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अफगानिस्तान : शांति की तलाश, युद्ध की राह
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Prem Prakash
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Prem Prakash
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹500 ₹375
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In stock
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1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789355621221
Categories Hindi, New Releases & Pre-orders
Categories: Hindi, New Releases & Pre-orders
Page Extent:
176
अफगानिस्तान : शांति की तलाश, । युद्ध की राह’ एक ऐसे देश का प्रामाणिक विवरण है, जो कभी युद्ध से समृद्ध था और अब युद्ध से तबाह हो गया है । प्रेम राजा जहीर शाह के सौम्य शासन के तहत एक उदार, स्वतंत्र, स्थिर और धर्मनिरपेक्ष अफगानिस्तान की झलक पेश करके पाठकों को समृद्ध करते हैं, जो कई लोगों के लिए अब भी पहेली ही है। लेखक अप्रैल 1978 की क्रांति के बाद अस्थिरता की लंबी अवधि पर चर्चा करते हैं, जिसकी वजह से सोवियत संघ के जरिए कम्युनिस्ट सत्ता में आए।
लेखक सोवियत संघ को हराने के लिए तालिबान बनाने में अमेरिका और पाकिस्तान की भूमिका का आलोचनात्मक विश्लेषण करते हैं । अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना करते हुए तालिबान के खिलाफ अमेरिका द्वारा लड़े गए बीस साल के युद्ध का एक दिलचस्प विवरण प्रदान करते हुए वह अमेरिकी वापसी की दुःखद तसवीर प्रस्तुत करते हैं, जिससे अफगान एक बार फिर तालिबान की दया पर छोड़ दिए गए और गरीबी के साथ-साथ पाषाण युग में वापस धकेल दिए गए। वर्तमान कथा, हालाँकि काफी संक्षेप में है, लेकिन आधिकारिक, मनोरम और कलात्मक रूप से निर्मित है। यह पाठकों की कल्पना एक ऐसे देश को ले आती है, जिसका उथल-पुथल से भरा अतीत अब भी शांति की तलाश में है।
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Description
अफगानिस्तान : शांति की तलाश, । युद्ध की राह’ एक ऐसे देश का प्रामाणिक विवरण है, जो कभी युद्ध से समृद्ध था और अब युद्ध से तबाह हो गया है । प्रेम राजा जहीर शाह के सौम्य शासन के तहत एक उदार, स्वतंत्र, स्थिर और धर्मनिरपेक्ष अफगानिस्तान की झलक पेश करके पाठकों को समृद्ध करते हैं, जो कई लोगों के लिए अब भी पहेली ही है। लेखक अप्रैल 1978 की क्रांति के बाद अस्थिरता की लंबी अवधि पर चर्चा करते हैं, जिसकी वजह से सोवियत संघ के जरिए कम्युनिस्ट सत्ता में आए।
लेखक सोवियत संघ को हराने के लिए तालिबान बनाने में अमेरिका और पाकिस्तान की भूमिका का आलोचनात्मक विश्लेषण करते हैं । अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना करते हुए तालिबान के खिलाफ अमेरिका द्वारा लड़े गए बीस साल के युद्ध का एक दिलचस्प विवरण प्रदान करते हुए वह अमेरिकी वापसी की दुःखद तसवीर प्रस्तुत करते हैं, जिससे अफगान एक बार फिर तालिबान की दया पर छोड़ दिए गए और गरीबी के साथ-साथ पाषाण युग में वापस धकेल दिए गए। वर्तमान कथा, हालाँकि काफी संक्षेप में है, लेकिन आधिकारिक, मनोरम और कलात्मक रूप से निर्मित है। यह पाठकों की कल्पना एक ऐसे देश को ले आती है, जिसका उथल-पुथल से भरा अतीत अब भी शांति की तलाश में है।
About Author
भारत की प्रमुख मल्टीमीडिया समाचार एजेंसी 'ए एन आई' के संस्थापक अध्यक्ष प्रेम प्रकाश एक अनुभवी पत्रकार हैं। उन्होंने फ्रांस में गौमोंट एक्चुअलाइट्स, जर्मनी में डॉयचे वोचेन्सचाउ और अमेरिका में वार्नर-पाथे न्यूज जैसे विदेशी प्रसारकों के साथ काम किया है। वह 1957 में लंदन में समाचार एजेंसी 'विशन्यूज' (Visnews) लॉन्च करने वाले समूह का हिस्सा थे ।
लगभग सत्तर वर्षों के अपने कॅरियर में प्रेम ने प्रमुख वैश्विक घटनाओं पर रिपोर्टिंग करते हुए दुनियाभर की यात्रा की है। वह 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के साथ-साथ 1971 के भारत- पाकिस्तान युद्धों के दौरान युद्ध कवरेज में सबसे आगे थे। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक भारतीय प्रधानमंत्रियों के साथ बातचीत की है।
प्रेम अपना समय पुस्तकें लिखने में बिताते हैं। उनकी पहली पुस्तक 'रिपोर्टिंग इंडिया' उनके जीवन की कहानी को दरशाती है। यह उनकी दूसरी पुस्तक है, जो शांति और युद्ध, दोनों के दौरान अफगानिस्तान के व्यापक कवरेज पर आधारित है।
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