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DOOSARA JEEVAN (KRISHANA SOBATI KI JIVANI)
Publisher:
SETU PRAKASHAN
| Author:
GIRDHAR RATHI
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
SETU PRAKASHAN
Author:
GIRDHAR RATHI
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹599 ₹479
Save: 20%
In stock
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3-5 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789391277123
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
279
लगभग तीन वर्ष पहले रज़ा फ़ाउण्डेशन ने एक प्रोजेक्ट बनाया जिसके अन्तर्गत प्रतिष्ठित लेखकों, कलाकारों की सुशोधित जीवनियाँ लिखने का आग्रह कुछ लेखकों-कलाविदों से किया और इसके लिए उन्हें रज़ा फ़ैलोशिप प्रदान की गयी। अब तक जैनेन्द्र कुमार, नागार्जुन, रघुवीर सहाय, भूपेन खख्वर, शंखो चौधुरी, जगदीश स्वामीनाथन की जीवनियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। कृष्णा सोबती के निकट रहे गिरधर राठी ने इस जीवनी के लिए प्रयत्न कृष्णा जी के जीवन-काल में ही कर दिया था और यह जीवनी इस अर्थ में असाधारण है कि उसमें स्वयं कृष्णा जी द्वारा दी गयी जानकारी का समावेश है। हर लेखक का उसके भौतिक अवसान के बाद ‘दूसरा जीवन’ शुरू होता है। यह जीवनी हमारी कालजयी मूर्धन्य कृष्णा सोबती के दूसरे जीवन का हमसे प्रामाणिक और संवेदनशी साक्षात् कराती है। हम यह पुस्तक प्रसननतापूर्वक रज़ा पुस्तक माला में प्रस्तुत कर रहे हैं।
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Description
लगभग तीन वर्ष पहले रज़ा फ़ाउण्डेशन ने एक प्रोजेक्ट बनाया जिसके अन्तर्गत प्रतिष्ठित लेखकों, कलाकारों की सुशोधित जीवनियाँ लिखने का आग्रह कुछ लेखकों-कलाविदों से किया और इसके लिए उन्हें रज़ा फ़ैलोशिप प्रदान की गयी। अब तक जैनेन्द्र कुमार, नागार्जुन, रघुवीर सहाय, भूपेन खख्वर, शंखो चौधुरी, जगदीश स्वामीनाथन की जीवनियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। कृष्णा सोबती के निकट रहे गिरधर राठी ने इस जीवनी के लिए प्रयत्न कृष्णा जी के जीवन-काल में ही कर दिया था और यह जीवनी इस अर्थ में असाधारण है कि उसमें स्वयं कृष्णा जी द्वारा दी गयी जानकारी का समावेश है। हर लेखक का उसके भौतिक अवसान के बाद ‘दूसरा जीवन’ शुरू होता है। यह जीवनी हमारी कालजयी मूर्धन्य कृष्णा सोबती के दूसरे जीवन का हमसे प्रामाणिक और संवेदनशी साक्षात् कराती है। हम यह पुस्तक प्रसननतापूर्वक रज़ा पुस्तक माला में प्रस्तुत कर रहे हैं।
About Author
जन्म : 13 अगस्त 1946 को पिपरिया (म.प्र.) में। अब तक चार पत्रिकाओं का सम्पादन। चार कविता-संग्रह। कृष्णा सोबती की जीवनी ‘दूसरा जीवन’ प्रकाशित। गद्य-पद्य की पन्द्रह से अधिक पुस्तकों का अनुवाद। विचार, साहित्यालोचना, यात्रा-संस्मरण की भी कुछ पुस्तकें प्रकाशित। कविता-समग्र ‘नाम नहीं’ शीर्षक से प्रकाशित। कुछ रचनाओं के अनुवाद भारतीय और भारतीयेतर भाषाओं में प्रकाशित। अनेक राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय आयोजनों में शिरकत और कविता पाठ। इन दिनों दिल्ली में।
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