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Geetamritam
Publisher:
Manjul
| Author:
Prof. Suresh Chandra Sharma
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Manjul
Author:
Prof. Suresh Chandra Sharma
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹450 ₹360
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In stock
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1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
SKU
9789355433602
Categories New Releases, New Releases & Pre-orders, Non Fiction
Categories: New Releases, New Releases & Pre-orders, Non Fiction
Page Extent:
362
सामान्य रूप से गीता की व्याख्या श्लोकों के अर्थ के विस्तार के रूप में की जाती है। इससे प्रत्येक श्लोक एकाकी हो जाता है व गीता, विभिन्न विचारों का गुलदस्ता, जिसमें प्रत्येक फूल का रूप, रंग और गंध एक-दूसरे से अलग है, लगने लगती है। इसलिए गीता को समझने में पाठक भ्रमित हो जाता है। इस पुस्तक में गीता में बह रही प्रगतिशील अंतर्धारा को स्पष्ट किया गया है। इससे गीता विभिन्न पुष्पों का गुलदस्ता नहीं बल्कि नदी की धारा दिखाई देती है जिसमें लहरें, भँवर, प्रपात तो हैं परन्तु उनमें व्याप्त, उनका आधार, जल स्पष्ट दिखाई देने लगा है। गीता उस नदी के रूप में प्रस्तुत हुई है जो सामान्य जीवन के विषाद रूपी उद्गम से प्रारंभ होकर दिव्य जीवन के महासागर तक की यात्रा कराती है। इसके लिए पूरी गीता की व्याख्या, विषय के अनुसार, 4 से 10 श्लोकों के समूह को एक उपशीर्षक देकर की गई है। ऐसे विभिन्न उपशीर्षकों को एक शीर्षक के अंदर लाया गया है जो एक अध्याय को स्पष्ट कर देते हैं। विभिन्न अध्यायों के बीच अंतर्सम्बन्ध समझाते हुए स्पष्ट कर दिया गया है कि गीता, प्रथम से अठारहवें अध्याय तक गीतोक्त साधना के प्रगतिशील स्तर बताती है। इस प्रकार गीता सामान्य जीवन से दिव्य जीवन तक की यात्रा की मार्गदर्शिका बन गई है।
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Description
सामान्य रूप से गीता की व्याख्या श्लोकों के अर्थ के विस्तार के रूप में की जाती है। इससे प्रत्येक श्लोक एकाकी हो जाता है व गीता, विभिन्न विचारों का गुलदस्ता, जिसमें प्रत्येक फूल का रूप, रंग और गंध एक-दूसरे से अलग है, लगने लगती है। इसलिए गीता को समझने में पाठक भ्रमित हो जाता है। इस पुस्तक में गीता में बह रही प्रगतिशील अंतर्धारा को स्पष्ट किया गया है। इससे गीता विभिन्न पुष्पों का गुलदस्ता नहीं बल्कि नदी की धारा दिखाई देती है जिसमें लहरें, भँवर, प्रपात तो हैं परन्तु उनमें व्याप्त, उनका आधार, जल स्पष्ट दिखाई देने लगा है। गीता उस नदी के रूप में प्रस्तुत हुई है जो सामान्य जीवन के विषाद रूपी उद्गम से प्रारंभ होकर दिव्य जीवन के महासागर तक की यात्रा कराती है। इसके लिए पूरी गीता की व्याख्या, विषय के अनुसार, 4 से 10 श्लोकों के समूह को एक उपशीर्षक देकर की गई है। ऐसे विभिन्न उपशीर्षकों को एक शीर्षक के अंदर लाया गया है जो एक अध्याय को स्पष्ट कर देते हैं। विभिन्न अध्यायों के बीच अंतर्सम्बन्ध समझाते हुए स्पष्ट कर दिया गया है कि गीता, प्रथम से अठारहवें अध्याय तक गीतोक्त साधना के प्रगतिशील स्तर बताती है। इस प्रकार गीता सामान्य जीवन से दिव्य जीवन तक की यात्रा की मार्गदर्शिका बन गई है।
About Author
प्रो. (डॉ) सुरेशचन्द्र शर्मा जन्म : 1 नवंबर 1944, ग्राम गुलालई, सबलगढ़, जिला मुरैना (मध्यप्रदेश) शिक्षा : एम.एससी. (कृषि), पीएच.डी. प्रमुख वैज्ञानिक और विभागाध्यक्ष मृदाविज्ञान, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर (वर्ष 2006 में सेवानिवृत्त)। छात्रजीवन से ही छात्र-कल्याण, सामाजिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्रों में अनवरत सक्रिय कार्य करते रहे हैं। वैज्ञानिक शोधकार्य तथा अध्यापन के साथ-साथ सांस्कृतिक-आध्यात्मिक अध्ययन-अध्यापन करते हुए रामकृष्ण मिशन (बेलूर), विवेकानन्द केन्द्र (कन्याकुमारी), तथा श्रीअरविन्द सोसायटी (पुदुच्चेरी) से घनिष्ठ रूप से जुड़े रहे हैं। रामकृष्ण-विवेकानन्द भावधारा, श्रीअरविन्द साहित्य, पाण्डुरंग आठवाले स्वाध्याय आंदोलन तथा गीताप्रेस (गोरखपुर) के साहित्य का स्वान्त: सुखाय, व्यक्तित्व विकासार्थ एवं संस्कृति संवर्धनाय अनुवाद, लेखन, सम्पादन तथा संकलन किया है। वर्तमान में रामकृष्ण आश्रम (ग्वालियर) के समन्वयक तथा श्रीअरविन्द सोसायटी-इंस्टीट्यूट ऑफ़ कल्चर (ग्वालियर) के प्रमुख मार्गदर्शक के रूप में अनेक सृजनात्मक कार्यों में व्यस्त हैं। अनेक मंचों पर विभिन्न आध्यात्मिक विषयों पर सतत उद्बोधन चलते रहते हैं। प्रकाशित पुस्तकें : व्यक्तित्व विकास और भगवद्गीता, भागवत का शाश्वत संदेश (भोगजीवन से भावजीवन की ओर), प्रेमाभक्ति दर्शन (नारद भक्तिसूत्र की व्याख्या), भूमापुरुष स्वामी विवेकानन्द। इसके अलावा अनेक पुस्तकों का अनुवाद किया है जो रामकृष्णमठ नागपुर से प्रकाशित हुई हैं।
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