FAANI BAAKI

Publisher:
Setu Prakashan
| Author:
SHAMSURREHMAN FAROOQI
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Setu Prakashan
Author:
SHAMSURREHMAN FAROOQI
Language:
Hindi
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Paperback

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इस किताब का मुख्य आकर्षण फ़ारुक़ी साहब की लम्बी कहानी ‘फ़ानी बाक़ी’ है। यह कहानी खुद फ़ारुक़ी साहब की बाक़ी कहानियों से अलग है। वे मनुष्य के अन्तस की गहराई में काँपती मुक्ति की आकांक्षा की ओर अपनी दूसरी कहानियों में भी किसी न किसी तरह से इशारे करते ही थे, लेकिन ‘फ़ानी बाक़ी’ में वे इस आकांक्षा के ठीक सामने जा खड़े हुए हैं। इस एनकाउण्टर की रोशनी से फ़ारुक़ी साहब ने एक विलक्षण कल्पना लोक की रचना की है। यह कल्पना लोक वास्तविक न होते हुए भी अपने भीतर मनुष्य की मुक्ति की आकांक्षा के सच को अपने हर रेशे में थामे रखता है। यहीं से इस कहानी का सौन्दर्य और उसकी गहराई पैदा होती है।

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Description

इस किताब का मुख्य आकर्षण फ़ारुक़ी साहब की लम्बी कहानी ‘फ़ानी बाक़ी’ है। यह कहानी खुद फ़ारुक़ी साहब की बाक़ी कहानियों से अलग है। वे मनुष्य के अन्तस की गहराई में काँपती मुक्ति की आकांक्षा की ओर अपनी दूसरी कहानियों में भी किसी न किसी तरह से इशारे करते ही थे, लेकिन ‘फ़ानी बाक़ी’ में वे इस आकांक्षा के ठीक सामने जा खड़े हुए हैं। इस एनकाउण्टर की रोशनी से फ़ारुक़ी साहब ने एक विलक्षण कल्पना लोक की रचना की है। यह कल्पना लोक वास्तविक न होते हुए भी अपने भीतर मनुष्य की मुक्ति की आकांक्षा के सच को अपने हर रेशे में थामे रखता है। यहीं से इस कहानी का सौन्दर्य और उसकी गहराई पैदा होती है।

About Author

हमारे समय के महान लेखक। जन्म 30 सितम्बर 1935 को प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश में। लम्बे समय तक भारतीय डाक सेवा में कार्य। 1966 से ‘शवाखून’ पत्रिका का सम्पादन और लगभग उसी वक़्त उर्दू में आलोचना लेखन आरम्भ। उनकी ‘लफ़्ज़ ओ मानी’, ‘शेर गैर शेर और नस्ल’, ‘इस्त्रात ओ नफ़ी’, ‘तनक़ीदी अफ़कार” आधुनिक आलोचना की और ‘तफ़हीमे- ग़ालिब’, ‘शेर ए शोर अंगेज’ और ‘ अफ़साने की नयी हिमायत में’ आदि उर्दू की क्लासिकी शाइरी और आधुनिक साहित्य पर बेहतरीन किताबें। कहानी संग्रह’ सवार और दूसरी कहानियाँ’ और ‘क्रई चाँद थे सरे आसमाँ’ उपन्यास प्रकाशित । इसके बाद एक और उपन्यास ‘कब्ज़े ज़माँ’ छपा।’ दास्तानगोई’ का पुनर्वास करने में केन्द्रीय भूमिका। रजा पुस्तक माला के तहत फ़ारूक़ी साहब से बातचीत की किताब ‘उपन्यासकार का सफ़र’ शाया। ‘क़ब्ज़े ज़माँ’ का हिन्दी में लिष्यान्तर प्रकाशित। साहित्य अकादेमी पुरस्कार, सरस्वती सम्मान, इक़बाल सम्मान और पद्मश्री से विभूषित । मृत्यु कोरोना से इलाहाबाद में 25 दिसम्बर 2021 को।

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