SalePaperback
Samyavad Ke Par
Publisher:
Vagdevi Prakashan
| Author:
Philip Sprait I M. N. Roy
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vagdevi Prakashan
Author:
Philip Sprait I M. N. Roy
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹150 ₹149
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In stock
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Book Type |
---|
ISBN:
SKU
9788187482710
Categories Hindi, Politics/Government
Categories: Hindi, Politics/Government
Page Extent:
162
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About Author
फिलिप स्प्रेट सन् 1929 में मेरठ कम्युनिस्ट षड्यन्त्र में एक अभियुक्त थे। राय स्वयं उसी अवधि में कानपुर षड्यन्त्र काण्ड के प्रमुख अभियुक्त माने गये थे। स्ट्रैट इंग्लैण्ड के निवासी थे और ब्रिटिश कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य थे। 1926 में 24 वर्ष की आयु में वे भारत में साम्राज्यवाद विरोधी गुटों को संगठित करने के लिए यहाँ आये। 1936 में अपनी रिहाई के बाद फिलिप स्ट्रैट भारत में ही बस गये। उन्होंने बंगलौर से 'माइस इण्डिया' नामक साप्ताहिक पत्र प्रकाशित किया। बाद में मद्रास से प्रकाशित 'स्वराज्य' नामक साप्ताहिक पत्र के सम्पादक बने। स्प्रेट राय के घनिष्ठ मित्र थे और रैडिकल डेमोक्रैटिक पार्टी के सक्रिय सदस्य थे। वे मार्क्सवाद के अन्ध-अनुयायी नहीं थे। दूसरे महायुद्ध के तुरन्त बाद वे 'मानववाद' सिद्धान्त की ओर आकृष्ट हुए और वे स्वयं इस सिद्धान्त के प्रमुख प्रतिपादक बन गये। उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखीं, जिनमें 'गाँधीवाद एन एनालिसिस' और 'ए न्यू लुक ऑन मार्क्सिज्म' प्रमुख हैं। उनका देहान्त 1969 ई. में हो गया।
एम एन राय (1887-1954 ई.) अनेक दृष्टियों से विलक्षण व्यक्ति थे। उन्होंने कार्य और विचार, दोनों क्षेत्रों में अपनी विशिष्टता की छाप छोड़ी है। कार्यक्षेत्र में वे निष्ठावान, कर्मठ क्रान्तिकारी थे। विचार क्षेत्र में उनका विकास मौलिक सामाजिक दार्शनिक के रूप में हुआ। उनका राजनीतिक जीवन तीन चरणों से गुजरा है। जीवन का आरम्भ उत्कट राष्ट्रवादी के रूप में हुआ, बाद में वे उत्कट कम्युनिस्ट हुए और अन्त में वे सृजनात्मक रैडिकल ह्यूमनिस्ट विचारक के रूप में विख्यात हुए। मैक्सिको में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना कर सोवियत संघ के बाहर कम्युनिस्ट पार्टी के वे प्रथम संस्थापक बने।
एम एन राय (1887-1954 ई.) अनेक दृष्टियों से विलक्षण व्यक्ति थे। उन्होंने कार्य और विचार, दोनों क्षेत्रों में अपनी विशिष्टता की छाप छोड़ी है। कार्यक्षेत्र में वे निष्ठावान, कर्मठ क्रान्तिकारी थे। विचार क्षेत्र में उनका विकास मौलिक सामाजिक दार्शनिक के रूप में हुआ। उनका राजनीतिक जीवन तीन चरणों से गुजरा है। जीवन का आरम्भ उत्कट राष्ट्रवादी के रूप में हुआ, बाद में वे उत्कट कम्युनिस्ट हुए और अन्त में वे सृजनात्मक रैडिकल ह्यूमनिस्ट विचारक के रूप में विख्यात हुए। मैक्सिको में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना कर सोवियत संघ के बाहर कम्युनिस्ट पार्टी के वे प्रथम संस्थापक बने।
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