Kitne Pakistan 520

Save: 20%

Back to products
Gaban 179

Save: 10%

Kab Tak Pukaroon

Publisher:
Rajpal and Sons
| Author:
Rangey Raghav
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Rajpal and Sons
Author:
Rangey Raghav
Language:
Hindi
Format:
Paperback

404

Save: 15%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789350640357 Category
Category:
Page Extent:
440

रांगेय राघव हिंदी के उन प्रतिभाशाली लेखकों में से हैं जिन्होंने साहित्य के विविध अंगों की समृद्धि के लिए अपनी कुशल लेखनी से अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथों का सृजन किया। उनकी कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास, आलोचना तथा इतिहास आदि विषयक अनेक उपादेय कृतियां इस कथन की साक्षी हैं। मूलतः दक्षिणात्य होते हुए भी उन्होंने जिस जागरूक प्रतिभा, योग्यता तथा कुशलता से हिंदी साहित्य के श्री-वर्द्धन में अपना अविस्मरणीय योगदान दिया, वह इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
‘कब तक पुकारूं’ उनकी प्रतिभा और लेखन-क्षमता को अभिषिक्त करने वाली जीवंत औपन्यासिक रचना है। इसमें उन्होंने समाज के सर्वथा उपेक्षित उस वर्ग का चित्रण अत्यंत सरल और रोचक शैली में प्रस्तुत किया है जिसे सभ्य समाज ‘नट’ या ‘करनट’ कहकर पुकारता है। ‘कब तक पुकारूं’ की गणना हिंदी के कालजयी साहित्य में की जाती है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Kab Tak Pukaroon”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

रांगेय राघव हिंदी के उन प्रतिभाशाली लेखकों में से हैं जिन्होंने साहित्य के विविध अंगों की समृद्धि के लिए अपनी कुशल लेखनी से अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथों का सृजन किया। उनकी कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास, आलोचना तथा इतिहास आदि विषयक अनेक उपादेय कृतियां इस कथन की साक्षी हैं। मूलतः दक्षिणात्य होते हुए भी उन्होंने जिस जागरूक प्रतिभा, योग्यता तथा कुशलता से हिंदी साहित्य के श्री-वर्द्धन में अपना अविस्मरणीय योगदान दिया, वह इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
‘कब तक पुकारूं’ उनकी प्रतिभा और लेखन-क्षमता को अभिषिक्त करने वाली जीवंत औपन्यासिक रचना है। इसमें उन्होंने समाज के सर्वथा उपेक्षित उस वर्ग का चित्रण अत्यंत सरल और रोचक शैली में प्रस्तुत किया है जिसे सभ्य समाज ‘नट’ या ‘करनट’ कहकर पुकारता है। ‘कब तक पुकारूं’ की गणना हिंदी के कालजयी साहित्य में की जाती है।

About Author

डाॅ. रांगेय राघव बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे। अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने कविता, कहानी, नाटक, आदि विभिन्न विधाओं से हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया। मूल रूप से दक्षिण भारतीय होने के बावजूद हिन्दी पर उनकी पकड़ सराहनीय थी।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Kab Tak Pukaroon”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED