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Mrigtrishna- Mahabharata Trilogy-1
Publisher:
Sahitya Vimarsh
| Author:
Santosh Pathak
| Language:
HIndi
| Format:
Paperback
Publisher:
Sahitya Vimarsh
Author:
Santosh Pathak
Language:
HIndi
Format:
Paperback
₹299 ₹254
Save: 15%
In stock
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3-5 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
SKU
9789392829314
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
256
देश पर आतंकी हमले का खतरा मंडरा रहा था। अलकायदा कमांडर सैफ अल अदल ने खुलेआम ये धमकी जारी की थी कि वह हिंदुस्तान की सड़कों को लाशों से पाट देगा। उसके निशाने पर देश की आम जनता तो थी ही, साथ ही वह कई दिग्गज नेताओं, पीएम और यहाँ तक कि प्रेसिडेंट को खत्म करने के मंसूबे बांधे बैठा था। मगर क्या वह सब उतना ही आसान था जितना कि किसी न्यूज चैनल को एक धमकी भरी वीडियो भेज देना?
यह एक ऐसा मामला था, जिसका लोकल पुलिस से कोई लेना-देना नहीं था, क्योंकि एनआईए और आईबी जैसी एजेंसियाँ दुश्मन को नेस्तनाबूद करने के लिए कमर कस के मैदान में उतर चुकी थीं, बावजूद इसके पनौती की टाँग उसमें जा फँसी तो उसकी वजह बस इतनी थी कि वह और संजना सतपाल के बुलावे पर एक ऐसे समारोह में शिरकत करने पहुँच गये, जहाँ हमलावर पहले से अपना जाल बिछाये बैठे थे।
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Description
देश पर आतंकी हमले का खतरा मंडरा रहा था। अलकायदा कमांडर सैफ अल अदल ने खुलेआम ये धमकी जारी की थी कि वह हिंदुस्तान की सड़कों को लाशों से पाट देगा। उसके निशाने पर देश की आम जनता तो थी ही, साथ ही वह कई दिग्गज नेताओं, पीएम और यहाँ तक कि प्रेसिडेंट को खत्म करने के मंसूबे बांधे बैठा था। मगर क्या वह सब उतना ही आसान था जितना कि किसी न्यूज चैनल को एक धमकी भरी वीडियो भेज देना?
यह एक ऐसा मामला था, जिसका लोकल पुलिस से कोई लेना-देना नहीं था, क्योंकि एनआईए और आईबी जैसी एजेंसियाँ दुश्मन को नेस्तनाबूद करने के लिए कमर कस के मैदान में उतर चुकी थीं, बावजूद इसके पनौती की टाँग उसमें जा फँसी तो उसकी वजह बस इतनी थी कि वह और संजना सतपाल के बुलावे पर एक ऐसे समारोह में शिरकत करने पहुँच गये, जहाँ हमलावर पहले से अपना जाल बिछाये बैठे थे।
About Author
लेखक संतोष पाठक का जन्म 19 जुलाई 1978 को, उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के बेटाबर खूर्द गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा गाँव से पूरी करने के बाद वर्ष 1987 में आप अपने पिता श्री ओमप्रकाश पाठक और माता श्रीमती उर्मिला पाठक के साथ दिल्ली चले गये,। जहाँ से आपने उच्च शिक्षा हासिल की।
आपकी पहली रचना वर्ष 1998 में मशहूर हिन्दी अखबार नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हुई, जिसके बाद आपने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2004 में आपको हिन्दी अकादमी द्वारा उत्कृष्ट लेखन के लिए पुरस्कृत किया गया। आपने सच्चे किस्से, सस्पेंस कहानियाँ, मनोरम कहानियाँ इत्यादि पत्रिकाओं तथा शैक्षिक किताबों का सालों तक सम्पादन किया है। आपने हिन्दी अखबारों के लिए न्यूज रिपोर्टिंग करने के अलावा सैकड़ों की तादाद में सत्यकथाएँ तथा फिक्शन लिखे हैं।
आपकी पहली रचना वर्ष 1998 में मशहूर हिन्दी अखबार नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हुई, जिसके बाद आपने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2004 में आपको हिन्दी अकादमी द्वारा उत्कृष्ट लेखन के लिए पुरस्कृत किया गया। आपने सच्चे किस्से, सस्पेंस कहानियाँ, मनोरम कहानियाँ इत्यादि पत्रिकाओं तथा शैक्षिक किताबों का सालों तक सम्पादन किया है। आपने हिन्दी अखबारों के लिए न्यूज रिपोर्टिंग करने के अलावा सैकड़ों की तादाद में सत्यकथाएँ तथा फिक्शन लिखे हैं।
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