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Jalte Bujhte Log
Publisher:
Rajpal and Sons
| Author:
Amrita Pritam
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Rajpal and Sons
Author:
Amrita Pritam
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹285 ₹257
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In stock
ISBN:
Category: Hindi
Page Extent:
192
एक ही पुस्तक में तीन लघु उपन्यास
जलावतन-तन के थोड़े-से बरसों में, मन की अन्तर-सतह में उतर जाने की वह कहानी है, जो जलते बुझते अक्षरों में लिपटी हुई है –
जेबकतरे- यह एक उदास नस्ल की वह कहानी है, जिसमें किरदारों के पैर जिन्दा हैं, पैरों के लिए रास्ते मर गए हैं –
कच्ची सड़क- उठती जवानी में किस तरह एक कम्पन किसी के अहसास में उतर जाता है कि पैरों तले से विश्वास की ज़मीन खो जाती है- यही बहक गए बरसों के धागे इस कहानी में लिपटते भी हैं, मन-बदन की सालते भी हैं, और हाथ की पकड़ में आते भी हैं –
ये तीनों लघु उपन्यास उन किरदारों को लिए हुए हैं, जो उठती जवानी में चिन्तन की यात्रा में चल दिए हैं। और इन तीनों का इकट्ठा प्रकाशन समय और समाज का एक अध्ययन होगा।
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Description
एक ही पुस्तक में तीन लघु उपन्यास
जलावतन-तन के थोड़े-से बरसों में, मन की अन्तर-सतह में उतर जाने की वह कहानी है, जो जलते बुझते अक्षरों में लिपटी हुई है –
जेबकतरे- यह एक उदास नस्ल की वह कहानी है, जिसमें किरदारों के पैर जिन्दा हैं, पैरों के लिए रास्ते मर गए हैं –
कच्ची सड़क- उठती जवानी में किस तरह एक कम्पन किसी के अहसास में उतर जाता है कि पैरों तले से विश्वास की ज़मीन खो जाती है- यही बहक गए बरसों के धागे इस कहानी में लिपटते भी हैं, मन-बदन की सालते भी हैं, और हाथ की पकड़ में आते भी हैं –
ये तीनों लघु उपन्यास उन किरदारों को लिए हुए हैं, जो उठती जवानी में चिन्तन की यात्रा में चल दिए हैं। और इन तीनों का इकट्ठा प्रकाशन समय और समाज का एक अध्ययन होगा।
About Author
अमृता प्रीतम
जन्म : 31 अगस्त, 1919; गुजराँवाला (पंजाब)।
बचपन और शिक्षा लाहौर में। किशोरावस्था से ही काव्य-रचना की ओर प्रवृत्ति। बँटवारे से पहले लाहौर से प्रकाशित होनेवाली मासिक पत्रिका 'नई दुनिया' का सम्पादन किया, फिर 'नागमणि' नामक पंजाबी मासिक निकाला। कुछ दिनों तक आकाशवाणी, दिल्ली से सम्बद्ध रहीं। 1956 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित और 1958 में पंजाब सरकार के भाषा-विभाग द्वारा पुरस्कृत। 1961 में सोवियत लेखक संघ के निमंत्रण पर मास्को-यात्रा, फिर मई, 1966 में बलगारिया लेखक संघ के निमंत्रण पर बलगारिया की यात्रा। ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित।
अब तक तीन दर्जन से अधिक पुस्तकें मूल पंजाबी में प्रकाशित, जिनमें से दो-तीन को छोड़कर प्राय: सभी पुस्तकों के हिन्दी अनुवाद। कुछ अन्य भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त रूसी, जर्मन आदि यूरोपीय भाषाओं में भी अनूदित।
प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें : ‘धूप का टुकड़ा’, ‘काग़ज़ और कैनवस’ (कविता-संग्रह); ‘रसीदी टिकट’, ‘दस्तावेज़’ (आत्मकथा); ‘डॉक्टर देव’, ‘पिंजर’, ‘घोंसला’, ‘एक सवाल’, ‘बुलावा’, ‘बन्द दरवाज़ा’, ‘रंग का पत्ता’, ‘एक थी अनीता’, ‘धरती, सागर और सीपियाँ’, ‘दिल्ली की गलियाँ’, ‘जलावतन’, ‘जेबकतरे’, ‘पक्की हवेली’, ‘आग की लकीर’, ‘कोई नहीं जानता’, ‘यह सच है’, ‘एक ख़ाली जगह’, ‘तेरहवाँ सूरज’, ‘उनचास दिन’, ‘कोरे काग़ज़’, ‘हरदत्त का ज़िन्दगीनामा’ इत्यादि (उपन्यास); ‘अन्तिम पत्र’, ‘लाल मिर्च’, ‘एक लड़की एक जाम’, ‘दो खिड़कियाँ’, ‘हीरे की कनी’, ‘पाँच बरस लम्बी सड़क’, ‘एक शहर की मौत’, ‘तीसरी औरत’, ‘यह कहानी नहीं’, ‘अक्षरों की छाया में’ आदि (कहानी-संग्रह)।
निधन : 31 अक्टूबर, 2005
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