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Satrah Kahaniyan

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
अमृता प्रीतम
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
अमृता प्रीतम
Language:
Hindi
Format:
Paperback

198

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1-4 Days

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ISBN:
SKU 9788196102784 Category
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Page Extent:
128

सत्रह कहानियाँदर्द और दीवानगी के कुछ लम्हे ऐसे होते हैं, जिन्हें ज़िन्दगी का किरदार झेल नहीं पाता, लेकिन कहानी का विस्तार उसे झेल लेता है….कई बार कोई आवाज़, एक कम्पन से बढ़कर कुछ नहीं कह पाती, उस बेगाना दर्द को लफ़्ज़ों में ढालना है, तो कहानीकार का भी बहुत कुछ पिघलकर, उसके साथ ढलने लगता है….कहानी हर बार किसी नये कोण से दस्तक देती है… कई बार एक टूटी-सी चीख़ की तरह….बहुत पहले ऐसे ही कुछ एहसास भोजपत्रों को मिले होंगे और उससे भी पहले पत्थरों, शिलाओं ने कुछ लकीरों में सँभाल लिये होंगे फिर भी तब से लेकर आज तक जाने कितनी कहानियाँ बहती हुई हवा के बदन पर लिखी जाती हैं, जो वक़्त से बेगाना हो जाती हैं….ये थोड़े से हरफ़ जो साँसों से निकलकर दामन पर गिर गये, बस वही तो हैं….- अमृता प्रीतम

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Description

सत्रह कहानियाँदर्द और दीवानगी के कुछ लम्हे ऐसे होते हैं, जिन्हें ज़िन्दगी का किरदार झेल नहीं पाता, लेकिन कहानी का विस्तार उसे झेल लेता है….कई बार कोई आवाज़, एक कम्पन से बढ़कर कुछ नहीं कह पाती, उस बेगाना दर्द को लफ़्ज़ों में ढालना है, तो कहानीकार का भी बहुत कुछ पिघलकर, उसके साथ ढलने लगता है….कहानी हर बार किसी नये कोण से दस्तक देती है… कई बार एक टूटी-सी चीख़ की तरह….बहुत पहले ऐसे ही कुछ एहसास भोजपत्रों को मिले होंगे और उससे भी पहले पत्थरों, शिलाओं ने कुछ लकीरों में सँभाल लिये होंगे फिर भी तब से लेकर आज तक जाने कितनी कहानियाँ बहती हुई हवा के बदन पर लिखी जाती हैं, जो वक़्त से बेगाना हो जाती हैं….ये थोड़े से हरफ़ जो साँसों से निकलकर दामन पर गिर गये, बस वही तो हैं….- अमृता प्रीतम

About Author

अमृता प्रीतम - भारतीय साहित्य में कथाकार एवं कवयित्री के रूप में एक बहुचर्चित नाम । 31 अगस्त, 1919 को गुज़राँवाला (पंजाब) में जन्म । बचपन बीता लाहौर में, शिक्षा भी वहीं हुई। किशोरावस्था से लिखना शुरू कर दिया था——कविता, कहानी, उपन्यास और निबन्ध भी। प्रकाशित पुस्तकें पचास से अधिक। महत्त्वपूर्ण रचनाएँ: काग़ज़ ते कैनवस, मैं जमा तू (कविता संग्रह), पिंजर, जलावतन, यात्री, कोरे काग़ज़ (उपन्यास); सात सौ बीस क़दम (कहानी-संग्रह); काला गुलाब, सफ़रनामा, अज्ज दे काफ़िर (गद्य-कृतियाँ); रसीदी टिकट (आत्मकथा) आदि। अनेक रचनाएँ देशी-विदेशी भाषाओं में अनूदित। साहित्यिक पत्रकारिता में विशेष रुचि। 'साहित्य अकादेमी पुरस्कार' (1956), बुल्ग़ारिया के 'वैप्सरोव पुरस्कार' (1980), और 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' (1981) से सम्मानित। देहावसान : 31 अक्तूबर, 2005।

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