Tum Tak

Publisher:
Sahitya Vimarsh
| Author:
Hema Bhisht
| Language:
HIndi
| Format:
Paperback
Publisher:
Sahitya Vimarsh
Author:
Hema Bhisht
Language:
HIndi
Format:
Paperback

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153

प्रेम के जादू और इश्क़ के रुतबे से कोई अभागा ही अनजान होगा। जब प्यार किसी से होता है तो प्रेमी ना अपनी पात्रता देखता है और ना प्रेम की अलभ्यता की तरफ़ उसका ध्यान जाता है। हर्षा एक साधारण, मितभाषी और पढ़ाकू लड़की जिसे ख़ूबसूरत, चंचल और बातूनी पलाश अपने जादू में क़ैद कर लेता है। हर्षा जानती है कि वो पलाश को कभी हासिल नहीं कर सकेगी, लेकिन जब तक पलाश को प्यार करने का अधिकार किसी और के पास ऑफ़िशियली नहीं है, तो हर्षा क्यूँ ना ये इस एकतरफ़ा प्यार को जी ले? पलाश भी सोचता है कि प्यार करने में प्यार जताने की शर्त थोड़ी ना जुड़ी होती है। कहाँ वो और कहाँ उसका प्यार? कोई मेल ही नहीं। जातियाँ अलग, आर्थिक हालात अलग। जहाँ रहना नहीं मुमकिन उस गली में क्या झांकना। अपना प्यार अपने दिल में दबाए पलाश और हर्षा अलग हो गए। क्या उनके दिल की हूक वो दोनों एक दूसरे से छिपा जाएँगे? प्रेम क्या प्रेमियों से हार जाएगा? इश्क़ कभी आशिक़ों का रुतबा ख़ुद से ऊँचा उठने देगा? “

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Description

प्रेम के जादू और इश्क़ के रुतबे से कोई अभागा ही अनजान होगा। जब प्यार किसी से होता है तो प्रेमी ना अपनी पात्रता देखता है और ना प्रेम की अलभ्यता की तरफ़ उसका ध्यान जाता है। हर्षा एक साधारण, मितभाषी और पढ़ाकू लड़की जिसे ख़ूबसूरत, चंचल और बातूनी पलाश अपने जादू में क़ैद कर लेता है। हर्षा जानती है कि वो पलाश को कभी हासिल नहीं कर सकेगी, लेकिन जब तक पलाश को प्यार करने का अधिकार किसी और के पास ऑफ़िशियली नहीं है, तो हर्षा क्यूँ ना ये इस एकतरफ़ा प्यार को जी ले? पलाश भी सोचता है कि प्यार करने में प्यार जताने की शर्त थोड़ी ना जुड़ी होती है। कहाँ वो और कहाँ उसका प्यार? कोई मेल ही नहीं। जातियाँ अलग, आर्थिक हालात अलग। जहाँ रहना नहीं मुमकिन उस गली में क्या झांकना। अपना प्यार अपने दिल में दबाए पलाश और हर्षा अलग हो गए। क्या उनके दिल की हूक वो दोनों एक दूसरे से छिपा जाएँगे? प्रेम क्या प्रेमियों से हार जाएगा? इश्क़ कभी आशिक़ों का रुतबा ख़ुद से ऊँचा उठने देगा? “

About Author

सॉफ्टवेयर इंजीनियर रह चुकी लेखिका फ़िलहाल मेलबर्न में रहती है। अपने बारे में बताते हुए वे कहती हैं कि जिस स्नेह और आत्मीयता से इस दुनिया ने मेरे जीवन को पोषित किया है, उसके लिये मैं इसकी ऋणी हूँ। अपने लेखन से कुछ सुन्दरता और सकारात्मक यदि लौटा सकूँ, तो यह कोशिश मुझे ज़रूर करनी चाहिये। मेरे पास जो कुछ है, वो इसी दुनिया से और आप सबसे मिला हुआ है। मैं इससे ज्यादा कहूँ कि मेरे लेखन में तेरा तुझको अर्पण वाला ही भाव प्रधान है।

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