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SALIBEIN MERE DARICHE MEIN
Publisher:
SETU PRAKASHAN
| Author:
SHAKEEL SIDDIQUI
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
SETU PRAKASHAN
Author:
SHAKEEL SIDDIQUI
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹990 ₹743
Save: 25%
In stock
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3-5 Days
In stock
ISBN:
SKU
9788119127870
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
328
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (13 फरवरी 1911-20 नवम्बर 1984) उर्दू के महानतम शायरों में शुमार हैं। उनका जीवन काफी उतार-चढ़ाव का रहा। स्यालकोट में जन्मे फ़ैज़ उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद ब्रिटिश इण्डियन आर्मी में भर्ती हो गये थे। विभाजन के बाद अलग देश के रूप में पाकिस्तान के वजूद में आने के बाद उन्होंने अँग्रेजी में ‘पाकिस्तान टाइम्स’ और उर्दू में ‘इमरोज़’ दो अख़बारों का सम्पादन किया। मार्क्सवाद के क़ायल तो थे ही, कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य भी थे। साहित्यिक हलके में वह प्रगतिशील आन्दोलन से जुड़े और प्रगतिशील लेखक संघ के अगुआ लेखकों में गिने गये। 1951 में फ़ैज़ को जेल जाना पड़ा, इस आरोप में कि वह लियाक़त सरकार को गिराने और उसकी जगह सोवियत समर्थक, वामपन्थी सरकार लाने की साज़िश रच रहे थे। चार साल बाद वह रिहा हो गये, फिर उन्होंने कई साल विदेश में बिताये। बहरहाल, फ़ैज़ के जीवनकाल में ही उनकी पहचान उर्दू के सर्वाधिक प्रसिद्ध रचनाकार के रूप में बन गयी थी ।
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Description
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (13 फरवरी 1911-20 नवम्बर 1984) उर्दू के महानतम शायरों में शुमार हैं। उनका जीवन काफी उतार-चढ़ाव का रहा। स्यालकोट में जन्मे फ़ैज़ उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद ब्रिटिश इण्डियन आर्मी में भर्ती हो गये थे। विभाजन के बाद अलग देश के रूप में पाकिस्तान के वजूद में आने के बाद उन्होंने अँग्रेजी में ‘पाकिस्तान टाइम्स’ और उर्दू में ‘इमरोज़’ दो अख़बारों का सम्पादन किया। मार्क्सवाद के क़ायल तो थे ही, कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य भी थे। साहित्यिक हलके में वह प्रगतिशील आन्दोलन से जुड़े और प्रगतिशील लेखक संघ के अगुआ लेखकों में गिने गये। 1951 में फ़ैज़ को जेल जाना पड़ा, इस आरोप में कि वह लियाक़त सरकार को गिराने और उसकी जगह सोवियत समर्थक, वामपन्थी सरकार लाने की साज़िश रच रहे थे। चार साल बाद वह रिहा हो गये, फिर उन्होंने कई साल विदेश में बिताये। बहरहाल, फ़ैज़ के जीवनकाल में ही उनकी पहचान उर्दू के सर्वाधिक प्रसिद्ध रचनाकार के रूप में बन गयी थी ।
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