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Galat Pate Ki Chitthiyan
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
योगिता यादव
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
योगिता यादव
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹190 ₹189
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In stock
ISBN:
SKU
9789387919822
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
120
योगिता यादव का नाम आज हिन्दी साहित्य में न नया है और न अनजाना। पढ़ने में ये कहानियाँ सरल भाषा की डगर पर ही चलती हैं। मेरे लिये यह सुकून का विषय रहा कि कहानियों के जरिये लेखकों और लेखिकाओं के फैलाये विशिष्ट वाग्जाल से बची और कहानियाँ सरलता के साथ पढ़ पायी। यह सब मैं अपने लिये ही नहीं कह रही, यहाँ मुझे उन पाठकों का ध्यान है जो लेखक की विद्वता को देखकर भ्रमित हो जाते हैं और क्लिष्ट दुरूह भाषा से सहमकर किताब परे रख देते हैं। शिल्प की लाख दुहाइयाँ देते रहिये, ज्यादातर पाठक भाषा की सादगी और कहन के साधारणीकरण के बस में रहते हैं। मुझे लगता है, विसंगति और विरोधाभास, द्वन्द्व और संघर्ष के इस समय में ग़लत पते की चिट्ठियाँ सही पतों पर पहुंचेंगी और अपना सार्थक सन्देश पहुँचायेंगी।
– मैत्रेयी पुष्पा, वरिष्ठ कथाकार
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Description
योगिता यादव का नाम आज हिन्दी साहित्य में न नया है और न अनजाना। पढ़ने में ये कहानियाँ सरल भाषा की डगर पर ही चलती हैं। मेरे लिये यह सुकून का विषय रहा कि कहानियों के जरिये लेखकों और लेखिकाओं के फैलाये विशिष्ट वाग्जाल से बची और कहानियाँ सरलता के साथ पढ़ पायी। यह सब मैं अपने लिये ही नहीं कह रही, यहाँ मुझे उन पाठकों का ध्यान है जो लेखक की विद्वता को देखकर भ्रमित हो जाते हैं और क्लिष्ट दुरूह भाषा से सहमकर किताब परे रख देते हैं। शिल्प की लाख दुहाइयाँ देते रहिये, ज्यादातर पाठक भाषा की सादगी और कहन के साधारणीकरण के बस में रहते हैं। मुझे लगता है, विसंगति और विरोधाभास, द्वन्द्व और संघर्ष के इस समय में ग़लत पते की चिट्ठियाँ सही पतों पर पहुंचेंगी और अपना सार्थक सन्देश पहुँचायेंगी।
– मैत्रेयी पुष्पा, वरिष्ठ कथाकार
About Author
योगिता यादव
जून, 1981 को दिल्ली में जन्मी योगिता यादव की रचनाओं में स्त्री मनोविज्ञान का बेहद सूक्ष्म विश्लेषण मिलता है। अपनी पहली कृति 'क्लीन चिट' (कहानी संग्रह, वर्ष 2014 में भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित) से ही उन्होंने हिंदी साहित्य में एक मजबूत दस्तक दी। उन्हें न लिखने की हड़बड़ी है न छपने की दौड़ 2017 में आए पहले उपन्यास 'ख्वाहिशों के खांडववन' से एक बार फिर यह बात पुख्ता हुई। 'क्लीन चिट' पर भारतीय ज्ञानपीठ का नवलेखन पुरस्कार, कहानी 'झीनी झीनी बीनी रे चदरिया' पर कलमकार पुरस्कार और कहानी 'राजधानी के भीतर-बाहर' पर वर्ष 2016 का राजेंद्र यादव हंस कथा सम्मान प्रदान किया गया। वर्ष 2018 में उन्हें डॉ. शिवकुमार मिश्र स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया।
साहित्यिक लेखन के साथ-साथ सामाजिक और स्त्री केंद्रित मुद्दों पर भी वे लगातार काम करती हैं। वर्ष 2017 में आस्था की अर्थव्यवस्था' शीर्षक से उनका जम्मू-कश्मीर की सामाजिक-आर्थिक संस्कृति पर आधारित लेखों का संग्रह प्रकाशित हो चुका है। इस विषय पर उन्हें भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से जूनियर फैलोशिप मिल चुकी है।
रमणिका फाउंडेशन की ओर से प्रकाशित महत्वपूर्ण श्रृंखला' हाशिए उलाँघती औरत' के जम्मू-कश्मीर विशेषांक का सह-संपादन और महाराष्ट्र से प्रकाशित पत्रिका 'सार्थक नव्या' के जम्मू-कश्मीर विशेषांक का संपादन भी योगिता यादव ने किया।
संपर्क: yyvidyarthi@yahoo.co.in
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