SaleHardback
BHARTIYA RAJNEETI AUR MERA JEEVAN
₹900 ₹675
Save: 25%
ANTIM SANGRILA KI DHARTI MEIN : BHUTAN PRAVAS KE ANUBHAV
₹1,300 ₹975
Save: 25%
EK SADAK EK JAGAH
Publisher:
SETU PRAKASHAN
| Author:
MANGLESH DABRAL
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
SETU PRAKASHAN
Author:
MANGLESH DABRAL
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹370 ₹333
Save: 10%
In stock
Ships within:
3-5 Days
In stock
ISBN:
SKU
9788194172437
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
184
इंटरनेट और संचार क्रांति के व्यापक विस्तार ने जब साहित्य, संस्कृति और विभिन्न ज्ञानानुशासनों का संकुचन कर दिया है, जब हर शहर एक उँगली पर आभासी संसार में उपलब्ध है, तब यात्राओं की प्रासंगिकता का बदल जाना अवश्यंभावी है। ऐसे में यात्रा-वृत्तांतों का यात्रा संस्मरणों के रूप में कायांतरण भी स्वाभाविक है। यह पुस्तक यात्राओं की ऐसी ही स्मृति है। अनदेखी-अनजानी जगहों के जो विवरण हैं, वे कवि मंगलेश डबराल की आकांक्षाओं के संदर्भ हैं। इसीलिए इन संस्मरणों में यात्री मंगलेश डबराल का सहयात्री कवि मंगलेश डबराल है। इसे हम भाषा, तथ्य चयन, स्मृति संचयन सबमें देख सकते हैं। ये वृत्तांत उन खिड़कियों की तरह हैं जिनकी मार्फत हम ऐसे सफर पर निकलते हैं जहाँ हर कदम पर एक दुनिया उजागर होती है। यह जगहों और कविताओं के अभिन्न रूप से जुड़े हुए होने की दुनिया है। ये संस्मरण देश-विदेश की यात्राओं से उद्भूत हैं, जो ज्यादातर कविता पाठों के सिलसिले में हुई हैं। इन संस्मरणों में बहुत खास है मंगलेश डबराल की भाषा। वे जिस जगह की यात्रा करते हैं, उसके वृत्तांत को सिरे से गायब नहीं होने देते, पर वे वृत्तांत स्मृतियों के लिए खाद-पानी सरीखे होते हैं। ये स्मृतियाँ जब भाषा में उतरती हैं तो दुहरी चुनौती का सामना करती हैं। एक स्तर पर वे लेखक की काव्यात्मक क्षमता से ओतप्रोत हैं तो दूसरे स्तर पर कवितापन से बाहर आना विधा की सर्जनात्मक अनिवार्यता हैं। द्वित्वों के बीच संतुलित भाषा ने इन संस्मरणों की आंतरिक लय का निर्माण किया है, उसे गति दी है। यह गति ऐसी है कि हम नदी में नहा कर निकलते हैं तो उसके बहाव को शरीर पर थोड़ी देर बाहर आकर भी महसूस करते हैं।
Be the first to review “EK SADAK EK JAGAH” Cancel reply
Description
इंटरनेट और संचार क्रांति के व्यापक विस्तार ने जब साहित्य, संस्कृति और विभिन्न ज्ञानानुशासनों का संकुचन कर दिया है, जब हर शहर एक उँगली पर आभासी संसार में उपलब्ध है, तब यात्राओं की प्रासंगिकता का बदल जाना अवश्यंभावी है। ऐसे में यात्रा-वृत्तांतों का यात्रा संस्मरणों के रूप में कायांतरण भी स्वाभाविक है। यह पुस्तक यात्राओं की ऐसी ही स्मृति है। अनदेखी-अनजानी जगहों के जो विवरण हैं, वे कवि मंगलेश डबराल की आकांक्षाओं के संदर्भ हैं। इसीलिए इन संस्मरणों में यात्री मंगलेश डबराल का सहयात्री कवि मंगलेश डबराल है। इसे हम भाषा, तथ्य चयन, स्मृति संचयन सबमें देख सकते हैं। ये वृत्तांत उन खिड़कियों की तरह हैं जिनकी मार्फत हम ऐसे सफर पर निकलते हैं जहाँ हर कदम पर एक दुनिया उजागर होती है। यह जगहों और कविताओं के अभिन्न रूप से जुड़े हुए होने की दुनिया है। ये संस्मरण देश-विदेश की यात्राओं से उद्भूत हैं, जो ज्यादातर कविता पाठों के सिलसिले में हुई हैं। इन संस्मरणों में बहुत खास है मंगलेश डबराल की भाषा। वे जिस जगह की यात्रा करते हैं, उसके वृत्तांत को सिरे से गायब नहीं होने देते, पर वे वृत्तांत स्मृतियों के लिए खाद-पानी सरीखे होते हैं। ये स्मृतियाँ जब भाषा में उतरती हैं तो दुहरी चुनौती का सामना करती हैं। एक स्तर पर वे लेखक की काव्यात्मक क्षमता से ओतप्रोत हैं तो दूसरे स्तर पर कवितापन से बाहर आना विधा की सर्जनात्मक अनिवार्यता हैं। द्वित्वों के बीच संतुलित भाषा ने इन संस्मरणों की आंतरिक लय का निर्माण किया है, उसे गति दी है। यह गति ऐसी है कि हम नदी में नहा कर निकलते हैं तो उसके बहाव को शरीर पर थोड़ी देर बाहर आकर भी महसूस करते हैं।
About Author
मंगलेश डबराल का जन्म 16 मई 1948 को उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले के गाँव काफलपानी में हुआ। वे लंबे समय तक दैनिक जनसत्ता और दूसरी पत्रपत्रिकाओं में संपादन का काम करते रहे हैं। उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं : पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज़ भी एक जगह है, नये युग में शत्रु और स्मृति एक दूसरा समय है (कविता संग्रह); लेखक की रोटी और कवि का अकेलापन (गद्य संग्रह); एक बार आयोवा, एक सड़क एक जगह (यात्रा संस्मरण); उपकथन (साक्षात्कार); कवि ने कहाऔर प्रतिनिधि कविताएँ (चयन)। मंगलेश डबराल की कविताएँ देश और विदेश की सभी प्रमुख भाषाओं में अनूदित हुई हैं। उनकी कविताओं के अंग्रेज़ी और इतालवी अनुवाद पुस्तकों के रूप में भी प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने देश-विदेश में कई राष्ट्रीयअंतरराष्ट्रीय कविता समारोहों में कविता-पाठ किया है और अमेरिका के आयोवा विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय लेखन कार्यक्रम में भी रहे हैं। बेर्टोल्ट ब्रेश्ट, पाब्लो नेरूदा, एर्नेस्तो कार्दैनाल और यानिस रित्सोस जैसे कई प्रमुख कवियों की रचनाओं के अनुवाद के अलावा उन्होंने अंग्रेज़ी उपन्यासकार अरुंधति रॉय के उपन्यास द मिनिस्ट्री ऑफ़ अटमोस्ट हैप्पीनेसका अनुवाद अपार खुशी का घराना शीर्षक से किया है। उन्हें पहल सम्मान, कुमार विकल सम्मान, शमशेर सम्मान और साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। मृत्यु : दिसंबर 2020
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “EK SADAK EK JAGAH” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balabhadra (Vol. 2): Hindi Vyakhya
Save: 20%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.