍त‌ि आय, सूचकांक, सकल घरेलू उत्पाद, आयात – निर्यात, विकास, स्थिरता, निर्धनता, पंचवर्षीय योजनाओं आदि के संबंध में अनेकानेक सूक्ष्म जानकारियाँ प्राप्‍त होती हैं । विश्‍‍वास है, इस पुस्तक को पढ़कर पाठकगण अर्थशास्त्र संबंधी अपने ज्ञान में वृद्धि ही नहीं, समृद्धि भी करेंगे ।.

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Description

किसी भी समाज अथवा देश का आर्थ‌िक दृष्‍ट‌ि से संपन्न – समर्थ होना अति आवश्यक होता है । यानी किसी भी समाज व देश की आर्थ‌िक सबलता उसके नागरिकों के अर्थ संबंधी ज्ञान से जुड़ी होती है । अर्थशास्त्र से हमें ऐसा ही ज्ञान प्राप्‍त होता है । प्रस्तुत पुस्तक हमें देश की आर्थ‌िक स्थिति व अर्थव्यवस्था के संबंध में ढेरों जानकारियाँ देती है । अर्थशास्त्र संबंध‌ित विभ‌िन्न विषयों को 1000 प्रश्‍नों के अंतर्गत समाहित किया गया है । इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास और वर्तमान, प्रति व्यक्‍त‌ि आय, सूचकांक, सकल घरेलू उत्पाद, आयात – निर्यात, विकास, स्थिरता, निर्धनता, पंचवर्षीय योजनाओं आदि के संबंध में अनेकानेक सूक्ष्म जानकारियाँ प्राप्‍त होती हैं । विश्‍‍वास है, इस पुस्तक को पढ़कर पाठकगण अर्थशास्त्र संबंधी अपने ज्ञान में वृद्धि ही नहीं, समृद्धि भी करेंगे ।.

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