Adhunik Bharat Mein Samajik Parivartan

Publisher:
PHI Learning Pvt. Ltd.
| Author:
सिंह जे. पी. (Singh J. P.)
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
PHI Learning Pvt. Ltd.
Author:
सिंह जे. पी. (Singh J. P.)
Language:
Hindi
Format:
Paperback

1,015

Save: 15%

In stock

Ships within:
3-5 Days

In stock

Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789391818807 Categories ,
Categories: ,
Page Extent:
676

सामाजिक परिवर्तन जैसे चर्चित विषय पर प्रख्यात समाज शास्त्रियों एवं मानव शास्त्रियों के गूढ़ विचारों को व्यवस्थित करने से हिंदी में प्रस्तुति करने का अब तक कोई ऐसा प्रयास नहीं हुआ है। वर्तमान पुस्तक इस्स कमी को काफी हद तक पूरा करती है। विभिन्‍न प्रकार के जटिल विचारों को यहां इतने सरल और सहज तरीके से रखने की कोशिश की गई है कि समाज शास्त्र के विभिन स्तर के पाठकों को ये पुस्तक समान रूप से बोधगम्य हो। ये पुस्तक केवल समाज शास्त्र के पाठकों के लिए ही उपयोगी सिद्ध नहीं होगी, बाल्कि तमाम लोगो के लिए भी उपयोगी साबित होगी जो समाजशास्त्रीय विवेचना में थोड़ी सी भी रुचि रखते हैं।

सामाजिक परिवर्तन के विभिन्‍न पश्चात्‍य सिद्धांतौ, कारको एवम् प्रक्रियाओं का भारतीय परिप्रेक्ष्य में विश्लेष्ण इस पुस्तक की विशिष्टता में से एक है। सम्बद्ध समाजशास्त्रीय अवधारणाओं का प्रामाणिक अनुवाद और उनके विश्लेषण के साथ-साथ पाश्चात्य विद्वानों के नामों का भी प्रामाणिक उच्चारण इस पुस्तक की अपनी विशिष्टता है। वैसे चिंतनशील पाठक जिनमें यह जानने की थोड़ी सी भी जिज्ञासा है की समाज वैज्ञानिक समाज में प्रचलित विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाओं को कैसे देखते हैं, उन्हें भी इस पुस्तक पर एक दृष्टि डालनी ही चाहिए।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Adhunik Bharat Mein Samajik Parivartan”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

सामाजिक परिवर्तन जैसे चर्चित विषय पर प्रख्यात समाज शास्त्रियों एवं मानव शास्त्रियों के गूढ़ विचारों को व्यवस्थित करने से हिंदी में प्रस्तुति करने का अब तक कोई ऐसा प्रयास नहीं हुआ है। वर्तमान पुस्तक इस्स कमी को काफी हद तक पूरा करती है। विभिन्‍न प्रकार के जटिल विचारों को यहां इतने सरल और सहज तरीके से रखने की कोशिश की गई है कि समाज शास्त्र के विभिन स्तर के पाठकों को ये पुस्तक समान रूप से बोधगम्य हो। ये पुस्तक केवल समाज शास्त्र के पाठकों के लिए ही उपयोगी सिद्ध नहीं होगी, बाल्कि तमाम लोगो के लिए भी उपयोगी साबित होगी जो समाजशास्त्रीय विवेचना में थोड़ी सी भी रुचि रखते हैं।

सामाजिक परिवर्तन के विभिन्‍न पश्चात्‍य सिद्धांतौ, कारको एवम् प्रक्रियाओं का भारतीय परिप्रेक्ष्य में विश्लेष्ण इस पुस्तक की विशिष्टता में से एक है। सम्बद्ध समाजशास्त्रीय अवधारणाओं का प्रामाणिक अनुवाद और उनके विश्लेषण के साथ-साथ पाश्चात्य विद्वानों के नामों का भी प्रामाणिक उच्चारण इस पुस्तक की अपनी विशिष्टता है। वैसे चिंतनशील पाठक जिनमें यह जानने की थोड़ी सी भी जिज्ञासा है की समाज वैज्ञानिक समाज में प्रचलित विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाओं को कैसे देखते हैं, उन्हें भी इस पुस्तक पर एक दृष्टि डालनी ही चाहिए।

About Author

डाँ. जे. पी. सिंह, एम.ए. (पटना वि.), एम.फिल. (जे.एन.यू.), पीएच. डी. (आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी), प्रोफ़ेसर (सेवा-निवृत), स्नातकोत्तर समाजशास्त्र विभाग, पटना विश्वविधालय, पटना | निदेशक (उच्च शिक्षा), बिहार सरकार तथा प्रतिकुलपति, पटना विश्वविधालय के रूप में योगदान का अनुभव | इन्होंने पूर्व में टाटा इनस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइन्सेज, मुंबई में उपाचार्य के रूप में अध्यापन किया है | डाँ. सिंह राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की शोध-पत्रिकाओं में साठ से भी अधिक लेखों का प्रकाशन कर चुके हैं | Patterns of Rural-Urban Migration in India, The Indian Woman: Myth and Reality, Studies in Social Demography, समाजशास्त्र : अवधारणाएँ एवं सिद्धान्त तथा समाजविज्ञान विश्वकोश इनकी प्रमुख कृतियों में से हैं |

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Adhunik Bharat Mein Samajik Parivartan”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED