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Koroya Phool
Publisher:
Sahitya Vimarsh
| Author:
Athnas Kispotta
| Language:
HIndi
| Format:
Paperback
Publisher:
Sahitya Vimarsh
Author:
Athnas Kispotta
Language:
HIndi
Format:
Paperback
₹249 ₹211
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In stock
Ships within:
3-5 Days
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Book Type |
---|
ISBN:
SKU
9789392829246
Categories Hindi, Social/Cultural
Categories: Hindi, Social/Cultural
Page Extent:
219
आज आदिवासी संस्कृति विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गयी है। मुरिया जनजाति की घोटुल संस्कृति से लेकर उराँव जनजाति की अखड़ा संस्कृति तक सब विलुप्त हो रही है लिये मुख्य रूप से हम कथित सभ्य समाज के लोग ही जिम्मेदार हैं। इस पुस्तक में एक संस्मरण संस्मरण ‘गोंगो’ के नाम से है। वास्तव में कथित समाज ही वह लुटेरा गोंगो है, जो कभी नमक के व्यापारी के रूप में आदिवासियों से उनकी बेशकीमती चिरोंजी ले लेता है तो कभी आदिवासी क्षेत्रों में घुसपैठ कर चुके छोटे व्यवसायी के रूप में बसे लुटेरे। ये तो जोंक की भाँति लगातार खून चूस रहे हैं। आदिवासियों को सबसे अधिक खतरा तो उन उद्योगपतियों से है, जो कि उनके जल, जंगल और जमीन को हड़पने की नीयत से घुस जाते हैं। वे मुआवजे का लालच देकर आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल करने का प्रयास करते हैं। इस वजह से आदिवासी रूपी कोरोया फूल को अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़नी पड़ रही है।
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Description
आज आदिवासी संस्कृति विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गयी है। मुरिया जनजाति की घोटुल संस्कृति से लेकर उराँव जनजाति की अखड़ा संस्कृति तक सब विलुप्त हो रही है लिये मुख्य रूप से हम कथित सभ्य समाज के लोग ही जिम्मेदार हैं। इस पुस्तक में एक संस्मरण संस्मरण ‘गोंगो’ के नाम से है। वास्तव में कथित समाज ही वह लुटेरा गोंगो है, जो कभी नमक के व्यापारी के रूप में आदिवासियों से उनकी बेशकीमती चिरोंजी ले लेता है तो कभी आदिवासी क्षेत्रों में घुसपैठ कर चुके छोटे व्यवसायी के रूप में बसे लुटेरे। ये तो जोंक की भाँति लगातार खून चूस रहे हैं। आदिवासियों को सबसे अधिक खतरा तो उन उद्योगपतियों से है, जो कि उनके जल, जंगल और जमीन को हड़पने की नीयत से घुस जाते हैं। वे मुआवजे का लालच देकर आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल करने का प्रयास करते हैं। इस वजह से आदिवासी रूपी कोरोया फूल को अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़नी पड़ रही है।
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