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Gyan Darpan | “ज्ञान दर्पण”
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Baidehi Sharan Singh
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Baidehi Sharan Singh
Language:
Hindi
Format:
Paperback
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ISBN:
SKU
9788119758760
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Page Extent:
248
व्यक्ति को अपने अस्तित्व एवं व्यक्तित्व को जानने एवं विकास करने की विधि का ज्ञान हो – यही इस पुस्तक ‘ज्ञान दर्पण’ का मूल उद्देश्य है।
‘अस्तित्व’ अदृश्य होता है । यह आध्यात्मिक पुस्तकों को पढ़ने एवं आध्यात्मिक महापुरुषों के विचारों को समझने से अनुभव में आता है।
‘व्यक्तित्व’ दृश्य होता है। इसके विकास हेतु अपने शरीर-मन- विचार एवं भावनाओं को निरंतर शुद्ध एवं परिष्कृत करना होता है, जिससे व्यक्ति तेजवान होता है तथा लंबी आयु प्राप्त करता है ।
व्यक्ति अपने अस्तित्व एवं व्यक्तित्व का चरम विकास कर समाज कल्याण हेतु बने, यही भावना इस पुस्तक का मूल उद्देश्य है।
समाज में आज धर्म के प्रति भ्रम की स्थिति बनी है, जिससे वैयक्तिक- सामाजिक गलतियों एवं बुराइयों का प्राचुर्य दृष्टिगोचर होता है । इस धर्म के प्रति भ्रम का निवारण- निराकरण करने हेतु ‘ज्ञान दर्पण’ का प्रकाश आलोकित करना इस पुस्तक का परम लक्ष्य हैI
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Description
व्यक्ति को अपने अस्तित्व एवं व्यक्तित्व को जानने एवं विकास करने की विधि का ज्ञान हो – यही इस पुस्तक ‘ज्ञान दर्पण’ का मूल उद्देश्य है।
‘अस्तित्व’ अदृश्य होता है । यह आध्यात्मिक पुस्तकों को पढ़ने एवं आध्यात्मिक महापुरुषों के विचारों को समझने से अनुभव में आता है।
‘व्यक्तित्व’ दृश्य होता है। इसके विकास हेतु अपने शरीर-मन- विचार एवं भावनाओं को निरंतर शुद्ध एवं परिष्कृत करना होता है, जिससे व्यक्ति तेजवान होता है तथा लंबी आयु प्राप्त करता है ।
व्यक्ति अपने अस्तित्व एवं व्यक्तित्व का चरम विकास कर समाज कल्याण हेतु बने, यही भावना इस पुस्तक का मूल उद्देश्य है।
समाज में आज धर्म के प्रति भ्रम की स्थिति बनी है, जिससे वैयक्तिक- सामाजिक गलतियों एवं बुराइयों का प्राचुर्य दृष्टिगोचर होता है । इस धर्म के प्रति भ्रम का निवारण- निराकरण करने हेतु ‘ज्ञान दर्पण’ का प्रकाश आलोकित करना इस पुस्तक का परम लक्ष्य हैI
About Author
श्री बैदेही शरण सिंह ने अध्यात्म, ज्योतिष एवं मानवीय गुण-व्यवहार पर अपनी रुचि एवं प्रकृति से प्रेरित हो आजीवन विशद अध्ययन किया। इसी अध्ययन एवं अनुभव का प्रतिफल समाज को सौंपने का माध्यम है यह पुस्तक 'ज्ञान दर्पण' । पटना जिले के मोकामा प्रखंड, मराँची थाना अंतर्गत रामपुर डुमरा ग्राम के मूल निवासी हैं। उनका जन्म 02 जुलाई, 1949 को हुआ । पिता श्री सियाराम शरण सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे तथा ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य एवं बिहार राज्य पंचायत परिषद के उपाध्यक्ष भी रहे। माता स्वर्गीया अशर्फी देवी कुशल ममतामयी गृहणी थीं, जिनकी छत्रच्छाया में लेखक ने आचार्य नरेंद्रदेव कॉलेज, शाहपुर पटोरी, समस्तीपुर से स्नातक की शिक्षा की तथा 16 जनवरी, 1970 से 30 जून, 2009 तक बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में कार्यरत रहे। वर्तमान में कंकड़बाग, ट्रांस्पोर्टनगर अवस्थित अपने निवास से सामाजिक- साहित्यिक गतिविधियों में निरंतर सक्रिय ।
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