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Bhor Uske Hisse Ki
Publisher:
Sahitya Vimarsh
| Author:
Ranvijay
| Language:
HIndi
| Format:
Paperback
Publisher:
Sahitya Vimarsh
Author:
Ranvijay
Language:
HIndi
Format:
Paperback
₹249 ₹211
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In stock
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3-5 Days
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Book Type |
---|
ISBN:
SKU
9789392829147
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
228
भोर उसके हिस्से की – तीन स्त्रियों की यात्रा- एक नया आसमान छूने को… वर्जनाओं, मर्यादाओं को पहचानने को … उनसे जूझने को
भोर उसके हिस्से की -जब तक जामवंत ने हनुमान को अहसास नहीं दिलाया था कि तुम समुद्र लाँघ सकते हो, तब तक उनका रावण की नगरी लंका तक जाना असम्भव था। इसी तरह कई बार हमारे मन के अवचेतन के जड़ों, बन्धनों, जंजीरों को तोड़ने के लिए एक बल की ज़रूरत होती है, जो होता तो हमारे अन्दर ही है पर उसे किसी बाहरी जामवंत की प्रेरणा चाहिए होती है।
तीस से छत्तीस वर्ष के वय की तीन नौकरी पेशा स्त्रियाँ हैं, जो अपना रूटीन जीवन जी रही हैं। वे काम के सिलसिले में एक दूसरे से मिलती हैं और गहरी दोस्त बन जाती हैं। व्यवसायों की पुरुष प्रधान दुनिया में वे पहले से ही खुद को अकेली महसूस करती रही थीं। अपने आस-पास के संसार, पुरुषों और समाज के अदृश्य बन्धनों से उनमें एक क्षोभ है। उनमें से ही एक स्त्री द्वारा, नितांत मजाक में विदेश का ओनली लेडीज ट्रिप प्रस्तावित किया जाता है। बात की बात में वे उस पर सहमत हो जाती हैं। इस यात्रा पर वे पहली बार स्वयं से मिलती हैं। अपनी क्षमताओं, सीमाओं और वर्जनाओं से उनकी मुलाकात होती है। यह यात्रा मिलाती है उन्हें उस स्वतंत्र महिला से जो अपने डर, शर्म, लाज, लिहाज, परिधान, उपेक्षा, परिहास से इतनी आगे निकल जाना चाहती है कि उसे यह सब दिखना ही बंद हो जाए।
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Description
भोर उसके हिस्से की – तीन स्त्रियों की यात्रा- एक नया आसमान छूने को… वर्जनाओं, मर्यादाओं को पहचानने को … उनसे जूझने को
भोर उसके हिस्से की -जब तक जामवंत ने हनुमान को अहसास नहीं दिलाया था कि तुम समुद्र लाँघ सकते हो, तब तक उनका रावण की नगरी लंका तक जाना असम्भव था। इसी तरह कई बार हमारे मन के अवचेतन के जड़ों, बन्धनों, जंजीरों को तोड़ने के लिए एक बल की ज़रूरत होती है, जो होता तो हमारे अन्दर ही है पर उसे किसी बाहरी जामवंत की प्रेरणा चाहिए होती है।
तीस से छत्तीस वर्ष के वय की तीन नौकरी पेशा स्त्रियाँ हैं, जो अपना रूटीन जीवन जी रही हैं। वे काम के सिलसिले में एक दूसरे से मिलती हैं और गहरी दोस्त बन जाती हैं। व्यवसायों की पुरुष प्रधान दुनिया में वे पहले से ही खुद को अकेली महसूस करती रही थीं। अपने आस-पास के संसार, पुरुषों और समाज के अदृश्य बन्धनों से उनमें एक क्षोभ है। उनमें से ही एक स्त्री द्वारा, नितांत मजाक में विदेश का ओनली लेडीज ट्रिप प्रस्तावित किया जाता है। बात की बात में वे उस पर सहमत हो जाती हैं। इस यात्रा पर वे पहली बार स्वयं से मिलती हैं। अपनी क्षमताओं, सीमाओं और वर्जनाओं से उनकी मुलाकात होती है। यह यात्रा मिलाती है उन्हें उस स्वतंत्र महिला से जो अपने डर, शर्म, लाज, लिहाज, परिधान, उपेक्षा, परिहास से इतनी आगे निकल जाना चाहती है कि उसे यह सब दिखना ही बंद हो जाए।
About Author
कथा लेखकों का जो समुच्चय वर्तमान में दिखता रहा है, उनमें से कुछ गम्भीर और शोध परक लेखकों का नाम यदि उठा लिया जाए तो उसमे ‘रणविजय’ का नाम अवश्य आएगा। वर्ष 2018 में इनकी पहली पुस्तक ‘दर्द माँजता है’ (कहानी संग्रह) प्रकाशित हुई थी। वर्ष 2020 में इनका दूसरा कहानी संग्रह ‘दिल है छोटा सा’ आया था और 2021 में इनका प्रथम उपन्यास ‘ड्रैगन्स गेम’ प्रकशित हुआ है।
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